आपराधिक और विश्वासघाती होते हैं
छद्म चेहरे और चरित्र वाले
– डॉ. दीपक आचार्य
9413306077

संसार में कई प्रकार के लोगों के बीच आदमियों की एक प्रजाति ऐसी है जो नकारात्मक टिप्पणियों और हरकतों में माहिर होने के साथ ही सभी प्रकार के हथकण्डों में सिद्घ होती है। इस प्रजाति का काम ही फालतू की टिप्पणियाँ करना और लोगों को परेशान करना है।इस किस्म के लोग आमतौर पर दिखते नहीं हैं अथवा इनके चेहरों से इनके कुटिल मन की थाह नहीं पायी जा सकती है। लेकिन ये अपनी खुराफातों, नकारात्मक मानसिकता, लूट-खसोट, औरों को किसी न किसी भय को दिखाकर भयभीत करते रहने और घृणित चरित्र की वजह से जमाने भर को दु:खी और आप्त कर देने के लिए हरचंद कोशिश करते रहते हैं।ये लोग बुरे लोगों के करीबी संगी-साथी होते हैं लेकिन अ’छे लोग और समाज में होने वाले अ’छे कर्म हमेशा इनके निशाने पर हुआ करते हैं। ऐसे लोग हमेशा इस प्रयास में लगे रहते हैं कि किस तरह औरों को नीचा दिखाया जाए, औरों का नुकसान किया जाए या छवि खराब की जाए।

इस प्रजाति में दो प्रकार के लोग होते हैं। एक वे हैं जो छिप कर नकारात्मक काम करते हैं और किसी को भनक तक नहीं लग पाती कि आखिर ये कर कौन रहा है। दूसरी किस्म में वे लोग आते हैं जिनके चेहरों से उनके कुटिल चरित्र की थाह नहीं पायी जा सकती। ये चेहरे से इतने मासूम और भोले दिखते हैं कि किसी को अंदाज तक नहीं लग पाता कि ये दुश्चरित्र, कुटिल और अधोमार्गी होंगे।ऐसे लोग हमारे सामने और लोक व्यवहार में तो अलग दिखते हैं किन्तु इनकी असलियत यही होती है कि ये पीठ पीछे से वार करने में कभी नहीं चूकते। ऐसे लोग अपने छोटे-मोटे स्वार्थ को पूरा करने या दूसरों को नीचा दिखाने के लिए किसी भी हीन हरकत पर उतर सकते हैं और अपने आपको इतना नीचे गिरा लेते हैं कि कुछ कहा नहीं जा सकता। लेकिन जमाने तथा लोगों के सामने ऐसे बने रहते हैं जैसे इन्हें कुछ पता ही नहीं हो। उल्टे कोई बात सामने आने पर जानकारी पाने की जिज्ञासा व्यक्त कर यह दर्शाते रहते हैं कि उन्हें कुछ पता नहीं है।

समाज की इस दुरावस्था का आईना फेसबुक जैसी सोशल नेटवर्किंग साईटें हैं जिनमें छद्म चेहरे और छद्म काम करने वाले लोगों की भारी भीड़ है जो अपनी पहचान छिपा कर सारे काम कर रहे हैं। इन लोगों में इतनी हिम्मत नहीं है कि वे सामने आकर कुछ कर सकें इसलिए ऐसे लोगों में से अधिकांश के प्रोफाईल में खुद के फोटो नहीं होकर दूसरों के फोटो लगे हुए हैं।भगवान ने ऐसे लोगों को अपनी पहचान बनाने के लिए मनुष्य बनाकर धरती पर भेजा है लेकिन वे पराये नामों और फोटो से अपनी पहचान को ही मटियामेट कर रहे हैं। फेसबुक को ही देख लें तो कितने सारे लोगों की भीड़ ऐसी है जिनके प्रोफाइल फोटो खुद के नहीं होकर चित्र, रेखाचित्रों से लेकर नायकों, खलनायकों, महापुरुषों, अभिनेताओं, विभिन्न स्थलों आदि के फोटो लगे हुए हैं।

कई लोग तो फर्जी नामों से आईडी चला रहे हैं और खूब सारे लोग ऐसे हैं जो औरों के नाम से फेसबुक चला रहे हैें। खूब सारे लोग ऐसे हैं जो पुरुष होते हुए भी अपने आपको पुरुषत्वहीन मानकर महिलाओं के नाम से फेसबुकिया महफिल में जोर आजमाइश कर रहे हैं। कई महिलाएं भी ऐसी हैं जिन्हें नारीत्व का गर्व या गौरव नहीं है, वे पुरुषों के नाम से सोशल नेटवर्किंग साईट्स का मजा ले रही हैं। इन लिंग परिवर्तित फेसबुकिया मित्रों का भी अलग ही संसार है जहां एक-दूसरे को बेवकूफ बनाने वाले भी हैं और बेवकूफ बनने वालों की भी कोई कमी नहीं है।कई उपदेशकों की भरमार है जो खुद कुछ नहीं है, न कुछ करने का माद्दा रखते हैं, इसके बावजूद औरों को उपदेश देने का काम कर रहे हैं जिस तरह कथावाचकों की फौज आजकल कर रही है। अधिकांश लोग हमारी ही तरह लाईक, शेयर और फॉरवर्डिंग कल्चर को अपना कर अपने आपको महान बुद्घिमान मान रहे हैं।यह तय माना जाना चाहिए कि जिस किसी भी क्षेत्र में लोग अपनी पहचान छिपाने के आदी हैं वे किसी न किसी रूप में मानसिक आत्महीनता से ग्रस्त तो हैं ही, और इसी कारण से जमाने को मुँह दिखाने लायक नहीं हैं। इसीलिए मुँह छिपाना पड़ रहा है।

इस किस्म के लोग विश्वासघाती एवं आपराधिक प्रवृत्तियों वाले होते हैं और इनका विश्वास कभी नहीं किया जाना चाहिए। जीवन में किसी भी आकस्मिक क्षण ऐसे छद्म चेहरे और चरित्र वाले लोग हमारा बड़ा भारी नुकसान कर सकते हैं।अ’छे लोगों को चाहिए कि या तो इनकी उपेक्षा करें या सायास दूरी बनाए रखें ताकि इनके मनोमालिन्य और कुटिलताओं के दुष्प्रभावों से हम अपने आपको बचाए रखते हुए अपनी जीवनयात्रा को आशातीत सफलता प्रदान कर सकें।

Comment: