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शफीक उर रहमान साहब ! आप अपनी जिम्मेदारियों को भी तो समझिए

🙏बुरा मानो या भला�

—मनोज चतुर्वेदी “शास्त्री”

उत्तरप्रदेश के सम्भल से समाजवादी पार्टी के उम्रदराज़ सांसद जनाब शफीकुर्रहमान बर्क साहब ने जनसंख्या नियंत्रण कानून पर प्रतिक्रिया देते हुए फरमाया कि- “कितने बच्चे पैदा होंगे, यह तो निजामे कुदरत है. अल्लाहताला ने सबको पैदा किया है और उनकी जिंदगी और मौत उसके हाथ में है. किसी को दखल देने का कोई हक नहीं है. उन्होंने कहा कि सरकार से बोझ संभाला नहीं जा रहा है.”

बेशक़, बर्क़ साहब की इस बात से कोई इंकार नहीं किया जा सकता कि ज़िन्दगी और मौत कुदरत के हाथ में है। और अल्लाहताला/ईश्वर ने सबको पैदा किया है। यह सही है कि कितने बच्चे पैदा होंगे, यह भी निजामे कुदरत है। लेकिन जनाब बर्क़ साहब यह भी तो बताएं कि बच्चों को पालना किसकी जिम्मेदारी है? यह जिम्मेदारी भी तो अल्लाहताला की ही है।
इसपर एक वाकया याद आता है जब मिर्ज़ा ग़ालिब को कहीं से ढेर सारा ईनाम मिला, तो ग़ालिब साहब उस पैसे से अपने लिए शराब की बोतलें खरीदकर ले आये। जब वह घर पहुंचे तो उनकी शरीके हयात ने पूछा कि- “मियां, ये शराब की बोतलें क्यों खरीद लाये, रोटी-पानी का इंतज़ाम कर लिया होता।”. तब मिर्ज़ा ग़ालिब साहब ने कहा- बेग़म, रोटी का वादा तो उसने किया है, लेकिन शराब का वादा तो उसने नहीं किया था।

कहने का अर्थ यह है कि रोटी देने की जिम्मेदारी भी तो उस परवरदिगार की ही है। उसमें सरकार से क्या शिक़वा करना। जब बच्चे पैदा करना अल्लाह के हाथ में है, तो उन बच्चों को रोटी देना भी तो उसका ही काम है। फिर समाजवादी पार्टी सहित तमाम विपक्षी नेता बेरोजगारी, भुखमरी और महंगाई पर सरकार को क्यों घेरते हैं? अल्लाह पर छोड़ देना चाहिए। क्योंकि वह सबका निगेहबान है।

बर्क़ साहब शायद भूल गए कि आज हम 21वीं सदी में हैं, और अब बहुत कुछ बदल चुका है। यह सही है कि अल्लाहताला/ईश्वर का दख़ल हमेशा ही रहेगा। लेकिन उसने इंसान को सोचने और समझने की जो ताक़त अता की है, उसका सही इस्तेमाल करना भी जरूरी है। आप पूरी तरह लकीर के फ़क़ीर नहीं बन सकते। फिलहाल इस देश में बाबर या औरंगजेब की हुकूमत नहीं है, जो चंद कट्टरपंथियों के ईशारों पर हुक़ूमत चलाते थे। यह योगी-मोदी सरकार है जिसका हर निर्णय राष्ट्र और समाज हित में होता है। बर्क़ साहब को चाहिए कि वह पूर्वाग्रहों से मुक्त होकर अपनी बात रखें, अपनी विचारधारा को दुसरों पर थोपने की कोशिशें न करें। यही उनके, उनकी पार्टी और समाज हित में है। शफीकुर्रहमान बर्क़ साहब अल्लाहताला ने जो जिम्मेदारियां आपको दी हैं, उनको समझिए और ग़ैर-जिम्मेदाराना बयान देने से बचिए। आप हम सबके बुज़ुर्ग भी हैं हमें आपके मार्गदर्शन की सदैव आवश्यकता रहेगी।

🖋️ मनोज चतुर्वेदी “शास्त्री”
समाचार सम्पादक- उगता भारत हिंदी समाचार-
(नोएडा से प्रकाशित एक राष्ट्रवादी समाचार-पत्र)

*विशेष नोट- उपरोक्त विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं। हमारा उद्देश्य जानबूझकर किसी की धार्मिक-जातिगत अथवा व्यक्तिगत आस्था एवं विश्वास को ठेस पहुंचाने नहीं है। यदि जाने-अनजाने ऐसा होता है तो उसके लिए हम करबद्ध होकर क्षमा प्रार्थी हैं।

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