सेकंड लेफ्टिनेंट राघोबा राणे के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी

पाक हमले के दौरान 18 मार्च 1948 को निर्णय हुआ कि दुश्मन पर दबाव रखने के लिए बार वाली रिज, तथा राजोरी पर कब्जा जमाया जाए ।इस काम को राजौरी नौशेरा मार्ग का साफ होना बहुत जरूरी था। 8 अप्रैल 1948 को यह काम मुंबई इंजीनियर्स के सेकंड लेफ्टनंट राम राघोबा राणे को सौंपा गया।

राम राघोबा राणे का जन्म 26 जून 1918 को कर्नाटक के धारवाड़ जिला के हवेली गांव में हुआ था । 10 जुलाई 1940 को वे बॉम्बे इंजीनियर्स में भर्ती हुए और अपने बैच के सर्वोत्तम रिक्रूट हुए ।उनकी हिम्मत और सूझबूझ देखकर उन्हें हवालदार बना दिया गया। बाद में सेकंड लेफ्टिनेंट के रूप में कमीशंड ऑफिसर बनाकर जम्मू व कश्मीर के मोर्चे पर तैनात कर दिया गया।

राम राघोबा ने जैसे ही काम शुरू किया दुश्मन की भारी बमबारी शुरू हो गई । उस में जवान मारे गए और घायल भी हुए, फिर भी अगली सुबह काम शुरू हो गया और देर शाम तक चला एक घुमावदार सुरक्षित रास्ता टैंक के लिए बन गया था। जैसे-जैसे सशस्त्र बल आगे बढ़ते गए दुश्मन की मुसीबतें बढ़ गई लेकिन राम राघोबा ने उसका डटकर सामना किया । भारत-पाकिस्तान युद्ध के दरमियान भारतीय सेनामें अनेक अवरोधों और खान काम की क्षेत्रों में महत्व की भूमिका बजाई थी। भारतीय टैंक के लिए आगे बढ़ने का रास्ता स्पष्ट कर दिया था । 11 अप्रैल 1948 को रींगस का रास्ता एकदम साफ कर दिया।

सेकंड लेफ्टनंट राम राघोबा राणे ने जिस बहादुरी धैर्य तथा कुशल नेतृत्व से यह काम पूरा किया और पाक पर भारत को विजय का श्रेय दिलाया उसके लिए उन्हें परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया यह उन्होंने स्वयं प्राप्त किया था ।वह भारतीय सेना में से चीफ के पद पर निवृत हुए।

आज भी उन्होंने किए हुए कार्य को याद किया जाता है। उनके सम्मान में उनके गांव करवर में उनकी याद में प्रतिमा का आवरण किया गया है।

साभार : तत्वमसि

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