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आतंकवाद

अमेरिका की बेवकूफी से पूरे एशिया में बढ़ा खतरा

बामियान(अफगानिस्तान)में २००० वर्ष पुरानी विशाल बुद्ध प्रतिमा को आधुनिक विस्फोटों से सरकारी तौर पर चकनाचूर किये जाने की घटना को कुछ इस समय बीता था कि अमरीका में १/०९/२००१ को वर्ल्ड ट्रेड सेंटर के दो ३०० मीटर से ऊंचे टावरो और सेना मुख्यालय (पेंटागन) पर हुए विमान विस्फोटों में तालिबान का नाम फिर सुर्खियों में आ गया था।भले ही आज इस घटना को अंजाम देने से तालिबान मुकर रहा हो।इस आक्रमण में २०,००० से अधिक निर्दोष नागरिकों के मारे जाने की आशंका हैं।भारत भी कश्मीर में इन तालिबानों की हरकतों से त्रस्त रहा हैं।

विश्व के अधिकांश देशों की अपील को ठुकरा कर तालिबान ने इन जड़ मूर्तियों के प्रति कोई सहानुभूति नही दिखाई।उनका बार-बार यह कहना था कि “उनके इस्लाम मजहब की मांग है कि इन मूर्तियों का नामोनिशान इस्लामी देश अफगानिस्तान से मिटा दिया जाए।”
घटना के तुरंत बाद ही तालिबान द्वारा अफगानिस्तान के हिंदू और सिख नागरिकों और स्त्रियों पर ऐसे प्रतिबंध लगाए गए,जिनकी सभी सभ्य देशो ने आलोचना की।यहाँ भी यही दलील दी गई कि ऐसा करना इस्लामी शासन का धार्मिक कर्तव्य हैं,आज इतिहास स्वयं को पुनः दोहरा रहा है।

अब जबकि २० वर्ष पश्चात अपना पीटा मुँह ले कर अफगानिस्तान से भाग गया है।वहाँ से राष्ट्रपति जो बाइडन भले ही अफगानिस्तान में अमेरिका के सबसे लंबे युद्ध की समाप्ति का श्रेय ले रहे हो,मगर उनकी बेवकूफी के कारण पूरे क्षेत्र को उन्होंने खतरे में डाल दिया है।विश्व भर में इस्लामी जेहादियों का मनोबल बढ़ा हैं।
भारत को अमेरिका का नए सिरे से आकलन करना चाहिए,क्योंकि अमेरिका का व्यवहार संदिग्ध हो चला है।बाइडन ने अफगानिस्तान को पाकिस्तान व चीन को एकतरह से सौप दिया है।अफगानिस्तान पर जेहादी तालिबान समूहों का कब्जा अंतरराष्ट्रीय जेहादी मुहिम के लिये बड़ी जीत मानी जा रही हैंअमेरिका में सत्ता परिवर्तन के कुछ महीनों पश्चात ही इस्लामी जेहादियों ने अफगानिस्तान पर जबरन कब्जा कर लिया।

यह स्मरण रखना चाहिए कि अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन वामपंथी विचारधारा से प्रभावित है और चीन एक वामपंथी धूर्त देश है।अमेरिका का अफगानिस्तान से रातो-रात भाग आना,संदेह उत्पन्न करता है।
विश्व के दुर्दांत इस्लामी जेहादी ओसामा बिन लादेन को जब अमेरिका ने पाकिस्तान में घुसकर मारा था।तो लादेन के परिसर से एक पत्र मिला था।उसमें अलकायदा के लिए यह संदेश था कि “वह (अलकायदा) तत्कालीन उप-राष्ट्रपति बाइडन को निशाना न बनाये,क्योंकि उनके एक दिन राष्ट्रपति बनने की संभावना है और चूंकि वह काबिल नही है,तो निश्चित ही अमेरिका को किसी संकट में झोंक देंगे।” अर्थात लादेन का आकलन आज सही साबित हो रहा है और आज अफगानिस्तान में तालिबान के गठजोड़ चीन,पाकिस्तान और तुर्की से हो रहा है।जो विश्व के साथ साथ भारत के लिए भी गंभीर खतरा है।

एक बात ध्यान देने योग्य हैं कि अलकायदा के विषय मे तालिबान ने उसके विरुद्ध एक शब्द भी नही बोला हैं।
अक्टूबर २०१५ में जनरल एफ.कैपेबल के नेतृत्व में अमेरिकी सेनाओ ने दक्षिणपूर्वी अफगानिस्तान में अलकायदा के सबसे बड़े जेहादी अड्डो का पता लगाया था।जो करीब ३० मील के हिस्से में फैला हुआ था।वहाँ पर अलकायदा व तालिबान के जेहादी एक साथ प्रशिक्षण लेते थे व इन अड्डो का संचालन दोनों एक साथ कर रहे थे।इन दोनों संबंध आज भी बना हुआ है।संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की एक रिपोर्ट इसको सिद्ध भी करती हैं।ऐसे में उसपर शिकंजा कसा जाना चाहिए था,उसके उलट अमेरिका अफगानिस्तान में करोड़ो डॉलर के अत्याधुनिक हथियार छोड़ आया।जो कि अब तालिबानियों के कब्जे में है।यह वही तालिबान हैं जिसके हाथ २,००० से अधिक अमेरिकी सैनिको के रक्त से सने है।

ऐसा प्रतीत होता है कि अमेरिका अपनी वैश्विक प्रतिबद्धताओ से कदम पीछे खींच रहा है।बेशर्मी की हद तो इस धूर्त अमेरिकी बूढ़े राष्ट्रपति ने यह शिगूफा छोड़ कर कि तालिबान अच्छे भी हैं और बुरे तालिबान भी है;जैसे बाइडन ने आईएस-खुरासान को तालिबान के दुश्मन बताया;जबकि उसने इस तथ्य को अनदेखा कर दिया कि चाहे अलकायदा हो या आईएस-खुरासान या हक्कानी सभी स्वतंत्र व उदार विश्व के शत्रु ही हैं,इन सबकी एक साझा इस्लामी जेहादी विचारधारा हैं,जो हिंसा की जनक है।इन आतंकी समूहों के जेहादी एक-दूसरे धड़ो में सम्मिलित होते रहते है।यहाँ तक कि उनके आपस मे पारिवारिक वैवाहिक संबंध भी बनते रहते है।
अंत मे इतना ही कहूँगा कि बाइडन ने पूरे विश्व का ध्यान कोरोना रिपोर्ट से विलग कर और चीन का बचाव करते हुए अफगानिस्तान की ओर लगा दिया है।बाइडन ने अपनी धूर्त वामपंथी विचारधारा को बखूबी अंजाम दिया है।आज अमेरिका की अंतरराष्ट्रीय साख धूमिल हो चुकी हैं और शायद यह सिलसिला आगे भी चलेगा।भारत को अब स्वयं के दम पर इस इस्लामी जिहाद से लड़ना होगा,मोदीजी ने विश्व समुदाय को अपनी आगामी रणनीति से अवगत करा भी दिया है।अब हमको एक भारतीय नागरिक के नाते अपनी भूमिका भी तय कर लेनी चाहिए..!!

संजीव कुमार पुंडीर

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