Categories
समाज

कोरोना काल में कैसे लूट रहे हैं जनता को प्राइवेट अस्पताल ?

 कहीं थर्मल स्क्रीनिंग के बदले 100 रूपये तो कहीं 52 हजार की पीपीई किट

आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार 
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने कोरोना के नाम पर प्राइवेट अस्पतालों की लूट पर उजागर करने का प्रयास किया, जिसे आलोचनाओं के घने बादलों ने ढक दिया। स्वामी विवेकानंद कहना है की “कभी उपदेशक पर मत जाओ, उसके उपदेशों पर जाओ।” किसी ने प्राइवेट अस्पतालों की लूट पर मंथन करने का प्रयास नहीं किया। लेकिन है हकीकत। जिस का केन्द्र सरकार को संज्ञान लेकर सख्त कार्यवाही करनी चाहिए।
आपने कभी गिद्ध देखा है? एक बड़ा सा पक्षी जो अक्सर मरे हुए जानवरों की लाश को नोच-नोचकर खाता हुआ नजर आ जाता है। गिद्ध का खाना ही यही है, सड़ी-गली हुई लाश जिससे वो अपना पेट भरता है। चलो ये तो गिद्ध की नियती है क्योंकि प्रकृति ने उसे यही खाना दिया है ताकि उसका भी पेट भर सके और मरे जानवरों की गंध और बैक्टीरिया से आसपास कोई प्रभावित ना हो।लेकिन एक गिद्ध इंसानी शक्ल में भी होता है जो बस इस इंतजार में बैठा होता है कि आदमी बीमार पड़े और वो उसके जीवनभर की गाढ़ी कमाई को एक मिनट में चट्ट कर जाए। इंसानी शक्ल में दिखने वाले ये गिद्ध दरअसल प्राइवेट अस्पताल के मैनेजमेंट में पाए जाते हैं जिनके लिए मरीज सिर्फ और सिर्फ वो जरिए है जिसे वो नोच-नोचकर खा लेना चाहते हैं।
पूरी दुनिया इन दिनों कोरोना महामारी से जूझ रही है. डॉक्टरी पेशे से जुड़े लोगों को कोरोना वॉरियर्स कहा जा रहा है जो अपनी जान की परवाह किए बिना लोगों की जान बचा रहे हैं। कई डॉक्टर और स्वास्थ्यकर्मी इस दौरान अपनी जान भी गंवा चुके हैं। उनके प्रति हमारे दिल में अपार श्रद्धा है। उनका कर्ज शायद हम और आप जीवन भर चुका भी नहीं सकेंगे लेकिन इसी दौर में सफेद कोर्ट पहने कुछ ऐसे भी गिद्ध हैं जो लोगों की गाढ़ी कमाई को चूस लेना चाहते हैं।

corona warrior Kundan Singh@callkundan

करोनो काल में अस्पतालों की क्रोनोलॉजी समझिए टाइफाइड मरीज़ भर्ती होता है चार दिन इलाज चलता है टोटल बिल बनता है एक लाख रुपए और उस 1 लाख मे से सिर्फ़ 52 हज़ार का बिल Covid PP चार्ज यानी पीपीई किट का मास्क वगेरह भैय्या ऐसी कौन से पीपीई किट पहन ली आपने चार दिन मे

167 people are talking about this
Hemant Soren (घर में रहें – सुरक्षित रहें)

@HemantSorenJMM

.@BannaGupta76 जी, कृपया संज्ञान लें। https://twitter.com/kumariprerana12/status/1269878298948988928 

Prerna Sharma@Kumariprerana12

रांची के इस ऑर्किड हॉस्पिटल में कोरोना के नाम पर लूट मची हुई है। OPD में दिखाने के लिए Dr. की फीस के अलावा 100 रुपये स्क्रीनिंग चार्ज भी देना है। इस स्क्रीनिंग में सिर्फ शरीर का तापमान चेक होता है @HemantSorenJMM राज्य में ऐसी लूट मची है और आप चुप हैं @BannaGupta76

477 people are talking about this

कई प्राइवेट अस्पताल कोरोना के इलाज के नाम पर लोगों से लाखों रूपये मांग रहे हैं। सोशल मीडिया ऐसी खबरों से भरा हुआ है जहां प्राइवेट अस्पताल की मनमानी देखने को मिल रही है। दिल्ली का सरोज अस्पताल कह रहा है कि अगर आपको इलाज करवाना है तो पहले चार लाख रूपये काउंटर पर जमा करो। कम से कम बिल 3 लाख का तो होगा ही।
दिल्ली में एक और तीरथ राम शाह चेरिटेबल अस्पताल हैं जहां टाइफाइड की वजह से चार दिन अस्पताल में रहने वाले मरीज के हाथ में एक लाख रूपये का बिल थमा दिया जाता है। बिल की डीटेल कहती है कि उसमें से 52 हजार रूपये सिर्फ कोविड पीपीई किट और मास्क का है। अब जरा सोचिए कि जो डॉक्टर किट और मॉस्क पहनकर इलाज कर रहे हैं उनके एक दिन की किट पर कितना खर्च होता होगा? चलो मान लेते हैं वार्ड में कम से कम 5 लोग हैं और हर मरीज से 50 हजार रूपये मास्क और किट के नाम पर लिए जाते हैं तो कितना पैसा होता है?
देश में पता नहीं कितने सरोज और तीरथ राम अस्पताल हैं, जहाँ की मरीज की डिस्चार्ज डिटेल देखने पर सरकार को प्राइवेट अस्पतालों द्वारा जा रही खुली लूट सामने आएगी। सबसे पहले जहाँ हर आने वाले मरीज का कोरोना टेस्ट किया जाता है और कोरोना की रिपोर्ट आने तक लगभग एक लाख रूपए के लपेटे में मरीज आ जाता है। जबकि उसकी वास्तविक बीमारी का इलाज कोरोना की रिपोर्ट आने के बाद ही होता है। इतना ही नहीं, प्राइवेट अस्पतालों में इंजेक्शन आदि में इस्तेमाल होने वाली रुई के लिए पूरे बण्डल के पैसे लिए जाते हैं। जबकि डिस्चार्ज करते समय बचा हुआ बण्डल तक रख लिया जाता है, क्या यह लूट नहीं?
अब दूसरी कहानी झारखंड के शहर रांची की जहां ऑर्किड हॉस्पिटल में कोरोना के नाम पर अस्पताल प्रशासन ने लूट मचा रखी है। अस्पताल में डॉक्टर को दिखाने की फीस तो अलग है, पहले आपको अस्पताल में घुसने के लिए फीस देनी होगी। ये फीस है थर्मल स्क्रीनिंग का जिसे लेजर से दिमाग पर मारकर शरीर का तापमान जांचा जाता है। अब आप ही बताएं, ऐसे अस्पतालों को गिद्ध ना कहें तो क्या कहें जो कोरोना काल में भी गरीबों का खून चूस रही है।

Comment:Cancel reply

Exit mobile version