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मुद्दा राजनीति

जैसा विपक्ष भारत को इस समय मिला हुआ है शायद ही ऐसा दुनिया में किसी देश में हो

 

नरेंद्र मोदी जब गुजरात में साबरमती के किनारे रिवरफ्रंट बनवा रहे थे तब महीनों तक कांग्रेसियों ने इस पर छाती कुटा था।

गुजरात हाईकोर्ट में तमाम याचिका ने लगाई गई .. झुग्गी झोपड़ी में रहने वाले लोगों को लेकर मेघा पाटकर से लेकर अरुंधति राय ने यहां तक कि फिल्म अभिनेता राहुल बोस ने कई बार मोर्चा निकाला और आज रिवरफ्रंट बन गया है तब हर रोज शाम को वही कांग्रेसी वहां बैठकर दुम हिला कर शांति अनुभव करते हैं।

ऐसे ही जब पहले गुजरात के सचिवालय में सभी मंत्रियों और मुख्यमंत्रियों की ऑफिस एक बहुमंजिला इमारत में थी ।खुद मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी जी का कार्यालय नवी मंजिल पर था उसी वक्त आईबी द्वारा गुजरात सरकार को यह सजेशन दिया गया एक ही बहुमंजिला इमारत में पूरी सरकार का काम करना ठीक नहीं है।

गुजरात सरकार ने मंत्रियों के लिए एक अलग ऑफिस बनाया जिसे आज स्वर्णिम संकुल वन और स्वर्णिम संकुल टू कहते हैं स्वर्णिम संकुल टू में राज्य मंत्रियों के ऑफिस हैं और स्वर्णिम संकुल वन में कैबिनेट मंत्रियों और मुख्यमंत्री का ऑफिस है।

उस वक्त भी मीडिया के तमाम और कांग्रेसी ने इस पर इतना हंगामा मचाया था कि मोदी अपने लिए बुलेट प्रूफ ऑफिस बनवा रहे हैं ब्ला ब्ला ब्ला जबकि ऑफिस बुलेट प्रूफ है ही नहीं।

और यह कांग्रेसी देश का विपक्ष इस तरह पब्लिक के मन में अफवाह फैलाता है जैसे मोदी यह अपने लिए बनवा रहे हैं और मोदी जब प्रधानमंत्री नहीं रहेंगे तब इस पर कब्जा कर लेंगे ….लेकिन यह देश को नहीं बताते कि आज के दिन भारत में सबसे बड़ा सरकारी बंगला यदि किसी का है तो वह सोनिया गांधी का है सोनिया गांधी का बंगला जो दस जनपथ पर है वह प्रधानमंत्री के बंगले से भी बड़ा है।

आज के दिन प्रधानमंत्रियों के लिए बने तमाम बंगलों पर इसी गांधी परिवार का कब्जा है नेहरू जिस बंगले में रहते थे उसे नेहरू का स्मारक बना दिया गया तीन मूर्ति भवन पर जहां इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री रहते हुए रहती थी उसे इंदिरा गांधी का स्मारक बना दिया गया राजीव गांधी प्रधानमंत्री रहते हुए जिस बंगले में रहते थे उसे राजीव गांधी का स्मारक बना दिया गया तब इन नीच कांग्रेसियों को देश की चिंता नहीं हुई कि आखिर इतने बहुमूल्य बंगलो को क्यों बर्बाद किया जा रहा है।

और आज यह कांग्रेसी सेंट्रल विस्ता प्रोजेक्ट को लेकर छाती कूट रहे हैं जबकि दिल्ली में हजारों सरकारी ऑफिसों को किराए पर लिया गया है रेल मंत्रालय जिस भवन में स्थित है वह बड़ोदरा के महाराजा का है हैदराबाद भवन जो विदेश मंत्रालय ने लिया है वह हैदराबाद के निजाम का है इसी तरह देश के कई अन्य विभाग ग्वालियर के महाराजा की संपत्ति में चल रहे हैं और देश के खजाने से हर महीने कई हजार करोड़ रुपए इन बड़े-बड़े लोगों को किराया जाता है।

यह कांग्रेसी नहीं बताते कि सेंट्रल विस्ता प्रोजेक्ट बनने के बाद से भविष्य में कोई भी व्यक्ति प्रधानमंत्री भवन पर स्मारक के नाम पर कब्जा नहीं कर सकता कोई भी नेता मरने के बाद स्मारक के नाम पर अपने बंगले पर कब्जा नहीं कर सकता और सरकार की कोई भी ऑफिस किराए के भवन में नहीं रहेगी।

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