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भाजपा की होगी बड़ी हार : पाकिस्तान विदेश मंत्री कुरैशी का आया बयान

आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार

दिल्ली विधानसभा चुनाव का परिणाम मंगलवार (फरवरी 11, 2020) को आने वाले हैं। इसके लिए जहाँ भारत में हर ओर लोग इंतजार कर रहे हैं क्योंकि मामला देश की राजधानी का है, वहीं पाकिस्तान में भी चुनाव परिणाम का बेसब्री से इन्तजार हो रहा है। कम से कम वहाँ के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी के बयान से तो यही लगता है। कुरैशी ने दावा किया है कि भाजपा को काफ़ी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने भविष्यवाणी करते हुए कहा कि भाजपा इस चुनाव में बुरी तरह हारने वाली है।

आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान को विश्व में बेनकाब और पाकिस्तान में आतंकवादी ठिकानों पर सर्जिकल और एयर स्ट्राइक करने वाली मोदी सरकार का पाकिस्तान में इतना जबरदस्त डर बैठ चूका है, जिसकी कल्पना नहीं की जा सकती। भारत में होने वाले छोटे-छोटे चुनावों पर निगाह रखने वाला पाकिस्तान हर चुनाव में भाजपा की हार देखने को लालायित रहता है। यदि दिल्ली विधानसभा चुनाव पाकिस्तान की आशा के विपरीत हुए, यानि भाजपा आ गयी, डर है पाकिस्तान ICU में चला जाए। लेकिन एक बात जरूर प्रमाणित हो रही है कि मोदी जो अपने भाषणों में अक्सर कहते हैं कि भाजपा के हारने पर जब पाकिस्तान में आतिशबाज़ी हो,मतलब है पाकिस्तान से फंडेड पार्टियां जीत गयी। पाकिस्तान के इशारे पर काम करने वाली पार्टियों से देशहित की कल्पना कैसे की जा सकती है?

कराची में एक सभा को सम्बोधित करते हुए कुरैशी ने कहा कि भाजपा ने 2019 लोकसभा चुनावों में भले ही भारी जीत दर्ज कर ली, उसके बाद से उन्हें 3 राज्यों में परेशानियों का सामना करना पड़ा है। बकौल पाकिस्तानी विदेश मंत्री, हार का कारण सीएए होगा। नागरिकता संशोधन क़ानून को लेकर उन्होंने कहा कि इसके कारण मोदी से एक बड़ा तबका नाराज़ है। उन्होंने कहा कि मोदी ने नागरिकता पर जो फैसले लिए हैं, उसके कारण उनकी पार्टी को बुरी हार मिलेगी।

कुरैशी ने कहा कि जम्मू कश्मीर में जो ‘अत्याचारी नीति’ अपनाई है, उसके कारण उसे चुनाव में हार मिलने जा रही है। उन्होंने दावा किया कि सीएए और एनआरसी के कारण पूरे भारत में भारी विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। हालाँकि, इस दौरान पाकिस्तान को अन्य देशों से समर्थन न मिल पाने का उनका दुःख भी झलका। उन्होंने कहा कि भारत का सभी देश समर्थन इसीलिए करते हैं क्योंकि वो बहुत बड़ा बाजार है और अन्य देशों को अपना बाजार खोने का डर है।

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