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भारतीय इतिहास पुनर्लेखन समिति की बैठक संपन्न : इतिहास के गौरवमयी पक्ष को उजागर करने पर दिया गया बल

नई दिल्ली । ( रविन्द्र आर्य ) यहां नई दिल्ली रेलवे स्टेशन के पास विश्वकर्मा मंदिर में भारतीय इतिहास पुनर्लेखन समिति की बैठक संपन्न हुई । जिसमें इतिहास के गौरवमयी पक्ष को उजागर करने पर उपस्थित सभी विद्वानों ने मतैक्यता प्रकट की । बैठक को संबोधित करते हुए समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ राकेश कुमार आर्य ने कहा कि भारतीय इतिहास के साथ बहुत अधिक ज्यादती की गई है । जिसे शत्रु भाव से कुछ इतिहास लेखकों ने जानबूझकर किया है ।

उन्होंने कहा कि इसके पीछे कांग्रेसी और साम्यवादी लोगों की सोच रही है । श्री आर्य ने कहा कि भारत के वेद , रामायण , महाभारत , गीता आदि से संबंधित तथ्यों व इतिहास को बहुत ही गलत ढंग से प्रस्तुत किया गया है। जिससे कि हिंदू समाज हीनता के भाव से ग्रसित हो। डॉ आर्य ने कहा कि अब भारतीय इतिहास पुनर्लेखन समिति इतिहास को दोबारा लिखने के कार्य को संपन्न करेगी। जिससे कि आने वाली पीढ़ियों को भारत के वास्तविक राष्ट्रपरक इतिहास का बोध कराया जा सके।

डॉ आर्य ने कहा कि भारत के पहले शिक्षामंत्री मौलाना अबुल कलाम आजाद ने जब भारत का स्वतंत्रता आंदोलन का इतिहास लिखवाया तो जानबूझकर एक ऐसे व्यक्ति से यह इतिहास लिखवाया गया जिसने भारत के क्रांतिकारी आंदोलन को उपेक्षित करते हुए गांधीजी के इर्द-गिर्द घूमने वाले इतिहास को हमारे लिए जानबूझकर तैयार करा दिया। जिस व्यक्ति ने यह महान पाप किया था उसका नाम ताराचंद था। उन्होंने कहा कि इंदिरा गांधी के समय में जब कांग्रेस को कम्युनिस्टों के सहयोग की आवश्यकता पड़ी तो उस समय फिर नुरुल हसन नाम के व्यक्ति को शिक्षा मंत्री बना दिया गया। उन्होंने भारतीय सांस्कृतिक इतिहास को मिटाने का हर संभव प्रयास किया।

बैठक की अध्यक्षता कर रहे समिति के राष्ट्रीय संयोजक और इस कार्यक्रम के आयोजक धर्म चन्द्र पोद्दार ने कहा कि हिंदू समाज अब जाग चुका है और वह अपने गौरवबोध को इतिहास की सच्ची पुस्तकों में पढ़ने के लिए लालायित है । इसलिए अब इतिहास के गौरवपूर्ण पुनर्लेखन को कोई नहीं रोक सकता। उन्होंने कहा कि इतिहास को इतिहास की जुबान में बोलने पढ़ने व समझने दिया जाए। श्री पोद्दार ने कहा कि भारत धर्मांतरण की प्रक्रिया के कारण टूटता और विखंडित होता रहा है। इसलिए अब जनसंख्या नियंत्रण और धर्मांतरण पर रोक लगाने संबंधी कानून बनाया जाना समय की आवश्यकता है। उन्होंने इस संबंध में सरकार से मांग करते हुए कहा कि सरकार को शीघ्र ही इस पर निर्णय लेना चाहिए और भारत के टुकड़े टुकड़े करने की धमकी देने वाले लोगों से कड़ाई से निपटना चाहिए।

समिति के संरक्षक गिरधारी लाल देबूका ने कहा कि इतिहास किसी भी देश के अतीत का दिग्दर्शन कराता है और भविष्य की रूपरेखा तैयार करता है । श्री देबूका ने कहा कि भारत का इतिहास विश्व का इतिहास है । यदि भारत के इतिहास को लिखा जाएगा तो संपूर्ण भूमंडल का इतिहास उसमें समाविष्ट हो जाएगा ।क्योंकि संपूर्ण भूमंडल पर ही कभी हमारे पूर्वज आर्यों का शासन रहा था । जबकि श्री राजेंद्र कुमार अग्रवाल ने कहा कि यदि हमारा बीता हुआ कल सुनहरा है तो निश्चित है कि वर्तमान भी मजबूत होगा और भविष्य उज्जवल होगा। उन्होंने कहा कि समिति के माध्यम से इतिहास लेखन का कार्य किया जाना हमारे लिए गौरव की बात है। जिसके लिए सरकार को ही अपेक्षित सहयोग करना चाहिए।

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