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आतंकवाद

अस्पतालों में ईसाई मिशनरियों का सुनियोजित षड्यंत्र

 

दो दिन पहले दिल्ली के एक अस्पताल में किसी कार्यवश मेरा जाना हुआ। अस्पताल के गेट पर एक महिला पर्चे देते हुए “अपने पाप क्षमा करो” चिल्ला रही थी। मैं उसके निकट गया और उससे पूछा- यह बताये यह पाप कैसे क्षमा होते हैं? वह बोली प्रभु येशु में जो विश्वास लाता है। उसके पाप क्षमा हो जाते है। मैंने पूछा क्या आप येशु मसीह को प्रभु मानते है? वह बोली येशु मसीह ईश्वर है जिसने हमारे पापों के लिए अपनी जान दे दी। मैंने उससे पूछा की क्या ईश्वर को मारा जा सकता है? और क्या मार कर ईश्वर को दोबारा जीवित किया जा सकता है?

वह एकाएक अटक गई। और बोली येशु तो ईश्वर के पुत्र है। अबकी बार मैंने उससे पूछा पहले यह तो निर्णय कर लो कि येशु मसीह ईश्वर है अथवा ईश्वर का पुत्र है। अगर पुत्र है तो हम सीधे ईश्वर की आराधना करेंगे। पुत्र की आराधना क्यों करें? अगर ईश्वर है तो अजर-अमर क्यों नहीं। वह महिला बोली आप को अपनी शंका का समाधान करने हेतु चर्च आकर पादरी से मिलना होगा। वह आपकी शंका का समाधान करेंगे। मैंने कहा मैं उस वैदिक ईश्वर की स्तुति,प्रार्थना और उपासना करता हूँ। जो निराकार,अजर,अमर, अविनाशी, सर्वशक्तिमान, दयालु, न्यायकारी और हमें अपने कर्मों के अनुसार पाप-पुण्य के फल देने वाला है। वह न तो किसी निरपराध को दण्ड देता है। न किसी के पाप क्षमा करता है।

यह सुनकर वह महिला तेजी से आगे निकल गई क्यूंकि वह समझ गई थी उसका पाला किसी स्वामी दयानन्द के शिष्य से पड़ा है।

मैंने उसका दिया पर्चा अपनी जेब में रख लिया। उसे स्कैन करके यहाँ दे रहा हूँ। आज हिन्दू समाज को ऐसे छदम शत्रुओं के सुनियोजित षड़यंत्र का सामना करने के लिए तैयार होना होगा। स्वामी दयानन्द द्वारा रचित सत्यार्थ प्रकाश के 13 वें सम्मुल्लास को पढ़कर कोई भी ईसाई मिशनरी को निरुत्तर कर सकता हैं। संगठित होकर ही हम अन्य हिन्दू भाइयों की रक्षा कर सकेंगे। सत्यार्थ प्रकाश ने लाखों हिन्दुओं को ईसाई होने से बचा लिया है। सत्यार्थ प्रकाश के प्रचार प्रसार से ही हमारी रक्षा संभव है।

#डॉविवेकआर्य

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