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तबलीग के लोगों का आचरण और वेद का अध्यात्मिक संदेश : एसडी विजयन

तबलीग के लोग जैसा आचरण कर रहें हैं, बहुत से हिन्दू बन्धु बेहद उद्दवेलित हैं, उनका क्रोध यहां तक कि मस्जिदों और मदरसों को उड़ा दो, ये कोई बड़ा काम नही है, कोई भी अपने को समाप्त करने की ठान ले या उसे ऐसा करने पर प्रेरित किया जाये तो अति सामान्य कार्य है, पर अगर मस्जिद और मदरसों को उड़ाने से अगर समाधान हो तो सारी नही बहुत सी को तो हम उड़ा ही देते, वो समाधान नही।
इस्लाम की ताकत पहचानिये, सारे मुसलमान आतंक नही फैलाते, पर सभी मुसलमान कुरान के प्रति श्रद्धा रखते हैं, हिन्दू अपने धार्मिक ग्रन्थों के प्रति आस्था नही रखते, सब सारे ग्रन्थ नही पढ़ सकते , भागवत गीता और श्री रामचरितमानस का पाठ कर सकते हैं, रोज कम से कम हनुमान चालीसा का पाठ कर सकतें हैं, वो सरलता से हो सकता है, दुनियां भर के करोड़ों मुसलमान दिन में पांच वक्त काबा की तरफ मुंह करके नमाज पढ़ते हैं, और ये सदियों से लगातार हो रहा है, जानते हैं जब इतने लोग एक साथ नमाज पढ़ते हैं तो एक शक्ति का, उर्जा का निर्माण होता है, वो शक्ति मुस्लिम के काम आती है, रूहानी ताकत बन कर, उनकी एक साथ पढ़ी जाने वाली नमाज उनकी एकजुटता का प्रतीक होती है, यानी बेपनाह दुनियावी ताकत, जहां ताकत होगी, उपयोग, दुरुपयोग दोनो होंगें, वो नेतृत्व पर निभर्र करेगा समाज को किस दिशा में ले कर जाना है, हिन्दू ऐसे एक साथ पूजा नही करते ,मिलकर कुछ करते हैं तो बाकी उनका मजाक उड़ाते हैं, या करते भी हैं तो जैसे मुस्लिम एक समय मे कहीं भी हों कैसे भी हो काबे की तरफ नमाज पढ़ते हैं, हम नही करते, वो मस्जिद जातें हैं, हम नही जाते, वो गलत हैं या सही हैं पर आस्थावान हैं, हम नही हैं, हम अपने आस्थाओं का श्रद्धा केन्द्रों का उपहास करते हैं, बहुत दूर की बात जाने दें, अभी मोदी जी के कहने पर सभी दिया भी जलायें तो जो एकजुटता होगी वो एक जबरदस्त ताकत का निर्माण करेगी जिसकी हिन्दू को भारत को जरूरत है, मुस्लिम के पाश आस्था है, वो कुरान , हदीस के मुताबिक चलता है, हम किस पर श्रद्धा रखते हैं व उसके हिसाब से चलतें हैं, हमारे पास सृष्टि का सबसे प्राचीन सबसे बड़ा ज्ञान का सर्वश्रेष्ठ, सर्वोत्तम भंडार है, वेद , जो आध्यात्म के साथ विज्ञान का सबसे प्रामाणिक स्रोत है, हमे पता भी नही, हमे अपनी मान्यताओं को जानना होगा, मानना होगा, मानना इसलिये कि वो सर्वोत्तम है, सबके लिये है, विश्वबन्धुत्व की , सम्पूर्ण ब्रह्मांड के लिये, प्रकृति के लिये भले ही भावना से ओतप्रोत हैं, हिन्दू बनने पर सब पर सहज ही विजय प्राप्त कर पायेंगे, सबकी श्रद्धा व सम्मान के पात्र भी होंगें, हाँ जहां शक्ति की आवश्यकता होगी वहां शक्ति का उपयोग होगा ही पर शक्ति हिन्दू बनने से ही आयेगी, विषय बहुत विस्तार से लिखा जा सकता है, फिर अलग से लिखूंगा।

एस.डी. विजयन

( महामंत्री अखिल भारत हिंदू महासभा )

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