कोरोना को लेकर प्रधानमंत्री मोदी की संवेदनशीलता प्रशंसनीय: कोरोना की जड़ मांसाहार है तो पशुओं का कत्लेआम भी बंद होना चाहिए : संदीप कालिया

गाजियाबाद । प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना को लेकर देश में जिस प्रकार एक सकारात्मक और सार्थक परिवेश बनाया है और उनके उस प्रयास को जिस प्रकार देश के लोगों ने अपना समर्थन दिया है वह सब कुछ बहुत ही प्रशंसनीय है । भारत की संस्कृति का लोहा इस समय सारा विश्व मान रहा है। हमारे प्रधानमंत्री श्री मोदी भारतीय सांस्कृतिक मूल्यों में विश्वास रखने वाले प्रधानमंत्री हैं । वह स्वयं नवरात्रों का व्रत बड़ी कठोरता के साथ रखने के लिए जाने जाते रहे हैं । अभी भी वह नवरात्रों का व्रत कर रहे हैं। ‘धरतीपुत्र’ लाल बहादुर शास्त्री के पश्चात श्री मोदी पहले प्रधानमंत्री हैं जिनकी हर बात को देश मानता है और उसके अनुसार काम करने का प्रयास करता है। हमने अभी रविवार को ‘जनता कर्फ्यू’ के उनके आवाहन पर देश की मिली प्रतिक्रिया को देखकर यह समझ लिया है कि लोगों ने प्रधानमंत्री के आवाहन पर ‘जनता कर्फ्यू’ को सफल करके दिखाया है।

प्रधानमंत्री के इस वैज्ञानिक और साहसिक निर्णय की दुनिया भर के वैज्ञानिकों ने भी प्रशंसा की है और यह माना है कि जो बात उनके दिमाग में आनी चाहिए थी उसे भारत के प्रधानमंत्री ने करके दिखाया है। निश्चय ही प्रधानमंत्री के पास दिव्य शक्ति है।

प्रधानमंत्री श्री मोदी ने देश के मंदिरों को, पूजा स्थलों को व अन्य सार्वजनिक स्थानों को बंद कराने का निर्णय लिया है। जिसका परिणाम देखने में ये आया है कि लोगों ने तुरंत इन संस्थानों को बंद कर दिया है ।

यद्यपि औपचारिक रूप से प्रतीकात्मक पूजा के लिए नित्य 1 – 2 व्यक्ति मंदिरों में नियुक्त किया जाना भी अपेक्षित है।

मेरा मानना है कि प्रधानमंत्री का यह निर्णय भी सराहनीय है , परंतु साथ ही साथ यह बात समझ से बाहर है कि मंदिरों को बंद करने का उनका निर्णय तो लागू हुआ है लेकिन चर्च और मस्जिदों में हो रही पूजा पर किसी प्रकार की कोई रुकावट नहीं आई है । याद रहे कि कोरोना यदि फैलता है तो वह हिंदू , मुसलमान या ईसाई नहीं देखेगा , वह मस्जिद से भी निकल कर यदि बाहर आया तो फिर मंदिर वालों को नहीं छोड़ेगा और चर्च वालों को भी नहीं छोड़ेगा। इसलिए प्रधानमंत्री से हम यह भी अपील करते हैं कि वह चर्च और मस्जिदों में हो रही पूजा व इबादत को भी रोकने का कड़ाई से पालन करवाएं।

इसके अतिरिक्त एक बात और भी अधिक विचारणीय है कि कोरोना मांसाहार से फैलता है, यह बात सर्वमान्य है। भारत की संस्कृति को सारा देश ही नहीं सारी दुनिया मान रही है और यह समझ रही है कि प्राकृतिक संतुलन के लिए अन्य पशुओं का या पक्षियों या प्राणियों का भी संसार में बने रहना कितना आवश्यक है ? इसके उपरांत भी भारत में पशुओं का हो रहा कत्लेआम चिंता का विषय है। रोज उतनी ही गाय कट रही हैं , भैंसें कट रही हैं , मुर्गे , बकरे ,सूअर आदि कट रहे हैं जितने कोरोना के आतंक से पहले कट रहे थे । अखिल भारत हिंदू महासभा की ओर से हम प्रधानमंत्री श्री मोदी से यह भी अपील करना चाहते हैं कि वह मांसाहार को रोकने के लिए कड़ा कानून देश में लाएं । साथ ही पशुओं के कत्लेआम को तुरंत वैसे ही बंद कराएं जैसे उन्होंने मंदिरों में पूजा बंद करा दी है ।सारा देश उनकी बात को समर्थन देगा, ऐसा हमें विश्वास है। अखिल भारत हिंदू महासभा उनके इस साहसिक निर्णय का स्वागत और अभिनंदन करेगी । देश के वे करोड़ों लोग उनका समर्थन करेंगे जो मांसाहार को मानवता के संहार का कारण मानते हैं और सारी दुनिया उन्हें अपना हीरो मानेगी जो मांसाहार के दुखदाई परिणामों को भुगत रही है।

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