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माता -पिता, ऋषि मुनि देवों के कर्जदार हैं हम : स्वामी चित्तेश्वरानंद

 

वानप्रस्थी देव मुनि जी के पैतृक गांव पल्ला ग्रेटर नोएडा में उनके आवास पर आयोजित चार दिवसीय यजुर्वेद पारायण महायज्ञ के प्रत्येक सत्र में सैकड़ों यज्ञ संस्कृति प्रेमी महिलाओं पुरुषों की उपस्थिति रही। यज्ञ के ब्रह्मा परम पूज्य स्वामी चितेश्वरानंद जी तपोवन देहरादून ने उपस्थित मातृशक्ति भद्र पुरुषों व यजमानो आशीर्वाद देते हुए अपने तात्विक ज्ञान वेद उपदेश से लाभान्वित किया। स्वामी जी ने कहा कि प्रत्येक मनुष्य को यज्ञ करना चाहिए। उन्होंने कहा एक तोले शुद्ध गाय के घी से 1 टन वायु शोधित होती है युक्ति व प्रमाणों से उन्होंने सिद्ध किया। प्रत्येक घर व उद्योगों के कारण वायु दूषित होती है प्रत्येक जीवधारी श्वास मल मूत्र आदि के माध्यम से प्रकृति को दूषित करता है उसके निवारण हेतु हमें यज्ञ करना चाहिए ।

यदि हम यज्ञ नहीं करते हम परमात्मा की व्यवस्था में पाप के भागीदार बनते हैं। स्वामी जी ने यज्ञोपवीत के महत्व पर प्रकाश डाला। बगैर यज्ञोपवीत आचमन के हमें यज्ञ वेदी पर नहीं बैठना चाहिए हालांकि महामारी को देखते हुए स्वामी जी ने अपने कर्मकांड संबंधित नियम में कुछ उदारता इस बार बरती है यज्ञ में शामिल होने वाले होताओं को बगैर धोती के आहुति देने की स्वीकृति स्वामी जी ने देव मुनि जी के अनुरोध पर दी है। स्वामी जी ने अपने उपदेशों के साथ-साथ देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी जी के स्वास्थ्य कुशल क्षेम की भी ईश्वर से प्रार्थना की कि इन दोनों सेवाभावी विरक्त लोभ मोह वंशवाद से मुक्त नेताओं को ईश्वर और अधिक मां भारती की सेवा का मौका दें ।देश विरोधी शक्तियां पराजित हो साथ ही साथ ईश्वर महर्षि दयानंद की तरह अनेकों योगियों विद्वानों को इस भारत भूमि पर समय समय पर भेजता रहे वेद वाणी के प्रचार प्रसार के लिए वेद ईश्वर का उपदेश है जो उसने अपनी सनातन जीव रूपी प्रजा के कल्याण के लिए सृष्टि के आदि में दिया। मां बाप ने हमारी सेवा की हमें पाल पोस कर बड़ा किया अब बुढ़ापे में हमें उनकी सेवा कर उनके ऋण से मुक्त होना चाहिए ।ऋषि-मुनियों ने हमारे बौद्धिक विकास के लिए अनुपम ग्रंथों की रचना की उनके द्वारा रचित आर्ष ग्रंथों के स्वाध्याय से हमें ऋषि-मुनियों के ऋण से मुक्त होना चाहिए साथ ही पंच तत्वों से हमारी जीवन यात्रा चल रही है यज्ञ आदि से पंच तत्वों की शुद्धि व प्रकृति के संरक्षण पर्यावरण की रक्षा के कार्यों से हमें देवों के ऋण से मुक्त होना चाहिए। इसके पश्चात गुरुकुल मंझावली के ब्रह्मचारी मुकेश ने अपने मधुर कंठ से बहुत ही सुंदर सुरीले 2 भजनों का गायन किया। तत्पश्चात शांति पाठ के पश्चात प्रातः सत्र की विधिवत पूर्णाहुति की गई। इस अवसर पर पल्ला गांव के सैकड़ों धर्म प्रेमी ग्रामीण आर्य प्रतिनिधि सभा गौतम बुध नगर के कोषाध्यक्ष आर्य सागर खारी गुरुकुल मुर्शदपुर की ओर से राम अवतार आर्य वरिष्ठ आर्य समाजी व समाजसेवी विजेंदर आर्य , बाबूराम आर्य, नोएडा से आमंत्रित अतिथि भी उपस्थित रहे।


यज्ञ के ब्रह्मा परमादरणीय स्वामी चित्तेस्वरानन्द सरस्वती जी के आशीर्वचनों के उपराँत ‘उगता भारत’ के संपादक, लेखक,विचारक व इतिहासकार डॉ राकेश कुमार आर्य ने वैदिक विज्ञान व आधुनिक विज्ञान पर चर्चा करते हुए सृष्टि के आरंभ से अंत पर विस्तार से बताया और वेदों में निहित विज्ञान (जिसको आधुनिक विज्ञान अक्षरश: मानता है) पर तथ्यपूर्ण आंकड़ों को साझा किया ! प्रेरणास्रोत व यज्ञ के संरक्षक श्री देवमुनि जी ने बताया कि हमें परिवार व विश्व कल्याण के लिए निरंतर “वेद महायज्ञों” का आयोजन करना चाहिए,आपने बताया कि 2008 में उनके वानप्रस्थ लेने से अब तक 11 वर्षो में उनके व उनके भतीजे श्री यादराम के परिवार में ये “18वां वेद महायज्ञ” है ,प्रातःकालीन यज्ञ के अवशर पर श्री रामेश्वर सरपंच जी,श्री प्रताप आर्य,श्री जयप्रकाश आर्य जी व श्री विपिन आर्य सहित सैकड़ों धर्मप्रेमियों ने यज्ञ में आहुति प्रदान करने के उपराँत यज्ञ प्रसाद व सात्विक भोजन ग्रहण किया।

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