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इतिहास के पन्नों से

वैदिक संपत्ति : चीनियों के बारे में कुछ विशेष जानकारी

गतांक से आगे…

चीनियों के आदि पुरुष के विषय में प्रसिद्ध चीनी विद्वान् यांगत्साई ने सन् 1558 में एक ग्रंथ लिखा था। इस ग्रंथ को सन् 1776 में हूया नामी विद्वान् ने फिर सम्पादित किया।इस उसी पुस्तक का पादरी क्लार्क ने अनुवाद किया है।उसमें लिखा है कि ‘अत्यंत प्राचीन काल के मो०लो० ची० राज्य का आह० यू०नामक राजकुमार युत्रन प्रांत में आया। इसके पुत्र का नाम ती० भोगंगे था। इसके नौ पुत्र पैदा हुए। इन्हीं के संततिविस्तार से समस्त चीनियों की वंश वृद्धि हुई’। इसके अतिरिक्त चीन देश में होम (हवन) को घोम कहते हैं । इससे प्रतीत होता है कि उनमें आर्यों का कर्मकांड मुद्दत तक प्रचलित था। चीनवालों का भारत से इतना अधिक संबंध रहा है की यहां से ब्राह्मण लोग धर्मप्रचार के लिए चीन को जाते थे और चीननिवासी यहां आकर फिर से आर्यों के समाज में मिल जाते थे।
हिंदी विश्वकोश पृ०3I8 में उपनिवेश शब्द पर लिखा है कि चीन देश की पुरातत्व आलोचना से यह सिद्ध होता है कि ई० सन पूर्व आठवीं शताब्दी में भारतीय आर्य वाणिको ने चीन देश के बहुत से स्थानों में अपना प्रभाव फैलाया था और बहुत से स्थानों में उपनिवेश भी किया था। तभी तो दारुचीनी जिसे दालचीनी कहते हैं,वहां से आती थी। दारु लकड़ी को कहते हैं,इसलिए एक खास प्रकार की चीन की लकड़ी को दारुचीनी कहा जाता था।यह लगभग 3000 वर्ष के पूर्व की बात है। परंतु हमने चंद्रवंश और आर्यभाषा की जोबात लिखी है, वह तो उस समय की है,जब सर्वप्रथम अार्य लोग ‘चीनी’ होकर चीन गए थे, इसलिए चिनियों के अार्यवंशज होने में जरा भी संदेह नहीं है।
लोग कहते हैं कि जापान में जो जाति निवास करती है,वह चीन से ही जाकर वहां बसी है,क्योंकि दोनों की भाषा आदि में बहुत अन्तर नही है। यह बात ठीक है। पर हमारा अन्वेषणा इतना और बतलाता है की चीन की तरह जापान में भी अभी आर्यजाति की एक शाखा मौजूद है, जिसकी अन्य शाखाओं से जापानियों की उत्पत्ति हुई है।उस मूलवासिनी जाति का नाम ‘ऐन्यू’ है। इसको काकेशियन विभाग के अंतर्गत समझा जाता है । ऐन्यू लोग अब तक प्राचीन ऋषियों के भेष से रहते है।अर्थात दाढ़ी और केश नहीं निकालते। इसलिए इनको आजकल Hairy Men अर्थात बाल वाले लोग कहा जाता है। चाहे जापानी इन काकेशियन की सन्तति हो और चाहे चीनियों की। दोनों सूरतों में वे आर्य क्षत्रिय ही है। जापानियों का ‘बुशिडो’ अर्थात् क्षात्र धर्म अब तक प्राचीन क्षत्रियपने को स्मरण दिला रहा है।ऐन्यू लोगों का प्रस्तुति होना , जापान की स्त्रियों में भारतीयपन का होना और पुरुषों का क्षात्र धर्म आदि बातें एक स्वर से पुकार रही है कि आर्यवंशज ही है।

प्रस्तुति : देवेंद्र सिंह आर्य

चेयरमैन : उगता भारत

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