आयुर्वेद को वैश्विक चिकित्सा पद्धति स्वीकार्य कराने के लिए सरकार ने कसी कमर

नई दिल्ली। एक समय था जब आयुर्वेद की चिकित्सा प्रणाली से संपूर्ण संसार लाभ उठाता था। उस समय इस चिकित्सा प्रणाली को वैश्विक चिकित्सा प्रणाली का दर्जा प्राप्त था । यह एक बहुत ही सुखद पहल है कि हमारी वर्तमान केंद्र सरकार आयुर्वेद को फिर से वैश्विक चिकित्सा प्रणाली का दर्जा दिलाने के लिए प्रयास कर रही है । सरकार इस ओर गंभीर है और वह कई देशों से इस चिकित्सा प्रणाली को स्वीकार करने संबंधी स्वीकृति भी प्राप्त कर चुकी है ।

आयुर्वेद समेत भारतीय चिकित्सा पद्धतियों को दुनिया भर स्वीकार्य बनाने के लिए पहली बार एक साथ कई कदम उठाए गए हैं। इसके लिए आयुर्वेद व भारतीय चिकित्सा पद्धतियों की पढ़ाई करने वाले विदेशी छात्रों के लिए छात्रवृति की व्यवस्था से लेकर इसमें शोध व अनुसंधान के लिए 23 देशों और 22 विदेशी विश्वद्यालयों के साथ समझौते भी किये गए हैं। इसके अलावा 13 देशों में स्थित विदेशी शिक्षण संस्थाओं में विशेष आयुर्वेद व भारतीय चिकित्सा पद्धतियों के लिए चेयर भी स्थापित किये जा रहे हैं। इसके अलावा 31 देशों में 33 आयुष सूचना केंद्र भी बनाए गए हैं, जहां भारतीय चिकित्सा पद्धति के बारे में प्रमाणिक जानकारी उपलब्ध कराया जाता है।

लोकसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में आयुष मंत्री श्रीपद नाइक आयुर्वेद को वैश्विक स्तर पर बढ़ावा देने के लिए उठाए गए कदमों की शुक्रवार को जानकारी दी। इसके तहत भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद माध्यम से 98 देशों के छात्रों के लिए 104 छात्रवृतियों की शुरूआत की है। ये छात्रवृति भारत आकर आयुर्वेद में स्नातक व स्नातकोत्तर की पढ़ाई करने वाले इन देशों के छात्रों को दी जाएगी।

इसके साथ ही भारत ने जापान, जर्मनी, चीन, नेपाल, बांग्लादेश, हंगरी, थाईलैंड, ईरान जैसे 23 देशों के साथ भारतीय चिकित्सा पद्धतियों व होमियोपैथी के क्षेत्र में सहयोग के लिए समझौता किया है। साथ ही ब्रिटेन, कनाडा, अमेरिका, आस्ट्रेलिया, जर्मनी जैसे 11 देशों में स्थिति विश्वविद्यालयों के साथ आयुर्वेद में रिसर्च के लिए भी समझौता किया गया है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आयुर्वेदिक दवाओं को मान्यता दिलाने के लिए अत्याधुनिक वैज्ञानिक अनुसंधान की जरूरत है और सरकार इसके लिए भरसक प्रयास कर रही है। इसके लिए सीएसआइआर की विभिन्न प्रयोगशालाओं में अत्याधुनिक आयुर्वेदिक दवाइयों को विकसित किया जा रहा है, जिनमें कई सफल भी रही हैं। इनमें डायबटीज के इलाज में सीएसआइआर द्वारा विकसित दवा बीजीआर-34 अहम साबित हुई है।

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