खुदीराम बोस:एक बालक्रांतिकारी

नाम -खुदीराम बोस

जन्म- 1889

स्थान- मिदनापुर

काम- ऐलाने इंकलाब

शहीदी दिवस-11 अगस्त 1908

प्रात: स्मरणीय युवा शहीद श्री खुदीराम बोस जो की 18 साल की उम्र में हँसते हुए देश की आजादी के लिये अपने आप को कुर्बान कर दिया

श्री बोस भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में सबसे कम उम्र के क्रान्तिकारियों में से एक थे सभी क्रान्तिकारियों की तरफ सजा सुनाते वक्त हंस रहे थे तो जज ने पूछा क्यों हंस रहे हो? तो श्री बोस का जवाब था की मौका होता तो मैं आपको बम बनाने का तरीका बताता।

11 अगस्त एतिहासिक दिन….

भारतीय आजादी की लड़ाई के सबसे युवा शहीदों में से एक खुदीराम बोस को आज ही के दिन 11 अगस्त 1908 को फांसी दे दी गई. खुदीराम को जब फांसी पर चढ़ाया गया, तो उनकी उम्र सिर्फ साढ़े 18 साल थी.

खुदीराम बोस को मौजूदा राज्य बिहार के मुजफ्फरपुर शहर में किए गए एक बम हमले का दोषी पाया गया और उन्हें मौत की सजा सुनाई गई. मिदनापुर में 1889 में पैदा हुए बोस भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में सबसे कम उम्र के क्रांतिकारियो में से थे

11 अगस्त, 1908 को फांसी वाले दिन पूरे कोलकाता में लोगों का हुजूम लग गया. उस वक्त अपनी स्वतंत्रता के लिए संघर्ष कर रहे भारतीय युवाओं को फांसी देना कोई बहुत बड़ी बात नहीं थी, लेकिन इस उम्र के एक क्रांतिकारी के सामने आने पर बोस को काफी सहानुभूति मिली. सबसे ज्यादा ताज्जुब लोगों को आखिरी वक्त में इस कम उम्र शख्स के मुस्कुराने और संजीदा रहने पर था. ब्रिटेन के एक मशहूर अखबार द इंपायर ने फांसी के अगले दिन लिखा, खुदीराम बोस को फांसी दे दी गई. बताया जाता है कि वह सीना तान कर सूली पर चढ़ा. वह खुश था और मुस्कुरा रहा था।

प्रस्तुति :रोहताश आर्य

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