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इतिहास के पन्नों से

वीर बलिदानी गोरा की पत्नी का वह अद्भुत शौर्य

1303 ईस्वी में जब अलाउद्दीन खिलजी ने चित्तौड़ के सुप्रसिद्ध किले पर आक्रमण किया तो उसके इस आक्रमण का लक्ष्य पद्मिनी को प्राप्त करना था।
रानी पद्मिनी के रूप में भारत की अस्मिता की रक्षा करने के लिए उस समय अनेकों वीरों ने अपना बलिदान दिया । ऐसे ही एक बलिदानी गोरा थे। जिनका भतीजा बादल उनके साथ युद्ध में था ।
इस घटना को कर्नल टॉड ने बड़े रोमांचकारी ढंग से प्रस्तुत किया है । कर्नल टॉड ने कहा है — ” सैकड़ों जख्मों से क्षत-विक्षत बालक बादल चित्तौड़ पहुंचा। उसके साथ गोरा नहीं था । यह देखते ही गोरा की पत्नी युद्ध के परिणाम को समझ गई। उसने अपने गंभीर नेत्रों से बादल की ओर देखा । उसकी सांसों की गति तीव्र हो चुकी थी। वह बादल के मुंह से तुरंत सुनना चाहती थी कि बादशाह के सैनिकों के साथ उसके पति गोरा ने किस प्रकार वीरता से युद्ध किया और शत्रुओं का कैसे संहार किया ? – वह बादल के कुछ कहने की प्रतीक्षा न कर सकी और उतावलेपन के साथ उससे कह बैठी – ‘ बादल युद्ध का समाचार सुनाओ। प्राणनाथ ने आज शत्रुओं से किस प्रकार युद्ध किया ? ‘ बादल में साहस था , उसमें बहादुरी थी। अपनी चाची गोरा की पत्नी को उत्तर देते हुए उसने कहा – ‘ चाचा की तलवार से आज शत्रुओं का खूब संहार हुआ। सिंहद्वार पर डटकर संग्राम हुआ। चाचा की मार से शत्रुओं का साहस टूट गया। बादशाह के खूब सैनिक मारे गए । सिसोदिया वंश की कीर्ति को अमर बनाने के लिए शत्रुओं का संहार करते हुए चाचा ने अपने प्राणों की आहुति दी।’ बादल के मुंह से इन शब्दों को सुनकर गोरा की पत्नी को असीम संतोष मिला। क्षणभर चुप रहने के पश्चात बादल के आगे और कुछ न कहने पर उसने तेजी के साथ कहा — ‘ अब मेरे लिए देर करने का समय नहीं है। प्राणनाथ को अधिक समय तक मेरी प्रतीक्षा नहीं करनी पड़ेगी। यह देखकर वीरांगना गोरा की पत्नी ने ( पहले से ही तैयार की गई जलती हुई ) चिता में कूदकर अपनों प्राणों का अंत कर दिया। ”
इसे कहते हैं अद्भुत शौर्य । 1303 की इस घटना के समय हमारे पास कितने हीरे हैं ? – रानी पद्मिनी है , गोरा है , बादल है , गोरा की पत्नी है। रानी के साथ गए 700 सशस्त्र सैनिकों और 700 पालकियों के 6 – 6 कहारों के रूप में वीर योद्धा हैं ।
सब का एक ही लक्ष्य है राष्ट्र की अस्मिता की रक्षा , अपने धर्म की रक्षा , अपने सम्मान की रक्षा करना । ऐसा अद्भुत शौर्य पराक्रम विश्व के किसी अन्य देश में देखने को नहीं मिलेगा कि जहां 12 वर्ष के बच्चे ने भी किले की रक्षा करने के अपने दायित्व को इतनी उत्कृष्टता से पालन किया ।
सचमुच –
यह देश है वीर जवानों का
अलबेलों का मस्तानों का
इस देश का यारों क्या कहना ?
यह देश है दुनिया का गहना ।
तनिक सोचिए । उन्होंने अपने उत्कृष्ट बलिदान क्यों दिए ? क्यों हमारी रानी रानियां वीरांगनाएं जलती हुई चिता में कूदीं ? उत्तर एक ही है- हमारे स्वर्णिम भविष्य के लिए और आज जब हमारा स्वर्णिम भविष्य हमारे हाथों में है तो इसी देश में कुछ ऐसे लोग हैं जिन्हें नागरिकता संशोधन विधेयक में भी सांप्रदायिकता दिखाई दे रही है।
यह वही लोग हैं जो अलाउद्दीन की संतानों को पालते पोषते रहे हैं और तुष्टीकरण का खेल खेलते हुए अपने इतिहास को भुलाने का हर संभव प्रयास करते रहे हैं । आज इन्हें पहचानने की आवश्यकता है। बांग्लादेश , पाकिस्तान और अफगानिस्तान में उत्पीड़न का शिकार हुए हिंदुओं के लिए इनके हृदय में तनिक भी दया भाव नहीं है। यह नहीं सोच पाते कि संसार के एकमात्र हिंदू देश भारत में भी यदि उनका स्वागत नहीं होगा तो और कहां होगा ? आज जब लोगों को नागरिकता देने के लिए भारत का जन-जन तैयार है , तब समझो कि हम गोरा की पत्नी को विनम्र श्रद्धांजलि दे रहे हैं और गोरा जैसे अनेक बहादुर बलिदानियों के बलिदान को भी नमन कर रहे हैं। जिन्होंने इस देश से प्यार करने वाले हर वैदिकधर्मी हिंदू के लिए अपने प्राणों का उत्सर्ग किया था।

डॉ राकेश कुमार आर्य
संपादक : उगता भारत

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