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राजदीप के लिए कभी दाऊद इब्राहिम भी था विक्टिम

रिया के झूठ की पोल खोलता सुशांत का पुराना इंटरव्यू वायरल, राजदीप और रिया के PR स्टंट का पर्दाफ़ाश | द छीछालेदरफिलहाल रिया चकवर्ती का ‘प्रायोजित साक्षात्कार’ करने को लेकर राजदीप सरदेसाई विवादों में हैं। सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले में रिया मुख्य आरोपित हैं। वैसे यह पहला मौका नहीं है जब राजदीप ने अपने पाखंड से आरोपित का इमेज गढ़ने की कोशिश की है।

अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम के लिए भी वे सालों पहले ऐसी ही दरियादिली दिखा चुके हैं। यह वाकया 1993 का है, जब मुंबई सिलसिलेवार बम धमाकों से दहल गया था। इन धमाकों में 257 लोगों की मौत हुई थी और 1,400 लोग घायल हुए थे। पाकिस्तान की कुख्यात खुफिया एजेंसी ISI की शह पर दाऊद ने इसे अंजाम दिया था। लेकिन उस वक्त टाइम्स ऑफ इंडिया में काम करने वाले राजदीप ने एक लेख लिखकर उसे ऐसे पेश किया जैसे वह ही पीड़ित हो। ठीक वैसे ही जैसा अभी उन्होंने रिया चकवर्ती के मामले में करने की कोशिश की है।
riya chakravarthi now with sushant singh rajput
क्या रिया चक्रवर्ती और महेश भट्ट के
मकरकाल में फंस गए थे सुशांत सिंह ?
रिया के साथ साक्षात्कार में राजदीप ने सुशांत सिंह की कथित मानसिक बीमारी पर ज़ोर दिया। इसे ऐसे पेश किया मानो मानसिक बीमारी का आरोप वास्तविक तथ्य है, जबकि सुशांत सिंह का परिवार इस मुद्दे पर अपना पक्ष पहले ही रखा चुका है। उन्होंने कहा था कि पहले कभी सुशांत सिंह को इस तरह की कोई दिक्कत नहीं हुई थी। न ही किसी विशेषज्ञ ने उनके संबंध में ऐसा कुछ कहा था।
सुशांत पर मानसिक रूप से बीमार होने का आरोप अभी तक सिर्फ और सिर्फ रिया चक्रवर्ती ने लगाया है, जिन पर खुद इस मामले के संबंध में जाँच चल रही है। इतना ही नहीं इंटरव्यू के दौरान राजदीप ने रिया को अपनी कहानी सुनाने का भरपूर मौका देते हुए उन सवालों का जिक्र तक नहीं किया जिनके कारण रिया कठघरे में हैं।
ये कोई पहला मामला नहीं है जहाँ राजदीप सरदेसाई अपराधियों का सहयोग कर रहा हो, इस से पहले इसने कुख्यात आतंकवादी दावूद इब्राहीम को देशभक्त भी बताया था।
India First – “MUSLIMS AND THE BLASTS Must They Wear A… | Facebookइसी तरह 1993 के बम धमाकों के बाद राजदीप ने अपने लेख में लिखा था। जिस पर पूर्व पत्रकार एसजी मूर्ति ने इस मुद्दे को चार साल पहले उठाया था और बताया था साल 1993 में राजदीप ने कैसे अपने लेख में दाऊद को ‘राष्ट्रवादी’ बताकर उसे बचाने का प्रयास किया था। लेकिन राजदीप ने तब प्रतिक्रिया के रूप में एक वीडियो बना दी और कई कुतर्क करते हुए दोबारा अपने उस दावे को सही ठहराने की कोशिश की, जहाँ उन्होंने दाऊद को ‘राष्ट्रवादी’ बताया था। इस वीडियो में उन्होंने बताया कि जिस दोषपूर्ण मानदंडों पर उन्होंने उसे राष्ट्रवादी कहा, उसकी पैरोकारी शिवसेना अध्यक्ष बाला साहब ठाकरे भी किया करते थे।
हालाँकि, यदि राजदीप के उस आर्टिकल पर नजर डाली जाए तो ये मालूम चलता है कि वाकई राजदीप ने दाऊद को राष्ट्रवादी नहीं कहा था। बल्कि वो आर्टिकल तो पूर्णत: इस बात पर था कि चूँकि भारत में मुस्लिमों को दबाया जाता है, इसलिए दाऊद ने मुस्लिम होने के नाते यह ब्लास्ट करवाए।
इसलिए यह कहना गलत नहीं है कि भले ही राजदीप ने तब दाऊद को राष्ट्रवादी नहीं कहा, लेकिन अपने कुतर्कों से उसे पीड़ित दिखाने की कोशिश जरूर की और उसको साल दर साल जस्टिफाई करते रहे। साल 2015 में उन्होंने हिंदुस्तान के एक लेख में फिर अपने पुराने प्रश्न का जिक्र किया कि आखिर साल 1992 में भारत-पाक मैच में तिरंगा लहराते हुए, भारतीय टीम को तोहफे देने वाला दुबई का स्मगलर 6 महीने में कराची का आतंकी कैसे बन गया? क्या उसके लिए बाबरी मस्जिद एक टर्निंग प्वाइंट था?
राजदीप सरदेसाई के लिए पत्रकारिता का मतलब प्रोपेगेंडा शुरुआत से ही रहा है। उनके लिए गुजरात दंगों के मामले में नरेंद्र मोदी को सुप्रीम कोर्ट से मिली क्लीनचिट मायने नहीं रखती, लेकिन दूसरी ओर चिदंबरम से माफ़ी माँगते उन्हें देर नहीं लगती। याद दिला दें कि सीएनएन आईबीएन में रहते राजदीप पर कैश फॉर वोट की स्टिंग की सीडी भी डकारने के आरोप लगे थे। इसके अलावा राडिया केस में भी राजदीप का नाम उछल चुका है।

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