दादरी। यहां ग्राम आकिलपुर जागीर में आर्य समाज की ओर से योगिराज श्री कृष्ण जी महाराज के जन्मोत्सव जन्माष्टमी के अवसर पर एक यज्ञ का आयोजन किया गया जिसमें बड़ी संख्या में लोगों ने भाग लिया । इस अवसर पर एक प्रस्ताव पारित कर केंद्र सरकार से मांग की गई है कि अफगानिस्तान से आने वाले शरणार्थियों को शरण न दी जाए ।
सभी वक्ताओं का मत था कि हमारी उदारता का मुस्लिम शरणार्थियों ने हमेशा गलत फायदा उठाया है । अब केंद्र सरकार को इतिहास से सबक लेते हुए ऐसी किसी उदारता को दिखाने की गलती नहीं करनी चाहिए।
इस संबंध में आर्य प्रतिनिधि सभा जनपद गौतम बुद्ध नगर के प्रधान और आर्य समाज के क्रांतिकारी नेता महेंद्र सिंह आर्य ने प्रस्ताव का सुझाव दिया जिसे सभा के समक्ष इतिहास विद डॉक्टर राकेश कुमार आर्य ने प्रस्तुत किया । जिसका सभी उपस्थित लोगों ने समर्थन किया।
डॉ आर्य ने अपने संबोधन में कहा कि हमने इतिहास में अपनी सद्गुण विकृति की प्रवृत्ति के चलते कई बार ठोकरें खाई हैं। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि जैसलमेर के राजा लूणकरण भाटी के समय में अफगानिस्तान से ही एक पठान शासक उनका शरणार्थी बनकर आ गया था। बाद में उसने ही राजा लूणकरण के साथ विश्वासघात किया और राजा को धोखे से मारने में सफल हो गया । इतिहास की ऐसी अनेकों घटनाएं हैं, जिनमें हमने विदेशी तथाकथित शरणार्थियों से धोखा खाया है। इसलिए अब केंद्र सरकार को सावधानी से आगे बढ़ना चाहिए ।
इसी विषय में आर्य प्रतिनिधि सभा जनपद गौतम बुद्ध नगर के प्रधान महेंद्र सिंह आर्य ने कहा कि आर्य समाज पहले दिन से ही क्रांतिकारी पैदा करता रहा है। आज भी उसके पास क्रांतिकारियों की एक बड़ी फौज है । यदि केंद्र सरकार हमारे प्रस्ताव को नहीं मानती है और अफगानिस्तानी शरणार्थियों को शरण देने की गलती करती है तो आर्य समाज सड़कों पर उतर कर केंद्र सरकार के इस निर्णय का विरोध करेगा। उन्होंने कहा कि लचीलेपन और उदारता से हमने बहुत कुछ खोया है । अब हमें इतिहास से सबक लेना चाहिए और खोने के लिए नहीं बल्कि कुछ पाने के लिए काम करना चाहिए।
कार्यक्रम में स्वामी मोहन देव जी ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि इस्लाम को मानने वाले लोग कभी भी इस देश के प्रति वफादार नहीं हुए। उन्होंने कहा कि इस्लाम का भाईचारा कभी भी हिंदुओं के साथ मिलकर चलने की प्रेरणा नहीं देता। वह हिंदुस्तान को दारुल हरब की श्रेणी में रखकर इसके इस्लामीकरण की प्रक्रिया को बढ़ावा देने वाले लोगों को ही अपना भाई मानता है। स्वामी चेतन देव जी ने कहा कि देश में जितने भर भी मदरसे हैं वे सब आतंकवाद की शिक्षा देते हैं । यदि श्री कृष्ण महाराज आज होते तो देश के गद्दारों और देश की संस्कृति को मिटाने वाले मदरसों के विरुद्ध कठोर कानूनी कार्यवाही करते।
यज्ञ के ब्रह्मा वेदों के प्रकांड पंडित तथा आर्य समाज के सुप्रसिद्ध विद्वान आचार्य दिवाकर रहे। जिन्होंने आर्य समाज की आध्यात्मिक विचारधारा पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इसी विचारधारा को अपनाकर विश्व शांति स्थापित की जा सकती है। इसी से श्री कृष्ण जी के विचारों का प्रचार-प्रसार किया जा सकता है ।
आर्य समाज जनपद गौतम बुद्ध नगर की ओर से पारित किए गए प्रस्ताव में कहा गया है कि श्री कृष्ण जी महाराज के सपनों का भारत बनाने के लिए हमें गद्दारों आतंकवादियों और देश की एकता और अखंडता के विरुद्ध काम करने वाले लोगों का विनाश करने के लिए संकल्पित होना चाहिए।
कार्यक्रम की अध्यक्षता जयपाल सिंह आर्य द्वारा की गई ।जिन्होंने अपने अध्यक्षीय भाषण में आर्य समाज के क्रांतिकारी विचारों को देश हित में बताते हुए कहा कि इन्हीं विचारों को अपनाकर देश की रक्षा की जा सकती है। उन्होंने कहा कि आर्य समाज की विचारधारा से ही विश्व शांति स्थापित हो सकती है।
कार्यक्रम में आर्य समाज के प्रसिद्ध विद्वान विक्रम देव शास्त्री निधि अपने विचार व्यक्त किए । इस अवसर पर प्रेम सिंह आर्य ,ब्रह्मपाल आर्य , दिवाकर आर्य, विजेंदर आर्य, चतर सिंह आर्य , सूबेदार जतन सिंह, प्रेमचंद आर्य, मेहर चंद महाशय,चौधरी नंदराम सिंह, सतवीर आर्य सहित अनेकों गणमान्य लोगों ने भाग लिया। कार्यक्रम का आयोजन श्री चरण सिंह आर्य और उनके साथियों ने किया। कार्यक्रम का सफल संचालन लीलू आर्य द्वारा किया गया। श्री आर्य ने यज्ञों की महिमा पर प्रकाश डाला और कहा कि श्री कृष्ण जी यज्ञों की रक्षा करने में विश्वास रखते थे।
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