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इतिहास के पन्नों से

*गुर्जर विद्या सभा बुजुर्गों के समर्पण निष्ठा से सिंचित विद्या वृक्ष बेहद अनूठा है ,इसके फैलने फूलने का इतिहास*।


लेखक आर्य सागर खारी✍✍✍
आज 22 सितंबर 2021 को उत्तर प्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री महंत योगी आदित्यनाथ जी गुर्जर विद्या सभा दादरी द्वारा संचालित 6 शैक्षणिक संस्थाओं जिसमें बालक बालिकाओं के लिए दो इंटर कॉलेज दो परास्नातक महाविद्यालय मोंटेसरी स्कूल औधोगिक प्रशिक्षण संस्थान शामिल है उन्हीं में से एक मिहिर भोज पीजी कॉलेज के प्रांगण में चक्रवर्ती गुर्जर सम्राट मिहिर भोज की प्रतिमा का अनावरण करेंगे। योगी आदित्यनाथ देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश के तीसरे मुख्यमंत्री होंगे जो इस ऐतिहासिक संस्था में किसी कार्यक्रम का लोकार्पण शिलान्यास कर रहे हैं। गुर्जर विद्या सभा इन सभी शैक्षणिक संस्थाओं की सर्वोच्च मातृभूमि प्रशासक नियंत्रक संस्था है जिसकी स्थापना बेहद अनोखे प्रेरणा युक्त प्रसंग से होती है। देश की आजादी से पूर्व 1944 ईस्वी के आसपास दादरी क्षेत्र में डिग्री कॉलेज की तो बात छोड़िए आठवीं तक का कोई मान्यता प्राप्त संस्थान नहीं था। दादरी का सामाजिक ताना-बाना बड़ा ही मिलनसार सद्भावना युक्त रहा है। 19 45 ईसवी में दादरी के ही छोटे से गांव नई बस्ती के जमीदार सामाजिक मिलनसार प्रवृत्ति के बुजुर्ग स्वर्गीय रज्जू नंबरदार जी अपने पड़ोस के गांव खदेडा में अपने मित्र जाट जमीदार ऑनरेरी मजिस्ट्रेट चौधरी मुख्तार सिंह के सादर निमंत्रण पर खदेड़ा के जाट जमीदार परिवार से एक बरात में शामिल होने बुलंदशहर जनपद के लखावटी के पास पाली घूमरावली गांव में गए थे। वहां दूरदर्शी विलक्षण प्रतिभा के धनी स्वर्गीय रज्जू नंबरदार जी ने यह अनुभव किया इस गांव में जहां जाट परिवार बरात लेकर आया है जिस परिवार में यह बरात आई है इस परिवार के लोग विशेषकर युवक बहुत शिक्षित हैं सभी बहुत उत्तम दर्जे के एहलकार हैं अर्थात सरकारी राज् कर्मचारी हैं। उन्होंने उस गांव की उच्च साक्षरता समृद्धि के विषय में पूछा और उनकी प्रशंसा करते हुए कहा कि मैंने गुर्जर ओर जाटों में घोडा-तोडा (ठाट बाट) वाली तो बहुत शादियां की हैं। लेकिन इतने शिक्षित शालीन लोग पहली बार ऐसे समारोह में देखे हैं। स्थानीय लोगों ने बताया यह सब हमारे पास के लखावटी हाई स्कूल का परिणाम है जब से यह संस्था यहां पर स्थापित हुई है यहां की शिक्षा में बहुत बढ़ोतरी हुई है। शिक्षा प्रेमी स्वर्गीय रज्जू नंबरदार ने भाप लिया आने वाले जमाना कलम का जमाना है अब तलवार से कोई काम नहीं होने वाला। बरात से सीधे लौटते हुए उन्होंने यह काबिले तारीफ प्रकरण अपने मित्र दादरी के ही स्वराजपुर गाँव के बुजुर्ग जिन्हें मुनीमजी कहा जाता था उनकी दादरी कस्बे के काठ मंडी में आढत का बड़ा कारोबार था वहां दादरी क्षेत्र के गुर्जर समाज के गणमान्य चौधरी पंच सरपंच मुखिया नंबरदार आते रहते थे। वहां पर बैठकर हुक्का पान करते थे सामाजिक प्रसंगों पर ज्वलंत मुद्दों पर अंतहीन चर्चाएं चलती थी। रज्जू नंबरदार जी ने उन सभी से कहा जिनमें दुजाने के रतिराम सरपंच जी चीती के शादी राम मजिस्ट्रेट जी सहित गणमान्य दर्जनों बुजुर्ग काठ मंडी में उपस्थित थे कहा कि अपने समाज की शिक्षा का भी जरा ख्याल रखिए अब ऐसे गुजारा होने वाला नहीं है। उन्होंने बरात का सारा प्रसंग उन्हें सुनाया। यह सब वृत्तांत सुनकर बुजुर्गों के हृदय में शिक्षा के प्रचार प्रसार को लेकर हलचल मच गई। सभी ने अनुभव किया एक शैक्षणिक संस्था शिक्षा में पिछड़े हुए हमारे क्षेत्र समाज की तस्वीर बदल सकती है। उन्हीं दिनों गुर्जरों के खारी गोत्र के गांव खैरपुर गुर्जर के बाबूराम गुप्ता जी काठ मंडी में ही रहते थे वह अपने प्रयास से 20-25 छात्रों को अनौपचारिक शिक्षा प्रदान कर रहे थे। स्वर्गीय रज्जू नंबरदार सहित सभी बुजुर्गों को जब पता चला तो वह उनके पास गए और उनसे कहा लाला जी आप बहुत अच्छा कार्य कर रहे लेकिन आपके पास संसाधन नहीं है हमने यह निश्चय किया है हम आपको वेतन भी देंगे और आपकी एक छप्पर में यह अस्थाई पाठशाला चल रही है हम 8 पक्के छप्पर बनवा देते हैं आप समाज के बच्चों को भी पढ़ाइए उदार हृदय के धनी बाबूराम गुप्ता जी ने यह प्रस्ताव तुरंत स्वीकार कर लिया वहीं से नींव पड़ी 1945 ईस्वी की गर्मियों में गुर्जर पाठशाला की। बुजुर्गों के समर्थन व सहयोग से 1948 ईस्वी में इस संस्था को मान्यता मिल गई इसका नामकरण हुआ गुर्जर हाईस्कूल यह 8 ,10 झोपड़ियों में ही चलती रही एवं इसके 2 सेक्शन बनाए गए अ और ब इसमें दनकौर दादरी ही नहीं दिल्ली तक के विद्यार्थी पढ़ने के लिए आते थे। बागपत के शिक्षित ब्राह्मण और राजनीतिक परिवार के शोभाराम शर्मा को इस संस्था का प्रधानाचार्य नियुक्त किया गया कालांतर में शोभाराम शर्मा के एक भाई चिंतामणि शर्मा दिल्ली की शाहदरा विधानसभा के कांग्रेस से विधायक हुए उनके सहयोग से उन्होंने दादरी में जनता इंटर कॉलेज की स्थापना की । जयप्रकाश शर्मा खेमचंद शर्मा महेंद्र सिंह राजपूत जो दादरी के ही निवासी थे उन्हें भी सहायक अध्यापक वेतन पर रख लिया गया सभी को वेतन गुर्जर विद्या सभा देती थी अर्थात गुर्जर विद्या सभा ने सर्व समाज की यथा योग्य सेवा ली लेकिन अनुशासन नियमों के साथ कोई समझौता नहीं किया जैसे ही कोई मुख्य अध्यापक अनियमितता लापरवाही प्रदर्शित करता या अलग खिचडी पकाता उसे संस्थान से बाहर का रास्ता दिखा दिया जाता संस्था से निष्कासित होने वाले संस्था के मैनेजर वकील लेखराम नगर दादूपुर वालों के द्वारा निष्कासित होने वाले शोभाराम शर्मा उन्हीं में से एक मुख्य अध्यापक थे। यह वही लेख राम नागर है जिनके सुपुत्र देवराज नगर अखिल भारतीय पुलिस सेवा में चयनित होकर अखिलेश सरकार में उत्तर प्रदेश पुलिस के मुखिया डीजीपी बने। विषय की ओर लौटते हैं वर्ष 1952 आते-आते अर्थात देश की आजादी के पश्चात इस संस्था की ख्याति दूर-दूर तक फैल गई अब झोपड़ियों में संस्थान चलाना संभव नहीं रहा संस्था की शैक्षणिक गुणवत्ता इतनी उत्तम थी यह संस्था आठवीं छठी सातवीं कक्षा में प्रवेश के लिए स्क्रीनिंग टेस्ट लेती थी दादरी क्षेत्र के सभी सम्मानित बुजुर्ग एकत्रित होकर महान स्वतंत्रता सेनानी गांधीवादी राजनेता प्रसिद्ध आर्य समाजी विचारक योग शिक्षक प्राकृतिक चिकित्सा के विद्वान रामचंद्र विकल जी के पास जो तत्कालीन उत्तर प्रदेश विधान परिषद के सदस्य ताजा ताजा निर्वाचित हुए थे और जिनके अभिन्न मित्र स्वतंत्रता सेनानी प्रख्यात विधिवेता भारत रत्न से सम्मानित देश के चौथे गृहमंत्री पंडित गोविंद बल्लभ पंत उत्तर प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री निर्वाचित हुये थे। सभी बुजुर्गों ने विकल जी से पक्के विद्यालय के भवन भूमि आदि संसाधनों की मांग की। यहां यह उल्लेखनीय होगा कि स्वर्गीय रामचंद्र विकल जी आला दर्जे के शिक्षाविद भी थे बहुत कम लोग जानते हैं उन्होंने उत्तर प्रदेश में बिना क्षेत्रीय भेदभाव के 100 से अधिक प्राइमरी विद्यालय दर्जनों कॉलेजों की स्थापना की थी मेरठ , कानपुर मेडिकल कॉलेज फैजाबाद का जिसका नाम योगी जी ने अब अयोध्या कर दिया है उसमें कृषि कॉलेज की स्थापना विकल जी ने हीं की थी इसके अतिरिक्त फूलपुर फर्टिलाइजर फैक्ट्री की स्थापना विकल जी नहीं की थी विकल जी हिंदी संस्कृत सहित 4 भाषाओं के जानकार थे गुरुकुल महाविद्यालय ज्वालापुर हरिद्वार से उन्होंने विद्यावाचस्पति की उपाधि ली थी। क्रांतिकारी आर्य समाजी सन्यासी भीष्म जी उनके गुरु थे । विषय की और पुन: लौटते हैं स्वर्गीय विकल जी ने उन आदरणीय बुजुर्गों से कहा कि अब आपका काम खत्म यहां से मेरा दायित्व शुरू होता आप निश्चित रहिए मैं पंत जी को लाता हूं और काठ मंडी के सामने जीटी रोड पर स्थित अंग्रेजी राज की निष प्रयोजन पड़ी भूमि पर सैनिक पड़ाव की भूमि में ही इंटर कॉलेज की स्थापना 1953 की सर्दियों में कराऊंगा। स्वर्गीय विकल जी जुबान के पक्के थे यही हुआ तय कार्यक्रम के अनुसार पंडित गोविंद बल्लभ पंत पूरे लाव लश्कर के साथ दादरी सैनिक पड़ाव की भूमि पर आए और शिलान्यास कर गुर्जर इंटर कॉलेज की स्थापना 1953 की। यहां पर एक रोचक प्रसंग घटित होता है जैसे ही पंत जी ने शिलान्यास किया उत्तर प्रदेश शासन के चीफ सेक्रेटरी उनके साथ थे उन्होंने पंत जी को बताया पंत जी यह जमीन सैनिक छावनी की है उत्तर प्रदेश सरकार का इस पर कोई स्वामित्व नहीं है यह देश की पहली भारत सरकार कैबिनेट के तहत गठित रक्षा मंत्रालय की जमीन है अर्थात नेहरू कैबिनेट के पहले रक्षा मंत्री बलदेव सिंह जी के यह मंत्रालय का मामला था। पंत जी बड़े आश्चर्यचकित हुए उन्होंने को कोतहूल भरे लहजे में विकल जी से कहा विकल जी विकल जी यह आपने मुझसे क्या करा दिया? यह तो गड़बड़ हो गई। आपने मुझे बताया क्यों नहीं था तो विकल जी ने कहा बताया नहीं था लेकिन अब तो आपको पता चल गया है पंत जी ने कहा अब क्या करें करना क्या है लखनऊ नहीं दिल्ली चलते हैं तुरंत विकल जी उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री मंत्री पंत जी लखनऊ की ओर गाड़ी में रवाना हो गए वहां सीधे रक्षा मंत्री से मिले रक्षा मंत्री जी ने बिना देर किए जमीन को गुर्जर इंटरमीडिएट स्कूल ट्रस्ट के नाम ट्रांसफर कर दिया अर्थात जमीन स्वामित्व हस्तांतरण की सारी कार्यवाही या 1 दिन में पूरी हो गई सचमुच विकल जी बहुत फौलादी राजनेता थे। दिल्ली से वापस लौटते हुए विकल जी ने पंथ जी से कहा पंत जी आप परेशान मत होइए मेरा समाज बहुत त्यागी है वह भवन इस पर अपने आप बना लेगा उनको भूमि जैसा संसाधन मिल गया है। 1953 में ही दान एकत्रित करने के लिए आर्य समाज के प्रसिद्ध भजन उपदेशक विचारक पृथ्वी सिंह बेधड़क को गुर्जर इंटर कॉलेज के प्रांगण में बुलाया गया उनका 3 दिन का कार्यक्रम कराया गया वह बहुत ओजस्वी कवि व भजन उपदेशक थे उनके भजन सीधे हृदय के तारों को छूते थे। कार्यक्रम के पहले दिन ही लेख राम जी को मैनेजर आचार्य मास्टर हरबंस जो बरेली गंगा पार के गुर्जर जमीदार परिवार से संबंध रखते थे उन्हें सेक्रेटरी छितर ठेकेदार वैदपुरा को कमेटी का संरक्षक नियुक्त किया गया बहुत से सम्मानित बुजुर्गों को कार्यकारिणी में स्थान दिया गया। यहा मैं आचार्य मास्टर हरबंस जी के विषय में उलेख करना चाहूंगा यह आर्य समाज के उच्च कोटि के विद्वान व्याख्याता थे हिंदी इंग्लिश उर्दू अंग्रेजी सहित 7 भाषाओं के जानकार थे ऐतिहासिक गुरुकुल महाविद्यालय सिकंदराबाद के यह मुख्य आचार्य थे गुर्जर विद्या सभा नाम इन्होंने ही सुझाया था सर्वोच्च संस्था अब होनी चाहिए यह इनके दिमाग की उपज थी। यह भी रामचंद्र विकल जी के लंगोटिया मित्र थे। जब जलसा कार्यक्रम का दूसरा दिन आया जो दांन संग्रह के लिए आयोजित किया जा रहा था वहां श्रोताओं की भीड़ में गुलस्तानपुर गांव के जमींदार परिवार के पूर्ण सिंह भाटी भाटी के साथ विवाहित भूरो देवी नामक विधवा महिला ने दान की महिमा विषयक प्रेरक प्रसंगों को सुना विद्या दान की महत्ता के विषय में सुना तो भूरो देवी ने अपनी जमीन में से 100 बीघा जमीन दान में देने की तुरंत सभा मंडप में ही घोषणा कर डाली। यहां मैं स्वर्गीय माता भूरो देवी के त्याग समर्पण की विशेष प्रशंसा करना चाहूंगा भूरो देवी दान प्रिय महिला थी जिसका मायका दिल्ली का तंवर गोत्र का फतेहपुर गांव था। स्वर्गीय भूरो देवी पहली और अंतिम महिला ही नहीं आज तक गुर्जर विद्या सभा को दान देने वालों में शामिल पहला व्यक्तित्व मातृशक्ति है जिसने संस्था के लिए भूमि का दान दिया था। स्वर्गीय रज्जू नंबरदार जी ने तन मन धन से सहयोग किया वैचारिक सूत्रपात किया लेकिन उन्होंने भूमि का दान नहीं किया था यह सच्चाई है। भूरो देवी जी ने जो भूमि दान दी वह इंटर कॉलेज प्रांगण से 10 किलोमीटर दूर गुलिस्तानपुर गांव के जंगल में आज के सूरजपुर कासना रोड एलजी कंपनी के पास स्थित थी। अब समस्या यह थी यह केवल इंटर कॉलेज था कोई आवासीय विद्यालय या कृषि कॉलेज नहीं था कि उस जमीन पर खेती कराई जाती विद्या सभा के पास धन अभाव था कालांतर में 100 बीघा भूमि को बेचकर कर पहले 10 कक्षों का निर्माण कराया गया । जब जलसे मे भूरो देवी ने दान की उदघोषणा की तो पृथ्वी सिंह बेधड़क ने तुरंत कविता बनाई और उस कविता के बोल इस प्रकार थे।

भाटियो की दादरी
भूरो की बिरादरी
आ जाओ जंगे -ए-मैदान में

उसी दौरान पूरा पंडाल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा 3 महीने के दौरान एक लाख दान संग्रह का लक्ष्य बनाया गया पृथ्वी सिंह बेधड़क ने कहा हताश मत होइए यह लक्ष्य आप लोगों के सामने बहुत थोड़ा है उन्होंने समझाया हजार व्यक्ति परिवार ₹100 देंगे तो 1 लाख 2000 व्यक्ति 50 ₹50 देंगे तो 1लाख 4000 परिवार 25 ₹25 देंगे तो एक लाख और 8000 परिवार साढे₹12 देंगे तो एक लाख । पृथ्वी सिंह बेधड़क इस आंकड़े को हटाते हटाते ₹1 प्रति परिवार तक ले आए और कहा तुम्हारे यहां 360 गांव है क्या इतना भी नहीं कर सकते लोगों में बुजुर्गों में सुनते ही उत्साह का संचार हो गया 3 महीने नहीं 2 महीने में यह दान ₹1लाख की धनराशि का संग्रह हो गया 1950 के दशक में यह धनराशि करोड़ों अरबों के समतुल्य थी। उस के बाद गुर्जर विद्या सभा ने पीछे मुड़कर नहीं देखा 1968 में इंटर कॉलेज से डिग्री कॉलेज की स्थापना की गई उस कार्यक्रम में भारत सरकार के तत्कालीन शिक्षा मंत्री जादवपुर विश्वविद्यालय बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर पदम विभूषण से सम्मानित तत्कालीन राज्यसभा सांसद डॉ त्रिगुणा सेन आये थे वह बड़े प्रसन्न हुए थे उन्होंने संस्थान की गतिविधियों की भूरी भूरी प्रशंसा की थी। इस संस्थान को परोपकारी बुजुर्गों ने अपने खून से सीखा है उन सभी हस्तियों का जिनका मैंने उल्लेख किया है उन्होंने अपनी आहुति इसको स्थापित करने में दी है इसके अलावा भी ऐसे सैकड़ों हजारों परोपकारी व्यक्ति थे जिनका यहां उल्लेख नहीं है किसी ने तन से तो किसी ने मन से किसी ने धन से योगदान दिया। वर्ष 2001 आते-आते संस्थान को अनेक विषय में परास्नातक मान्यता व शोध उपाधि की भी मानता मिल गई आज की गुर्जर विद्या सभा का स्वरूप आप सभी के सामने आप सभी भली-भांति विचार कर सकते हैं हमारे लिए हर्ष का विषय है फिर प्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इस गौरवशाली संस्थान में आ रहे हैं लेकिन यहां केवल प्रतिमा का अनावरण ही नहीं इस संस्थान को अब विश्वविद्यालय का दर्जा मिलना चाहिए जिसकी यह संस्था हकदार है तभी सही मायनों में पहले से ही गौरवशाली संस्थान के गौरव वैभव में इति वृद्धि होगी।

आर्य सागर खारी✍✍✍

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