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भारत में चौथे लॉकडाउन के पहले जानिए पिछले तीनों लॉकडाउन के कोरोना मामलों का स्पष्ट अन्तर

शुभम यादव

भारत सरकार सुदृढ़ नीति से कोरोना कि शुरुआत तो खराब करने में सफल रहे। लेकिन हालात पिछले कुछ दिनों से बेकाबू होते जा रहे हैं। तीनों चरणों के दौरान कोरोना के मामलों में कितना अंतर रहा, किस दर से मामलों में स्थिरता आई अथवा बढ़ोतरी हुई उसे इन आंकड़ों के जरिए समझा जा सकता है।

दुनिया में कोरोनावायरस की पहचान 31 दिसंबर 2019 को हुई। तब तक ये अंदाजा नहीं लगाया जा सका था कि इतने बड़े विश्व स्तर पर कोरोनावायरस तबाही मचाएगा। जिसके बाद इसके खतरे को पहचानते हुए वैज्ञानिकों ने पूरी दुनिया को आगाह किया तो अलग-अलग देशों में तालाबंदी करनी पड़ी।

आखिरकार भारत में भी 24 मार्च को रात 12 बजे से प्रधानमंत्री ने लाॅकडाउन लागू कर दिया। शायद देशवासियों ने ये अंदाजा कभी नहीं लगाया होगा कि तालाबंदी कई चरणों में जारी रहेगी। ऐसे हालातों में भारत सरकार सुदृढ़ नीति से कोरोना कि शुरुआत तो खराब करने में सफल रहे। लेकिन हालात पिछले कुछ दिनों से बेकाबू होते जा रहे हैं। तीनों चरणों के दौरान कोरोना के मामलों में कितना अंतर रहा, किस दर से मामलों में स्थिरता आई अथवा बढ़ोतरी हुई उसे इन आंकड़ों के जरिए समझा जा सकता है।

सबसे पहले समझिए लाॅकडाउन के पहले भारत में कितने मामले रहे
भारत के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक भारत में लाकॅडाउन के पहले ‌कुल 435 मरीज थे। इसके अतिरिक्त 9 की मौतें हो चुकी थी। देश में कोरोना का पहला मामला जनवरी महीने में केरल राज्य से सामने आया था। जब देश में पहला लाॅकडाउन किया गया यह पहले मामले के लगभग 56 दिनों के बाद का समय था। लेकिन फिर भी भारत में अन्य देशों के मुकाबले मामले काफी कम व स्थिर थे।

पहले लाॅकडाउन के दौरान 25 मार्च से 14 अप्रैल तक ऐसे रहे मामले
देश में जब पहला लॉकडाउन हुआ उस दौरान कोरोनावायरस से पीड़ित व्यक्तियों की संख्या स्थिर रही। लेकिन 21 दिनों के भीतर यानि लॉकडाउन के पहले चरण के अंत तक भारत में 10,454 मामले सामने आए। वहीं 334 मौतें अगर राज्यवर आंकड़ों की बात करें तो 2,228 मामलों के साथ सबसे ज्यादा महाराष्ट्र में कोरोना मरीजों की पहचान हुई, तमिलनाडु में 1160 संक्रमित मिले, राजस्थान में 866 केस, केरल में 270 व गुजरात में 539 मामलों के साथ पूरे भारत में कोरोनावायरस से पीड़ितों का आंकड़ा 10 हजार को पार कर गया।

लॉकडाउन के दूसरे चरण में 15 अप्रैल से 3 मई के बीच ऐसे बढ़े आंकड़े
सरकार ने दूसरे चरण में लॉकडाउन की अवधि निश्चित करते हुए 3 मई तक मियाद बढ़ा दी। लेकिन मामलों में लगातार बढ़ोत्तरी होती रही। कुल 40,263 मामले दूसरे लाॅकडाउन के अंत तक सामने आए। 1,382 लोगों की मौत भी हुई। वहीं स्वस्थ होकर कोरोना की लड़ाई जीतने वालों की संख्या भी बढ़ी जिसमें 11 हजार से अधिक लोग स्वस्थ होकर घर गए।
राज्यवर आंकड़ों में महाराष्ट्र 11,544 कोरोनावायरस के साथ एक बार फिर अव्वल रहा। राजस्थान में 1987 गुजरात में 5522 के करीब, तमिलनाडु 2142, केरल में 121 मामले सामने आए, भारत के अन्य राज्यों को मिलाकर आंकड़ा 40 हजार को पार कर गया।
लॉकडाउन के तीसरे चरण में 3 मई से आंकड़ों के हालात
सरकार लॉकडाउन के बीच तीसरे चरण में गृह मंत्रालय की ओर से गाइडलाइंस बनाकर इसेंशियल सर्विस को चालू करने के लिए आगे आई। प्रवासी मजदूरों को घर पहुंचाने व प्रवासी भारतीयों को लाने की कवायद सरकार ने शुरू की। फिर भी मामले थमते हुए नहीं नजर आए। तीसरे लॉकडाउन के दूसरे हफ्ते में मामले काफी तेजी से बढ़े। 13 मई तक भारत में करोड़ों के कुल 72,593 मामले सामने आए हैं। पिछले चौबीस घंटों में 1,825 कोरोना संक्रमित मरीजों की पुष्टि हुई। पहले से संक्रमित मरीजों में 23,203 स्वास्थ्य भी हुए। जबकि 2,331 कोरोना पीड़ितों की मौत हुई।

भारत में कोरोना वायरस का प्रकोप लाॅकडाउन के तीसरे चरण के दूसरे हफ्ते में काफी तेजी से बढ़ा है। जिसके लिए केंद्र सरकार व राज्य सरकारों ने एहतियात बरतने का प्रयास किया है। प्रवासी मजदूरों व श्रमिकों की घर वापसी से सरकार चिंतित है, जिसके लिए स्वास्थ्य परीक्षण की कवायद करते हुए प्रशासन व चिकित्सकों द्वारा हर स्पेशल ट्रेनों व बसों से लाए जा रहे लोगों की जांच की जा रही है।

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