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तब्लीगी जमात ने देश और मानवता के साथ किया खिलवाड़

– मुरली मनोहर श्रीवास्तव

पूरी दुनिया कोरोना से दहशत में है, हर जगह एहतियात के लिए लगातार उपाय किए जा रहे हैं। वहीं भारत में लॉकडाउन के प्रयास ने इसमें बड़ी सफलता पायी है। जिसे देखते हुए कई देशों ने अपने यहां भी कमोबेश इसे लागू किया है। इंसान अपने जिंदगी को सेफ रखने के लिए पल-पल जंग लड़ रहा है। हर तरफ इससे एहतियात बरतने के लिए सिफारिश की जा रही है। कल तक जहां भारत कोरोना पर विजय पाने की राह देख रहा था। आज वहीं दिल्ली के निजामुद्दीन का तबलीगी जमात में बड़ी संख्या में मुस्लिमों की उपस्थिति ने देश को संकट में डाल दिया है। इतना ही नहीं अपनी मर्जी से यहां छूपे जमात ने तो तब हद कर दी जब देश के विभिन्न हिस्सो में बिना किसी सूचना के उपस्थिति दर्ज करा दी। एक तरफ इस जमात के लोगों का कहना है कि लॉकडाउन होने की वजह से नहीं जा सके, फिर कैसे देश के अलग-अलग हिस्सो में ये जा पहुंचे। इनका देश के कानून को ताक पर रख जाना किसी ने किसी अनहोनी का सूचक साबित हो रहा है। अगर नहीं तो फिर ऐसा क्यों किया इस जमात ने ?

आखिर जमात का मकसद क्या है ?

देश संक्रमणकाल से गुजर रहा है। देश के सामने यहां रहने वाले लोगों की जिंदगी को बचाना बड़ी चुनौती बनी हुई है। धर्मनिरपेक्ष इस मिट्टी में सबको बराबर का महत्व दिया जाता है। तबलीगी जमात का इस तरह आयोजन करना औऱ लॉकडाउन के नियमों का उल्लंघन का अर्थ क्या निकाली जाए। कुछ देर के लिए अगर मान भी लें कि इनकी मनसा गलत नहीं थी तो देश का प्रधानमंत्री जिस आदेश को देता है उस आदेश को ताक पर रखकर शाहीनबाग में प्रदर्शन करना और लॉकडाउन में भी शाहीनबाग में डटे रहना यह किसी न किसी ग्रसित मानसिकता को जरुर दर्शा रहा है। इसको समझना होगा। भारत में यदि रहना है तो यहां कि मिट्टी से मोहब्बत करना होगा।

कोरोना संक्रमण का सोर्स बना जमातः

देश में कोरोना वायरस के मरीज लगातार बढ़ते ही जा रहे हैं। निजामुद्दीन इलाके में आयोजित तबलीगी जमात का जलसा देश में कोरोना के संक्रमण का बड़ा सोर्स बन गया है। इस मरकज़ में दुनिया भर से लगभग 2500 लोग जुटे थे। इसमें बड़ी तादाद में तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, अंडमान निकोबार, केरल, कर्नाटक और महाराष्ट्र से लोग आए थे। इस धार्मिक समारोह में शामिल हुए सैकड़ो लोगों की कोराना वायरस से संक्रमित होने की पुष्टि हो चुकी है, तो कई पॉजिटिव भी पाए गए हैं। देश के विभिन्न हिस्सों में चले जाना भारत सरकार से लेकर राज्य सरकारों के लिए बड़ी समस्या बन गई है। एक तरफ जहां मरीजों की संख्या भारत में धीमी रफ्तार में थी वहीं अचानक से निजामुद्दीन के मामले ने कोरोना पीड़ितों की संख्या में अचानक से इजाफ कर सरकार के द्वारा किए गए एहतियाती इंतजाम के किले को भेद दिया है।

तबलीगी जमात में स्कॉलर की बड़ी संख्याः

कोरोना वायरस महामारी के भारत में व्‍यापक फैलाव के बीच दिल्ली में निजामुद्दीन के तब्लीगी जमात में रांची के 46 स्‍कॉलर शामिल हुए थे। कोराना से संक्रमित मुस्लिम स्‍कॉलरों के पकड़े जाने के बाद दिल्ली में जो खुलासा हुआ है, उसके मुताबिक इस जमात में शा‍मिल देश के 1830 स्‍कॉलरों में 46 ने अपना पता रांची ही लिखवाया है। इनमें से मलेशिया की महिला में कोरोना वायरस की पुष्टि हो चुकी है। महिला मौलवी को राजधानी रांची के बड़ी मस्जिद से पकड़ा गया था। इधर तबलीगी जमात से जुड़ी महिला में कोरोना वायरस की पुष्टि होने के बाद सरकार ने जांच के आदेश दिए हैं।

आखिर क्यों ठहरे रहे इतने दिनों तकः

कोरोना वायरस के संक्रमण से पूरी दुनिया जुझ रही है। भारत में इससे निपटने के लिए केंद्र से लेकर राज्य तक एहतियात बरते जा रहे हैं। इसी बीच तबलीगी जमात का पूरे देश में फैल जाना किसी न किसी अंदेशा का सूचक प्रतीत होता है। जब देश में लॉकडाउन का पालन सभी कर रहे थे, तो ये जमात प्रधानमंत्री के आदेश की अवहेलना कर आखिर इतने दिनों तक एक जगह क्या कर रहे थे। देश में पहले शाहीनबाग फिर तबलीगी जमात आखिर इनका मकसद क्या है समझ में नहीं आता है। सरकार सबको घरों में रहने के लिए बार-बार चेतावनी दे रही है। ताकि इंसान की जिंदगी बचायी जा सके। मगर इन जमात के लोगों ने तो हद कर दी। लाकडाउन के दरम्यान भी आराम से जनाब अपनी मंजिल की तरफ बढ़ चले। जब इसको लेकर देश में आवाज उठी तो इसके आयोजक खुद को लॉकडाउन में फंसा हुआ बताकर अपना पल्ला झाड़ रहे हैं। मगर यह बात यहीं आकर खत्म नहीं होती, बल्कि इसकी तह में जाकर इनके मकसद को समझना होगा।

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