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संपादकीय

प्रधानमंत्री मोदी की अमेरिका यात्रा :  21 वीं सदी का भारत इक्कीस ही सिद्ध हो रहा है

जब सारी दुनिया कोरोना संकट की भयावह स्थितियों से जूझ रही है और हमारे देश के पड़ोस में अफगानिस्तान में फिर एक कट्टरपंथी सरकार अस्तित्व में आकर विश्व के लिए एक नए तनाव को जन्म दे रही है, तब प्रधानमंत्री श्री मोदी का अमेरिका दौरा अपने आप में बहुत महत्वपूर्ण है। हमेशा की तरह प्रधानमंत्री श्री मोदी अपनी इस यात्रा के माध्यम से एक बार फिर सारे संसार की मीडिया का ध्यान अपनी ओर आकृष्ट करने में सफल रहे हैं ।उनकी इस यात्रा पर हर बार की तरह इस बार भी संसार की सभी बड़ी शक्तियों के नेताओं का भी ध्यान लगा हुआ है। इससे पता चलता है कि प्रधानमंत्री श्री मोदी इस समय किस प्रकार एक वैश्विक नेतृत्व की क्षमता प्राप्त कर चुके हैं ? इससे यह भी स्पष्ट हो जाता है कि हमारे प्रधानमंत्री के बिना इस समय विश्व राजनीति का एक इंच आगे बढ़ना भी असंभव हो गया है।
कल परसो तक जो देश हमारे नेतृत्व या हमारी क्षमताओं पर हमें अंगूठा दिखाया करते थे अब वे हमारी ‘गंभीर सलाह’ के लिए तड़पते दिखाई देते हैं।
  वास्तव में प्रधानमंत्री श्री मोदी ने भारत में तेजस्वी राष्ट्रवाद की हवा को जिस प्रकार तेज किया है उससे भारत एक नए आत्मविश्वास से भरा हुआ और आगे बढ़ता हुआ दिखाई देता है। श्री मोदी 21वीं सदी के उस भारत का नेतृत्व कर रहे हैं जो प्रत्येक प्रकार से वैश्विक नेतृत्व के लिए अपने आपको प्रस्तुत करने की पूर्ण तैयारी करता हुआ दिखाई दे रहा है। वह किसी भी बिंदु पर और किसी भी मोड़ पर भारत को किसी का पिछलग्गू दिखाना नहीं चाहते। इसके विपरीत प्रधानमंत्री भारत को एक सक्षम, सफल, समर्थ और वैश्विक नेतृत्व देने की ऊर्जा से भरे हुए राष्ट्र के रूप में स्थापित करने के प्रति संकल्पित दिखाई देते हैं। उनका अपना आत्मविश्वास और लक्ष्य के प्रति समर्पण का भाव इस समय भारत का आत्मविश्वास और लक्ष्य के प्रति समर्पण के भाव के रूप में परिवर्तित हो चुका है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अमेरिका दौरे पर देश की प्रमुख विपक्षी पार्टी कांग्रेस चाहे जो दृष्टिकोण अपनाए परंतु वैश्विक दृष्टिकोण से यदि उनकी यात्रा को देखा जाए तो यह यात्रा अति महत्वपूर्ण है। विशेष रूप से इसलिए भी कि अमेरिका के नए राष्ट्रपति के साथ हमारे प्रधानमंत्री श्री मोदी की पहली बैठक हुई है। अभी तक श्री मोदी ने अपनी पहली बैठक में अमेरिकी उपराष्ट्रपति कमला हैरिस के साथ पाक प्रायोजित आतंकवाद पर अपनी स्पष्ट और सटीक टिप्पणी दी है। प्रधानमंत्री श्री मोदी ने यह स्पष्ट कर दिया है कि भारत सहित विश्व में जिस प्रकार की आतंकी गतिविधियां बढ़ रही हैं उनमें पाकिस्तान का योगदान बहुत अधिक है। अपनी इस प्रकार की मुहिम से प्रधानमंत्री पाकिस्तान को एक आतंकी राष्ट्र घोषित करा देना चाहते हैं। उनके प्रयास रंग लाते हुए भी दिखाई दे रहे हैं। क्योंकि उनकी बातों से वैश्विक मंचों पर अधिकांश देश सहमत होते हुए दिखाई देते हैं। यदि राजनीतिक पूर्वाग्रहों के कारण चीन भारत के साथ ३६ का आंकड़ा न बनाए तो इस समय लगभग सारी दुनिया पाकिस्तान को एक आतंकी राष्ट्र मान चुकी है।
   प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन  ने व्हाइट हाउस में पहली बार आमने-सामने की मुलाकात में कोरोना महामारी, जलवायु परिवर्तन का मुकाबला करने, आर्थिक सहयोग और अफगानिस्तान में चल रही स्थिति सहित कई मुद्दों पर चर्चा की। बैठक के बाद बाइडेन ने अमेरिका-भारत के बीच बढ़ती प्रगाढ़ता का उल्लेख किया। अमेरिकी राष्ट्रपति को प्रधानमंत्री मोदी अपनी पहली ही मुलाकात में प्रभावित करने में सफल रहे। यही कारण रहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपना मित्र बताया। बाइडन ने कहा-“अपने मित्र का वाइट हाउस में स्वागत करता हूं। मैंने पीएम मोदी से कहा कि हर रोज इस सीट पर एक भारतीय अमेरिकी बैठती है। कमला हैरिस की मां एक जानी मानी वैज्ञानिक थीं। भारत और अमेरिका विश्व की समस्याओं का हल निकाल सकते हैं। मैंने पहले ही कहा था भारत और अमेरिका सबसे ज्यादा करीबी देश होंगे।’
  अमेरिकी राष्ट्रपति की यह टिप्पणी भारत के प्रति उनके दृष्टिकोण को इंगित करती है। जिससे पता चलता है कि अमेरिका के वर्तमान नेतृत्व की दृष्टि में भी भारत का महत्वपूर्ण स्थान है और अमेरिकी राष्ट्रपति यह भली प्रकार जानते हैं कि वर्तमान में वैश्विक राजनीति बिना भारत के अधूरी है। इसका एक कारण यह भी है कि चीन और रूस जैसी विश्व शक्तियां अमेरिका से बहुत से मुद्दों पर असहमति पूर्ण विरोध रखते हुए दूरी बना कर चलती हैं। जबकि अमेरिका और भारत दोनों लोकतांत्रिक देश होने के नाते एक दूसरे की भावनाओं को कहीं बेहतर समझते हैं। इसलिए विश्व स्तर पर अपने आपको मित्रविहीन देखने की बजाय भारत जैसे मजबूत मित्रों को साथ लेना अमेरिका की वर्तमान राजनीति की अनिवार्य बाध्यता भी है।
किसी भी देश का राजनीतिक नेतृत्व यदि अपनी अनिवार्य बाध्यताओं को अपनी प्राथमिकता बनाने में चूक करता है तो यह उस देश के नेतृत्व की मूर्खता होती है। निश्चित रूप से अमेरिका ऐसी किसी की मूर्खता को नहीं कर सकता जिसे विश्व का नेतृत्व करते हुए दशक गुजर गए हैं और जो अभी भी यह सोचता है कि विश्व को अभी लंबे समय तक उसे नेतृत्व देना है।
इस समय चीन यह भली प्रकार समझता है कि भारत उसके साथ कभी भी आने वाला नहीं है। क्योंकि भारत चीन के साथ अपने सीमा संबंधी विवादों को अब गंभीरता से ले रहा है ।चीन यह भी समझ चुका है कि आज का भारत उसकी चाल को समझ चुका है। इसके साथ ही रूस का वर्तमान नेतृत्व भी यह जानता है कि आज का भारत किसी के पीछे चलने वाला भारत नहीं है। वह अपनी राह बनाना जानता है ।यही कारण है कि  रूस की ओर से अब भारत पर विश्व में अपने मित्र बनाने ना बनाने का कोई दबाव नहीं आता। यदि चीन के साथ साथ ब्रिटेन और फ्रांस जैसी विश्व शक्तियों की बात की जाए तो उनका सितारा इस समय ढलाव की ओर है । जो अब स्वयं किसी दूसरे का सहारा लेकर चलने की स्थिति में आते जा रहे हैं। उन्हें उठता हुआ और उभरता हुआ भारत अब अपना सहारा दिखाई देने लगा है। यह कम आश्चर्य की बात नहीं है कि जो ब्रिटेन कल परसो तक भारत पर राज करता था अब वह भारत के सहारे को अपने लिए महत्वपूर्ण मानता है।
   यही कारण रहा कि भारत की मित्रता की अनिवार्यता को समझते हुए बाइडेन ने आगे कहा, “भारत और अमेरिका के संबंधों को और मजबूत होना है। आज भारत और अमेरिका अपनी मित्रता का नया अध्याय आरम्भ करेंगे। सबसे पहले कोरोना के विरुद्ध लड़ेंगे। हमारी जो पारस्परिक साझेदारी है हम चाहते हैं इसमें एक विविधता हो। यहां 4 मिलियन भारतीय मूल के लोग है जो हमें और ज्यादा मजबूत बनाते हैं। अगले सप्ताह महात्मा गांधी जन्म शताब्दी मनाएंगे। उनके बताए हुए अहिंसा के पाठ को दोहराएंगे।”
  अमेरिकी राष्ट्रपति ने अपने इन शब्दों में भारत की सांस्कृतिक विरासत के उन मूल्यों को नमन किया है जो अहिंसा, सत्य, त्याग , समर्पण और  विश्व बंधुत्व की भावना को प्रकट करते हैं।
   भारत के प्रधानमंत्री श्री मोदी ने भी संपूर्ण राष्ट्र का प्रतिनिधित्व करते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति के शहद और भावपूर्ण शब्दों का प्रतिउत्तर देते हुए कहा कि – “भारतीय प्रतिनिधिमंडल का स्वागत करने के लिए मैं आपको बहुत-बहुत धन्यवाद देता हूं। 2014 में मुझे आपसे विस्तार से बात करने का मौका मिला। उस समय आपका भारत अमेरिका के संबंध मे जो दृष्टिकोण था वो बहुत प्रेरक था। राष्ट्रपति के रूप में इस दृष्टिकोण को आगे बढ़ाने का प्रयास कर रहे हैं, उसका मैं स्वागत करता हूं।”
  अपनी इस कूटनीतिक और सधी हुई भाषा शैली में प्रधानमंत्री श्री मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति को यह आभास करा दिया कि उन्होंने अब से पूर्व भारत के प्रति जिस प्रकार का दृष्टिकोण व्यक्त किया था संपूर्ण भारतवर्ष उनके उस दृष्टिकोण का स्वागत करते हुए आज भी यह अपेक्षा करता है कि वे उसे इसी दृष्टिकोण से देखें।
विश्व राजनीति में हर देश अपने राष्ट्रीय हितों को प्राथमिकता देता है। जब दो नेता मिलते हैं तो दोनों अपने-अपने हितों को प्राथमिकता देते देते एक दूसरे की प्रतिष्ठा, सम्मान और राष्ट्रीय हितों को समझने और उनका सम्मान करने का भी प्रयास करते हुए दिखाई देते हैं। यद्यपि उनका यह प्रयास कई बार कोरा नाटक होता है । इस प्रकार की वार्ताओं में हर स्थिति में अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा करते हुए अपना कूटनीतिक और राजनीतिक कौशल प्रकट करने की आवश्यकता होती है। निश्चित रूप से प्रधानमंत्री श्री मोदी अपनी इस यात्रा में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाईडेन के समय इक्कीस ही सिद्ध हुए हैं।
यह हम सब भारतवासियों के लिए गर्व और गौरव का विषय है कि 21 वी सदी का भारत सारे संसार पर इक्कीस ही सिद्ध हो रहा है। आगे बढ़ते हुए भारत ने कोरोना जैसी महामारी को झेलते हुए भी अपने आपको वैश्विक नेतृत्व के लिए उसी उत्साह के साथ प्रस्तुत किए जाने की अपनी वर्तमान उत्कंठा को यथावत जारी रखा है जैसी उत्कंठा की अपेक्षा थी । प्रधानमंत्री श्री मोदी के नेतृत्व में भारत ने फिर एक बार स्पष्ट कर दिया है कि उसे कोई तूफान रोक नहीं सकता और किसी भी प्रकार की बाधा उसके मार्ग को बदल नहीं सकती।

डॉ राकेश कुमार आर्य
संपादक : उगता भारत

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