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*फिरोज खान के बहू-पोता बीजेपी कार्यसमिति से बाहर किये गये* *रोहिंग्या/फर्जी किसानों से हमदर्दी/वंशवादी अहंकार भारी पड़ा*

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प्हले भाजपा ने फिरोज खान की बहू मेनका गांधी को मंत्री पद से हटाया था और अब उसे राष्टीय कार्यसमिति से भी बाहर कर दिया गया। साथ ही साथ फिरोज खान के पोता वरूण फिरोज गांधी को भी राष्टीय कार्यसमिति से बाहर कर रास्ता दिखा गया।
पार्टी से बड़ा कोई नेता नहीं होता। खासकर भाजपा में पार्टी से बड़ा कोई नेता नहीं होता है। जिन नेताओं ने भी पार्टी से बड़ा होने की कोशिश की थी वे सभी नेताओं को पीड़ा दायक हस्र हुआ और वे असमय ही हाशिये पर चले गये, गुमनामी के दौर में ढ़केल दिये गये। बलराज मधोक, वीरेन्द्र कुमार सकलेचा, लालकृष्ण आडवाणी जैसे अनेक उदाहरण हैं। ये सभी शीर्ष पर थे पर ये पार्टी से अपने आप को बड़े समझ लिये। इनकी दुर्गति हुइर्, ये शीर्ष से हाशिये पर ढकेल दिये गये। उमा भारती, कल्याण सिंह और बाबूलाल मरांडी जैसो को भी गलतफहमी हुई थी, उन्हें भी अंहकार हुआ था लेकिन हाशिये पर खड़े होने के बाद फिर से भाजपा में ही इन्हें वापसी के लिए मजबूर होना पड़ा था।
मेनका गांधी को फिरोज खान और इन्दिरा गांधी की बहू होने का गरूर था, वह अपने आप को पार्टी से बड़ी समझ ली थी। वह अराजक होकर मंत्री पद का सुख भोगना चाहती थी, मनमाना निर्णय लेना चाहती थी। मेनका गांधी को यह मालूम नहीं था कि राजगद्दी पर उस शख्त की ताजपोशी है जो इस तरह की मानसिकता रखने वालों का सही इलाज करना जानता है, अराजकता दिखाने वाले और मनमाना निर्णय लेने वालों को वह स्वीकार नहीं करता है। मेनका गांधी का राजनीतिक इलाज हुआ और फिर मेनका गांधी को मंत्री पद से बाहर कर दिया गया।
फिरोज खान का पोता वरूण फिरोज गांधी तो और भी भस्मासुर साबित हुआ। वरूण फिरोज गांधी अपने दादा का इकलौता वंश है जो अपने नाम में दादा का नाम लगाता है। राहुल गांधी और प्रियंका गांधी भी फिरोज खान के पोता और पोती है पर अपने दादा का नाम ये अपने नाम मे नहीं जोड़ते हैं।
वरूण फिरोज गांधी ने सबसे पहले रोहिंग्या मुसलमानों का समर्थन किया था, उनकी प्रशंसा की थी और उन्हें सम्मानित अतिथि बताया था। अब वरूण फिरोज गांधी भाजपा के लिए फिर से भस्मासुर बन गये। लखीमपुर खीरी की घटना के बाद ये भाजपा को घेरने की कोशिश कर डाली। भाजपा के खिलाफ ही सोशल मीडिया पर आग उगलने लगे। उन फर्जी किसानों और गुंडे, मुल्ले और खालिस्तानियों की हिंसक कारवाई का समर्थन करने लगे जिन्होंने परिस्थिति जन्य हादशे को आमंत्रित किया था। लखीमपुर खीरी में पांच भाजपा कार्यकर्ताओं की हत्या फर्जी किसानों के अपराधी गिरोह, गुंडे, मुल्ले और खालिस्तानियों ने कर डाली थी पर वरूण फिरोज गांधी के लिए पांच-पांच भाजपा के कार्यकताओं की हत्या कोई अर्थ नहीं रखता है।
मेनका गांधी भी सोनिया गांधी की तरह अपने बेटे वरूण फिरोज गांधी को भाजपा के शीर्ष नेता बनाना चाहती थी। पर मंदबुद्धि से त्रस्त कोई बालक क्या भाजपा जैसी राजनीतिक पार्टी के अंदर शीर्ष पर पहुंच सकता है? ऐसा सिर्फ कांग्रेस में ही संभव हो सकता है। कांग्रेस में ही मंद बुद्धि का व्यक्ति-बालक सिर्फ वंश के आधार पर शीर्ष पर स्थापित रह सकता है, उसकी भस्मासुर वाली राजनीतिक प्रक्रियाओं को भी पार्टी ग्रहण करती रहेगी। इसका उदाहरण राहुल गांधी ही है। यही कारण है कि वरूण फिरोज गांधी को भाजपा में मंत्री पद का भी योग्य नहीं समझा गया।

भाजपा ने फिरोज खान के बहू और पोते का सही राजनीतिक इलाज किया है, राष्टीय कार्यसमिति से बाहर कर सही निर्णय लिया है। हम उसका स्वागत करते हैं। ऐसे किसी भी वंशवादी घराने की मानसिकता को बढ़ावा कदापि नहीं दिया जाना चाहिए। अगले लोकसभा चुनाव में फिरोज खान के बहू और पोता को सही रास्ता दिखाया जायेगा? ऐसी उम्मीद है हमारी।

आचार्य श्री विष्णुगुप्त
Mobile..9315206123
Date 07/10/2021

New Delhi

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