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पुस्तक समीक्षा : सैर चांद की

कहानी और कविता के माध्यम से बालमन में संस्कार उकेरना बड़ा कठिन कार्य है । इस कठिन कार्य में लेखक या लेखिका को बहुत सारी चीजों का ध्यान रखना पड़ता है। यह कुछ – कुछ वैसा ही है जैसे निराई गुड़ाई करने वाला किसान बड़ी सावधानी से फसल के पौधों को बचाकर केवल खरपतवार को निकालता या दूर करता है। इस परिश्रमसाध्य कठिन कार्य को कोई विरला ही सफलतापूर्वक कर पाता है, पर जो कर लेता है उसे लोग विशिष्टता का सम्मान तो दे ही देते हैं।

इसी कठिन कार्य को ‘सैर चांद की’ के माध्यम से बड़ी उत्तमता से प्रस्तुत करने में श्रीमती सुकीर्ति भटनागर जी रही हैं। श्रीमती सुकीर्ति भटनागर ने बाल साहित्य लेखन के क्षेत्र में कई सारी पुस्तकें लिखी हैं, जिससे उनको सफलता और ख्याति प्राप्त हुई है। इस पुस्तक में उन्होंने अमूल्य निधि, भूल, उपहार ,सुनहरी जिज्ञासा, शैतानी का भूत, दृढ़ निश्चय, सजा, अनोखी दिवाली, उचित निर्णय, कायाकल्प, सैर चांद की नामक 12 कुल बाल कथाएं लिखी हैं। अपनी विशिष्टता के कारण उनकी 12 वीं और अंतिम बाल कथा ‘सैर चांद की’ इस पुस्तक की शीर्ष कथा बन गई।
पुस्तक की भूमिका में विदुषी लेखिका बच्चों से सीधा संवाद स्थापित करते हुए कहती हैं कि “जब – जब भी मैं आपको देखती हूं, आपसे मिलती हूं तो मेरा स्वयं का जीवन भी उपवन सा महक उठता है । क्योंकि आपके भोलेपन, सादगी और सरलता में ऐसी चुंबकीय शक्ति है जो पल भर में प्रत्येक के मन को प्रसन्नता से सराबोर कर देती है। तभी तो मुझे आपकी मिश्री सी मीठी बातें सदैव लुभाती रही हैं और नटखट भोले चेहरे आकर्षित करते रहे हैं। यही कारण है कि बाल रचनाएं लिखने में मेरी विशेष रूचि है।”
इन सीधे सरल शब्दों में लेखिका ने अपने हृदय की उस ममता को प्रकट किया है जिसके चलते वह न केवल बच्चों के लिए एक माँ का सा व्यवहार करती हुई दिखाई देती हैं बल्कि यही भाव उन्हें एक महान लेखिका भी बना देते हैं। जब तक आप किसी के साथ तन्मयता से सराबोर ना हो जाएं तब तक आप अपनी कला का उत्कृष्ट प्रदर्शन नहीं कर पाते और लेखिका के ये शब्द मानो उनकी अपनी कला में पूर्णता से रमने की प्रवृत्ति की ओर संकेत करते हैं।
प्रत्येक कहानी में लेखिका ने कोई ना कोई ऐसा गंभीर संदेश दिया है जो बच्चों के जीवन में परिवर्तन लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। प्रत्येक कहानी को बहुत सरल शब्दों में उन्होंने प्रस्तुत करने का सफल प्रयास किया है। भाषा शैली को बहुत सुंदरता से प्रस्तुत किया है। शब्दों को अधिक बोझिल नहीं बनाया है। उन्हें सरलता के साथ बहने दिया है और इस बात का हर संभव प्रयास किया है कि वे सीधे बच्चों के दिल में उतर जाएं। इसके साथ ही विदुषी लेखिका की यह भी विशेषता है कि उन्होंने अन्य भाषाओं के शब्दों को कम स्थान दिया है। हिंदी कि इससे बड़ी कोई सेवा नहीं हो सकती कि जब हिंदी में लेखन किया जा रहा हो तो हिंदी के शब्दों को ही प्राथमिकता दी जाए और लेखिका ने इस बात का पूरा ध्यान रखा है।
अपनी प्रमुख बाल कथा ‘सैर चांद की’ में उन्होंने सचमुच कमाल कर दिखाया है। इस कहानी को पढ़कर सचमुच ऐसा लगता है कि जैसे हम सभी चंद्रमा की यात्रा करके आए हैं। बच्चे वैसे भी बचपन से ही चंदा को मामा कहने के शौकीन होते हैं, इस कहानी को पढ़कर उन्हें ऐसा ही आनंद आने लगता है जैसे वह स्वयं चंदा मामा और मामी चंद्रिका के घर पहुंच गए हैं।
इस पुस्तक के प्रकाशक ‘साहित्यागार’ धामाणी मार्केट की गली चौड़ा रास्ता जयपुर 302003 हैं। पुस्तक प्राप्ति के लिए 0141- 2310785 व 4022 382 पर संपर्क किया जा सकता है। पुस्तक का मूल्य ₹200 है।बहुत ही बेहतरीन कागज पर यह कहानियां प्रकाशित की गई हैं। कुल 111 पृष्ठों से बनी यह पुस्तक बाल मन को निश्चित ही संस्कारित कर नया संदेश देने में सफल हुई है।

  • डॉ राकेश कुमार आर्य

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