आज की भागमभाग की जिंदगी में मानसिक रूप से स्वस्थ रहना भी है जरूरी

स्वास्थ्य की समझ और अवधारणा शनैः शनैः विकसित हुई है। शारीरिक से आगे बढ़कर मानसिक, सामाजिक और अब तो आध्यात्मिक तक यह अपने क्षितिज का विस्तार कर चुकी है। अच्छा स्वास्थ्य उस स्थिति को संदर्भित करता है जिसमें व्यक्ति अच्छे मानसिक स्वास्थ्य का आनंद ले रहा हो, आध्यात्मिक रूप से जागृत जीवन हो और एक प्रतिष्ठित सामाजिक जीवन भी उसके पास हो। स्वास्थ्य की प्रारंभिक अवधारणा सिर्फ शारीरिक थी। 1948 में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने किसी व्यक्ति की संपूर्ण शारीरिक, मानसिक और सामाजिक स्थिति को स्वास्थ्य में सम्मिलित किया था, न कि केवल बीमारी के अभाव को। 1980 आते-आते इसमें एक नया पहलू जुड़ गया। अब एक व्यक्ति को तब स्वस्थ माना जाता है जब वह एक अच्छे शारीरिक, मानसिक, सामाजिक, आध्यात्मिक और संज्ञानात्मक स्वास्थ्य का स्वामी हो।

स्वास्थ्य मनुष्य के मानसिक, शारीरिक और सामाजिक जीवन की संपूर्णता का सूचक है। हमारा मानसिक स्वास्थ्य शारीरिक स्वास्थ्य से भी बढ़कर है। यह एक तरह की भावनात्मक, मानसिक तथा सामाजिक संपन्नता के आधार पर तय होता है। मानसिक स्वास्थ्य हमारी सोच और हमारे व्यवहार का सूचकांक है। इसका प्रतिबिम्ब हमारे सामाजिक संबंधों से लेकर व्यावसायिक संबंधों तक स्पष्ट दिखता है। मानसिक स्वास्थ्य का दुरुस्त न होना अनेक समस्याओं की वजह बनता है। परिणामस्वरूप हमारे संबंध बिगड़ते चले जाते हैं। समाज में संबंधों के ऐसे विखराव को सामान्यतः, बहुत उथले ढंग से, समायोजन की कमी मान लिया जाता है। हमारे विचार, भावनाएं और व्यवहार तथा दूसरों के साथ संबंधों का संयोजन हमारे व्यक्तित्व को वर्गीकृत करता है। स्वास्थ्य व्यक्ति की शारीरिक, मानसिक और सामाजिक बेहतरी को बताता है। व्यक्ति का सुखी व स्वस्थ जीवन तब कहा जाता है जब वह शारीरिक बीमारियों और मानसिक विकारों से रहित हो और अच्छे पारस्परिक संबंधों का आनंद ले रहा हो।

सामान्यतः जीवन के प्रारंभिक वर्षों में शारीरिक स्वास्थ्य को अधिक महत्व दिया जाता है तथा भावनात्मक और मानसिक स्वास्थ्य की अनदेखी की जाती है। जबकि यही वह समय होता है जब यह समझना होता है कि मानसिक स्वास्थ्य बनाए रखना भी जीवन के लिए उतना ही महत्वपूर्ण है। आधुनिक समाज में जीवन प्रतिस्पर्धा की गिरफ्त में है। हर कोई एक दूसरे से आगे जाना चाहता है। स्वास्थ्य के मूलतः पांच घटक हैं: शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक, सामाजिक, संज्ञानात्मक तथा आध्यात्मिक। अच्छे स्वास्थ के लिए उम्र के अनुसार एक आहार योजना का पालन जरूरी है। वहीं उचित विश्राम भी महत्वपूर्ण है। शरीर में ऊर्जा का स्तर अपने व्यवसायानुसार बनाए रखना बेहद जरूरी होता है। व्यायाम भी अच्छे स्वास्थ्य की दृष्टि से दिनचर्या का हिस्सा होना चाहिए। शारीरिक स्वास्थ्य भी हमें मानसिक रूप से स्वस्थ बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

अच्छा खानपान, आराम व व्यायाम तथा सक्रियता स्वस्थ जीवन में मददगार बनती है। विटामिन बी-12 व ओमेगा-3 एवं फैटी एसिड से समृद्ध भोजन मस्तिष्क की मनोदशा नियमित करने वाले रसायनों के स्तर को शरीर में बनाए रखते हैं। घूमना, जॉगिंग, तैराकी, साइक्लिंग अथवा योग या अपनी पसंद का कोई भी अन्य व्यायाम इसमें सहायक है। शारीरिक व्यायाम के साथ कोई सकारात्मक दिमागी कसरत, जैसे: कोई दिमागी खेल खेलना, भी महत्वपूर्ण है। यह संज्ञानात्मक स्वास्थ्य को बेहतर बनाए रखने में मददगार होता है। ध्यान करना भी स्वास्थ्य के स्तर को बेहतर करता है। यह हमारे मन को शांत रखता है, आत्मावलोकन में मदद करता है तथा हमें उच्च स्थिति में ले जाता है। परिणामस्वरूप विचारों में अधिक स्पष्टता आती है। अच्छे स्वास्थ्य के लिए हमें सकारात्मक लोगों का साथ चाहिए जिनके साथ हम सार्थक बातचीत कर पाएं और मानसिक संतुष्टि पा सकें। इससे भावनात्मक और सामाजिक स्वास्थ्य दोनों ही बेहतर बनते हैं। इसी तरह, प्राकृतिक वातावरण हमारे स्वास्थ्य का एक प्रमुख आधार है। हम कैसी हवा में सांस ले रहे हैं, कैसा पानी पी रहे हैं, कैसा भोजन ले रहे हैं एवं कैसे लोगों के साथ रह रहे हैं; ये तमाम बातें हमारे मानसिक व शारीरिक स्वास्थ्य की कड़ी हैं। जितना यह महत्वपूर्ण है कि हम क्या खा-पी रहे हैं, उतना ही महत्वपूर्ण यह भी है कि मानसिक स्वास्थ्य की दृष्टि से हम क्या सोच रहे हैं, हम किस तरह के चिंतन में रत हैं यानि हमारी वैचारिक खुराक कैसी है? हमारे विचार कैसे हैं? हमारे सोचने की दिशा क्या है?

इसी तरह, सामाजिक स्वास्थ्य भी बेहद महत्वपूर्ण आयाम है। यह हमारी सामाजिक प्रतिष्ठा और छवि के साथ-साथ, प्रभावी संवाद और हमारे सामाजिक संबंधों पर निर्भर करता है। क्रोध पर नियंत्रण की कला व धैर्य के साथ सामाजिकता निभाते हुए अच्छे श्रोता के रूप में सामाजिक व्यवहार करना समाज में हमारी छवि व स्तर को वर्गीकृत करता है। हमारा संज्ञानात्मक स्वास्थ्य सभी मानसिक प्रक्रियाओं को कुशलता से निष्पादित करने में अहम् भूमिका निभाता है। अच्छे संज्ञानात्मक स्वास्थ्य के साथ ही हम विभिन्न क्रियाकलापों में नई बातें व अच्छे निर्णय लेकर संलग्न रह सकते हैं। संज्ञानात्मक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए संतुलित जीवन-चर्या बहुत अहम् है। किसी भी सूरत में जीवन में संतुलन तो बना रहना ही चाहिए। आध्यात्मिक स्वास्थ्य मूल रूप से जीवन के अर्थ को समझने के लिए किसी व्यक्ति को स्वयं के साथ संबंधों की भावना स्थापित करना है। आध्यात्मिक स्वास्थ्य को बरकरार रखने के लिए किसी व्यक्ति को सकारात्मक, जुझारू और सुघड़ जीवन दृष्टिकोण अपनाना होता है। सुलझी हुई जीवन दृष्टि बहुत जरूरी है। इसीलिए आध्यात्मिक स्वास्थ्य के लिए व्यक्ति को अपना आत्मावलोकन, नियमित ध्यान और योगाभ्यास करते रहना चाहिए एवं पूजा-प्रार्थना जैसे सरल क्रियाकलापों से संयमित बने रहना चाहिए। स्वास्थ्य की दृष्टि से सांस्कृतिक स्वास्थ्य भी कम महत्वपूर्ण नहीं है। यह सामान्यतः शिक्षा व अनुशासन से हासिल होता है। इसमें सांस्कृतिक सूचनाएं महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। यह एक व्यक्ति के तौर पर हमारी अंतर-सांस्कृतिक क्षमता को संदर्भित करता है और प्रभावी सांस्कृतिक संचार स्थापित करने में हमारी मदद करता है। इसके भी विभिन्न आयाम हैं और अलग-अलग चार श्रेणियां हैं। प्रथम, देश के मूल्यों-सिद्धांतों और हितों के बारे में सांस्कृतिक साक्षरता का भान होना। दूसरा, चिकित्सा की सामान्य संज्ञानात्मक समझ की सांस्कृतिक क्षमता का विकास। तीसरा, व्यक्ति को जातीय सांस्कृतिक साक्षरता का गौरव भान होना एवं अपने मूल्यों-सिद्धांतों और हितों के संदर्भ की समझ होना।

अच्छा स्वास्थ्य जीवन में तमाम कार्यों की सफलता का आधार बनता है; चाहे वह पारिवारिक मोर्चे पर जीवन से जुडे़ दायित्व हों, चाहे प्रोफेशनल फ्रंट पर हमारी क्षमताओं का प्रदर्शन अथवा सामान्य सामाजिक जीवन में हमारा व्यवहार। अच्छे स्वास्थ्य हेतु शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के संग अच्छा संज्ञानात्मक स्वास्थ्य भी उतना ही महत्व रखता है। तभी जीवन के समग्र पहलुओं की देखभाल करने में व्यक्ति सक्षम बन पाता है। स्वस्थ जीवन शैली ही अच्छे जीवन की नींव बनती है। जीवन-शैली को सेहत केन्द्रित बनाकर जीवन जीना आज के व्यस्ततम समय में सरल नहीं है। व्यावसायिक प्रतिबद्धताओं, दृढ़ संकल्प की कमी और व्यक्तिगत एवं पारिवारिक स्थितियों के चलते इसका नियमित पालन कठिन है। इसके लिए कुछ प्रयास और अभ्यास जरूरी हैं। पौष्टिक भोजन और समय पर सोना-जागना बहुत महत्व रखता है। थोड़ा पैदल चलना भी जरूरी है। स्वस्थ जीवन शैली हमें एक अच्छा स्वास्थ्य प्रदान करती है जिसके कारण हमारी उत्पादकता बढ़ती है; शारीरिक रूप से हम फिट रहते हैं और स्वास्थ्य समस्याओं से निजात पाते हैं, तनाव मुक्त रहते हैं। स्वस्थ जीवन शैली के अभ्यास हैं: स्वस्थ आहार जैसी अच्छी आदतें, नियमित व्यायाम करना और पर्याप्त नींद लेना, साधारण बीमारियों को दूर रखना। एक निरोगी जीवन जीने के लिए स्वस्थ जीवन शैली जीवन की धुरी है। मानसिक व भावनात्मक स्वास्थ्य हमारे समग्र स्वास्थ्य का महत्वपूर्ण और जरूरी हिस्सा है। शारीरिक रूप से स्वस्थ रहने के लिए सामाजिक गतिविधियां भी उतनी ही महत्वपूर्ण और जरूरी हैं। किसी शौक में संलग्न रहना जैसेः जिम जाना, पैदल चलना, तैराकी या कोई खेल खेलना, यह भी स्वस्थ जीवन शैली का अभिन्न अंग है। भावनाओं का प्रबंधन और भावनात्मक संतुलन बनाए रखना महत्वपूर्ण जीवन-कौशल है। भावनाओं के विनियमन-कौशल की कमी से खराब सेहत, रिश्तों में कड़वाहट और विभिन्न मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं पैदा होती हैं। हमारा मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य चुनौतियों, तनावों और असफलताओं का सामना करने में मदद करता है, हमें अधिक कार्योन्मुख बनाता है।

स्वयं के लिए अलग समय निकालें, अपनी भावनात्मक जरूरतों को समझें, अच्छी किताबें पढ़ें, खुद को संतुष्ट करें, आराम करें और अपने दैनिक कार्यों के बारे में चिंता किए बिना रिलैक्स रहें। जिन दोस्तों, परिजनों, साथियों व पड़ोसियों के साथ अच्छा लगता हो उनसे स्वस्थ संबंध हमेशा रखें। यह आपके भावनात्मक स्वास्थ्य को दुरुस्त रखेगा। ऐसी गतिविधियों से जुड़ें जो आपको आनंद देती हों। इससे आप व्यस्त और खुश रहेंगे। आपके शौक आपके तनाव दूर करते हैं और आत्मसम्मान बढ़ाते हैं। हमारे जीवन में तरह-तरह की घटनाएं होती हैं और तनाव भी पैदा होते ही हैं, उनके कारणों को पहचानना सीखेँ और ऐसी स्थितियों से बचने की कोशिश करें। तनाव प्रबंधन की रणनीति बनाएं। इसके लिए दोस्तों से बात करें। खुद पर भरोसा रखें और अपनी स्थिति की समय-समय पर पुनर्व्याख्या करें। संगीत सुनें, व्यायाम करें, अच्छा खाएं-पीएं और घूमें, मस्ती करें एवं जीवन का ज्यादा विश्लेषण भी न करें। समस्याएं सबके जीवन में हैं जिनका सामना अकेले करना किसी के बूते का नहीं। इसलिए अपनों से मदद मांगने में कोई संकोच न करें। इससे आपका सहयोगात्मक सर्किल बढ़ेगा और आप ताकतवर महसूस करेंगे। जीवन में लचीले लोग ज्यादा सफल इसीलिए रहते हैं कि वे अपने इर्द-गिर्द उपलब्ध समर्थन प्रणाली का सदुपयोग अपनी देखभाल करने में कर लेते हैं। इसलिए सामाजिक सहयोगात्मक व्यवस्था व्यक्ति को तनाव से उबारने का सबसे कारगर हथियार है।

मानसिक स्वास्थ्य व्यक्ति की मानसिकता बता देती है; और मानसिकता तो हमारी सामाजिक, आर्थिक और पारिवारिक पृष्ठभूमि तक का भंड़ाफोड़ कर देती है। मानसिकता हमारी मन-कुंड़ली का ब्यौरा है। मानसिकता मतलब हमारे मन की सोचने-समझने की क्षमता और विचारों की दशा-दिशा यानि सोचने का ढंग हमारी मानसिकता का परिचायक है। किसी व्यक्ति की मनोवृत्ति क्या है? उसकी सोच कैसी है? वह किस विचारधारा में जीता है? यह सब व्यक्ति की मानसिकता पर निर्भर करता है। सकारात्मक मानसिकता और नकारात्मक मानसिकता जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। हमारे खुश रहने का बहुत कुछ दारोमदार हमारी मानसिकता पर ही रहता है। मानसिकता हमारे मानसिक स्वास्थ्य को दुरुस्त बनाने में बड़ा योगदान करती है। अच्छा और खुश महसूस करना, दूसरों से ईर्ष्या या जलन न करना ही मानसिक स्वास्थ्य का सूचक है। खुद हंसना, अपने आसपास के लोगों को भी हंसाना और माहौल को खुशनुमा बनाए रखना, दूसरों का सम्मान करना और सबसे विनम्रतापूर्ण व्यवहार करना; यह सब मिलाकर ही हम स्वस्थ घोषित होते हैं। सकारात्मक और आशावादी दृष्टि हमें मानसिक रूप से स्वस्थ बनाने में संजीवनी का काम करती है।

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