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संपादकीय

पाक अधिकृत कश्मीर के भारत में विलय के दिन अब दूर नहीं

पाकिस्तान चाहे भले ही भारत पर इस समय ड्रोन हमलों में व्यस्त हो, पर भीतर ही भीतर पाकिस्तान और पाकिस्तान का नेतृत्व भारत से भयभीत है। क्योंकि उसे स्पष्ट संदेश दे दिया गया है कि पीओके पर उसका अधिकार पूर्णतया अवैधानिक है। सारा पीओके भारत की है और अब उसे पीओके खाली करने के लिए तैयार रहना चाहिए। भारत के इस प्रकार के स्पष्ट संदेश के बाद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री की नींद हराम हो गई है। क्योंकि यही वह प्रधानमंत्री हैं जो सत्ता में आने से पहले भारत के खिलाफ जहर उगला करते थे और भारत को चुटकियों में खत्म कर देने की धमकी दिया करते थे। आज जब उन्हें यह लग रहा है कि पाक अधिकृत कश्मीर उनके रहते हुए ही भारत लेने में सफल होगा तो उन्हें यह भली-भांति पता चल गया है कि इतिहास में उनका स्थान ऐसी स्थिति में क्या होगा ? यद्यपि पाक अधिकृत कश्मीर में हुए चुनावों में इमरान खान की पार्टी जीत गई है, परंतु इसके बावजूद भारत से मिले संकेतों के बाद इमरान खान की बेचैनी बहुत अधिक बढ़ गई है। भारत सरकार के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने गुलाम कश्मीर में कराये गये तथाकथित चुनाव और साथ ही चीन पाकिस्तान के आर्थिक गलियारे के तर्क को भी पूर्णतया खारिज कर दिया है । भारत की साफगोई और अपने स्टैंड पर मजबूती से खड़े रहने की नीति के चलते पाकिस्तान की सिट्टी पिट्टी गायब है। यह स्थिति तब और भी अधिक चिंताजनक हो गई है जब पाकिस्तान को विश्व मंचों पर किसी भी प्रकार का समर्थन मिलता हुआ दिखाई नहीं दे रहा है।
वैसे पाकिस्तान ने भारत के उच्चायोग के एक अधिकारी को तलब कर गुलाम कश्मीर में हुए चुनावों पर भारत की आपत्ति को खारिज कर दिया है, परंतु इसके उपरांत भी उसकी भीतरी स्थिति बहुत कमजोर हो गई है। पड़ोसी देश का विपक्ष वर्तमान सरकार पर आक्रामक है। सेना भी वर्तमान सरकार की निष्क्रियता और भारत के प्रति हर मोर्चे पर उसकी पराजय को अब अधिक देर तक स्वीकार करने वाली नहीं है। हमें यह ध्यान रखना चाहिए कि पाक अधिकृत कश्मीर वह क्षेत्र है जहां से पाकिस्तानी सरकार और सेना के अत्याचारों के विरुद्ध लोगों ने जबरदस्त आवाज उठाई थी । ऐसी स्थिति में पाकिस्तान की सरकार के लिए यहां पर चुनाव कराए जाने आवश्यक हो गए थे। यद्यपि बड़ी संख्या में लोगों ने चुनाव में हिस्सा नहीं लिया परंतु फिर भी इमरान खान यहां पर अपनी सरकार बना कर अपनी पीठ तो थपथपा ही रहे हैं। याद रहे कि यहां के लोगों ने इमरान खान सरकार के विरुद्ध बड़ी संख्या में विरोध प्रदर्शन किए हैं । जिसमें बड़ी संख्या में लोगों ने भाग लिया जिससे पाकिस्तानी प्रधानमंत्री को कई अवसरों पर शर्मिंदा होना पड़ा। क्योंकि विरोध प्रदर्शन में सम्मिलित होने वाले लोग भारत के समर्थन में नारे लगा रहे थे।
अपनी सरकार के बार-बार के विरोध को रोकने के लिए इमरान खान ने कई ऐसे निर्णय लिए जिससे पाक अधिकृत कश्मीर की जनता को अपने पक्ष में किया जा सके। इसी प्रकार के निर्णय के चलते पिछले वर्ष इमरान सरकार ने गिलगित बालटिस्तान को गुलाम कश्मीर में प्रोविजनल प्रोविंसेस स्टेटस देने की घोषणा की थी।
जानकारों का मानना है कि इससे पूर्व इमरान सरकार ने फेडरली एडमिनिस्टर्ड ट्राइबल एरिया (फाटा) का विलय खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में संविधान संशोधन के जरिये किया था, क्योंकि इस क्षेत्र में पाकिस्तानी सेना के विरोधी मौजूद थे। फाटा क्षेत्र में पख्तून राष्ट्रवाद की लहर व्याप्त रही है जिसके चलते वहां के लोग अपने लिए नागरिक अधिकारों की मांग पाक सरकार से करते रहे हैं। लेकिन पाक सरकार ने इस क्षेत्र की स्वायत्तता, राष्ट्रवादी मानसिकता को खत्म कर उसे पाकिस्तान के एक पूर्ण राज्य में विलय कर उसके अर्धस्वायत्त जनजातीय क्षेत्र की पहचान को खत्म कर दिया। पाक ने बीते साल गिलगिट-बाल्टिस्तान में भी विधानसभा चुनाव कराया था, जिसका भारत ने विरोध किया था।
गुलाम कश्मीर की जनता पाकिस्तानी सेना की ओर से जबरन भूमि कब्जे, इस क्षेत्र में बुनियादी सुविधाओं के अभाव, भ्रष्टाचार और कमीशनखोरी, आइएसआइ द्वारा लोगों पर छापेमारी से त्रस्त रही है। यहां सर्वाधिक बिजली बनने के बावजूद लोगों को पर्याप्त बिजली आपूíत नहीं होती और उसे बाहर बेच दिया जाता है। गुलाम कश्मीर में पाकिस्तानी सरकार और सेना के खिलाफ खुलकर प्रदर्शन होते रहे हैं और सामाजिक कार्यकर्ता भारत तथा अंतरराष्ट्रीय समुदाय से मदद की मांग करते रहे हैं। गुलाम कश्मीर में पिछले साल एक सामाजिक कार्यकर्ता और पत्रकार तनवीर अहमद ने पाकिस्तानी झंडा उतार दिया था जिसके बाद उसे सुरक्षा एजेंसियां उठा कर ले गईं।
इन सब परिस्थितियों से स्पष्ट हो रहा है कि पाक अधिकृत कश्मीर की जनता भी हिंदुस्तान के साथ है। ऐसे में पाकिस्तानी नेतृत्व की नींद उड़ जाना स्वाभाविक है। इधर भारत का नेतृत्व धीरे-धीरे पाकिस्तान पर शिकंजा कसने में सफल होता जा रहा है। वह अपनी पाकिस्तान संबंधी नीति को पहले घोषित नहीं करता बल्कि जब कुछ कर देता है तब अपने आप ही लोगों को व दुनिया को पता चलता है कि भारत ने ‘क्या बड़ा’ कर दिया है ? इस बात को अब पाकिस्तानी नेतृत्व भी भली प्रकार जान गया है कि आज का भारत करने से पहले कुछ नहीं बोलता, करने के बाद ही बोलता है । वह यह भी जान गया है कि भारत में अब वह दिन लग गए हैं जब भारत के राजनेता चीन ,अमेरिका, रूस, ब्रिटेन और फ्रांस को बड़ी ताकत मानकर उनका सम्मान किया करते थे। इसके विपरीत भारत में अब यह हवा तेजी से बह रही है कि हम खुद भी बड़े विश्व नायकों में सम्मिलित हैं। ऐसे में पाक अधिकृत कश्मीर के भारत में विलय के दिन अब लगता है दूर नहीं है ?

डॉ राकेश कुमार आर्य
संपादक : उगता भारत

 

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