निस्स्वार्थ सेवा और निष्काम कर्म

सीताराम गुप्ता

प्रायः मात्र एक चुटकी या उससे भी कम नमक की कमी के कारण भोजन फीका-फीका व बेस्वाद लगता है। सिर्फ एक चुटकी गर्म मसाला सब्जी के स्वाद को कई गुना बढ़ा देता है। यदि हम अपेक्षाकृत थोड़ा अधिक, थोड़ा अच्छा, थोड़ा अधिक ध्यानपूर्वक व अपेक्षाकृत थोड़े अधिक समय तक कार्य करते हैं तो जीवन के हर क्षेत्र में सफलता व उत्कृष्टता की संभावना अत्यंत प्रबल हो जाती है। लेकिन हमारी एक सीमा होती है। हम उससे आगे जा ही नहीं पाते। वास्तव में इस सीमा को तोड़ना जरूरी है। यह सीमा हमारे असीम होने के विश्वास की कमी मात्र है। यदि हम एक हज़ार मीटर चल सकते हैं तो एक हज़ार एक मीटर भी अवश्य चल सकते हैं। हमने एक हज़ार मीटर तक चलने की सीमा निर्धारित कर रखी है। जब हम इस सीमा को तोड़ देते हैं तो आश्चर्य घटित होने लगता है।
हम जहां भी कार्य अथवा नौकरी करते हैं वहां एक निश्चित वेतन या राशि के बदले में हमसे कुछ कार्य करने की अपेक्षा की जाती है। यदि हम इस अपेक्षित निर्धारित कार्य से कुछ अधिक कार्य कर देते हैं अथवा अपेक्षित स्तर से कुछ अच्छे स्तर का कार्य कर देते हैं या अपेक्षित निर्धारित समय से कुछ अधिक समय कार्य कर देते हैं तो काम करवाने वाले को बड़ी संतुष्टि मिलती है और इस संतुष्टि का प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष लाभ काम करने वाले को मिलना निश्चित है।
इस संतुष्टि के कारण ही नियोक्ता कभी भी उसे अन्य बड़ा व महत्वपूर्ण कार्य करने का अवसर प्रदान कर सकता है जो उसकी पदोन्नति अथवा किसी अन्य बड़े लाभ के लिए स्वर्णिम अवसर हो सकता है। सेवा के क्षेत्र में भी यही बात लागू होती है। जो लोग अपेक्षित से थोड़ी-सी भी अधिक सेवा अथवा सुविधा दे पाते हैं, उन्हें दोबारा सेवा करने अथवा व्यवसाय करने का अवसर अवश्य मिलता है। यही निरंतर सफलता और आगे बढ़ते रहने का मूल मंत्र है। जो लोग अपेक्षित निर्धारित कार्य से थोड़ा-सा अधिक कार्य कर देते हैं, उन्हें अधिक पसंद किया जाता है। जो व्यक्ति औरों की अपेक्षा कुछ अधिक शिष्टाचार का पालन करते हैं, वे हमेशा हर जगह सफल होते हैं। लेकिन हमारा कुछ अधिक करना मन से होना चाहिए। इसका लाभ हमें तभी मिलता है जब हम इसकी कामना से रहित होकर कार्य करते हैं।
सेवा प्रदान करने के बदले कुछ अर्थ की प्राप्ति भी होती है लेकिन यदि हम मुस्कुराहट के साथ सेवा प्रदान करते हैं तो इससे उस समय तो कुछ अधिक नहीं मिल पाता लेकिन भविष्य में सेवा व उससे प्राप्ति के अवसर अवश्य बढ़ जाते हैं। समाज में हर क्षेत्र में लगभग एक जैसे लोगों की अधिकता होती है। अधिकतर लोग व्यावहारिक होते हैं। अपने फायदे के बारे में पहले सोचते हैं। कोई भी काम करने से पहले ये सोचते या पूछते हैं कि इसे करने से उन्हें क्या फायदा होगा? हर बात में ये सोचना कि मुझे क्या फायदा होगा, एक संकुचित सोच है जो हमें आगे बढ़ने से रोकती है। ये हमें एक कॉन्ट्रेक्ट लेबर से आगे नहीं बढ़ने दे सकती जबकि मजदूरी अथवा वेतन से कुछ अधिक करने की आदत जीवन में कभी भी चमत्कार उत्पन्न कर सकती है।
लोग प्रायः जब अपनी नौकरी से संतुष्ट होते हैं तो मिलने वाली राशि के बराबर या कम काम करके ही संतुष्ट होते हैं। ऐसी अवस्था में वे औरों से कुछ ज्यादा अथवा कुछ उत्कृष्ट कार्य करने की सोचते ही नहीं, जिसके कारण वे आगे नहीं बढ़ पाते। यह स्वाभाविक है लेकिन इन लोगों से थोड़ा बेहतर हो जाना हमें जीवन में बहुत ऊपर पहुंचा देता है। सामान्य से कुछ ज्यादा पढ़ने वाले विद्यार्थी ही अच्छे परिणाम ला पाते हैं और जीवन में ऊंचे पायदानों तक पहुंचते हैं।
किसी के दुख-सुख में अपेक्षाकृत देर तक साथ रहने वाला व्यक्ति ही हमेशा के लिए अच्छे संबंधों को सुनिश्चित कर लेता है। अच्छा व्यवहार व अच्छे संबंध ही जीवन में सफलता प्रदान करने में सबसे अधिक सहायक होते हैं, इसमें संदेह नहीं। कहा गया है कि बेकार से बेगार भली। काम न होने की स्थिति में मुफ्त में या कम पैसे में काम करना और अच्छी तरह काम करना भी लाभदायक ही होता है। इससे एक ओर तो लगातार काम करते रहने से हमारी काम करने की आदत और कार्यकुशलता बनी रहती है और निरंतर कार्य करने से हमारी कुशलता में वृद्धि भी होती रहती है। इसका हमारे भावी जीवन पर अच्छा प्रभाव पड़ता है। लंबे समय तक कोई भी योग्य अथवा कार्यकुशल व्यक्ति उपेक्षित नहीं रह पाता। समय आने पर उसकी योग्यता का सही मूल्यांकन अवश्य होता है। औरों की अपेक्षा थोड़ा अधिक धैर्य भी एक दिन पिछली सभी क्षतिपूर्ति करने में सक्षम होता है।
इसीलिए हमारे यहां निष्काम कर्म और निस्स्वार्थ सेवा करने पर बल दिया जाता है क्योंकि यह निष्काम कर्म और निस्स्वार्थ सेवा ही है जो व्यक्ति को एक आम सोच रखने वाले व्यक्ति से बहुत आगे ले जाने में सक्षम है। जब हम निष्काम कर्म करते हैं तो हमारे ऊपर परिणाम का बोझ हावी नहीं होता और हम पूर्णतः तनावमुक्त होते हैं। ऐसे में कार्य की गुणवत्ता भी अपेक्षाकृत अच्छी होती है। यदि हमेशा कुछ अधिक करने का प्रयास करते रहेंगे तो जीवन के सचमुच आनंदमय होने में देर नहीं लगेगी।

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