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कौन करता है धर्म को बदनाम

निर्मल रानीपिछले दिनों देश के प्रसिद्ध तथाकथित संत एवं उपदेशक आसाराम पर पूरे देश के मीडिया का ध्यान लगा रहा। कारण सर्वविदित हो चुका है कि आसाराम पर आरोप है कि उन्होंने अपने ही एक शिष्य की नाबालिग पुत्री का यौन शोषण किया। इस प्रकार के यौन शोषण संबंधी आरोप आसाराम पर पहले भी लगते […]

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मोदी किस मर्ज की दवा हैं ?

वीरेन्द्र सिंह परिहार आखिर में भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने संसदीय बोर्ड की सहमति से गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी को भाजपा की ओर से प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित कर ही दिया। राजनाथ सिंह ने गोवा में चल रही कार्यकारिणी में जब नेरन्द्र मोदी को भाजपा की चुनाव प्रचार समिति का अध्यक्ष घोषित कर […]

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आडवानीजी संघर्ष करो, सोनिया तुम्हारे साथ है

आदरणीय आडवानी बाबा, सादर परनाम ! आगे समाचार इ है कि नीतिश कुमार के तरह-तरह के विरोध के बाद भी नरेन्दर मोदिया बिहार में भी लोकप्रिय होता जा रहा है। बिहार के लोगबाग नरेन्दर का इन्तज़ार बड़ी बेसब्री से कर रहा है। नीतीश तो आपके ही मानस पुत्र हैं। जब जरुरत थी तो सांप्रदायिक भाजपा […]

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राष्ट्र-चिंतन: मुस्लिम तुष्टिकरण, दंगे और मुलायम की घिनौनी राजनीति

विष्णुगुप्त मुजफ्फ रनगर का दंगा सत्ता प्राप्त करने की घिनौनी राजनीति का दुष्परिणाम है। अगर ऐेसा नहीं होता तो एक महिला के साथ छेड़खानी पर हुई मजहबी हिंसा को पूरी छूट ही क्यों दी गयी? सरकार और प्रशासन द्वारा मजहबी हिंसा पर रोक लगाने की जरूरत क्यों नहीं समझी गयी? मजहबी हिंसा के पीड़ित परिवार […]

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कांग्रेसी भी नही थे धर्मांतरण के पक्षधर

राकेश कुमार आर्य भारत धर्मान्तरण का जहर फेेलता ही जा रहा है। धर्म के नाम पर भारतीय उपहाद्वीप विभाजन की भयानक पीड़ा पूर्व में झेल चुका है। आगे क्या हो सकता है ये सोचकर भी मन सिहर उठता है। परंतु देश का बहुसंख्यक यदि किसी गफलत में सोता रहा तो कुछ भी संभव है, देश […]

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…और हमारे नेतृत्व ने जिन्ना की रणनीति को नही समझा

प्रो. देवेन्द्र स्वरूप संविधान सभा में पंचायत पर हुई बहस को पढ़ने के बाद अनेक भ्रम दूर हो जाते हैं। उस बहस में करीब 50 सदस्यों ने भाग लिया। वे सब स्वतंत्रता संग्राम के जाने.माने नाम हैं। यह कितनी विचित्र बात है कि संविधान सभा ने जिन समितियों के माध्यम से काम किया उन समितियों […]

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मुस्लिमों का पोषण, हिन्दुओं का शोषण

आज हमारे देश में धर्मनिरपेक्षता का अर्थ केवल मुस्लिम परस्ती व हिन्दू विरोध ही रह गया है तभी तो 2002 में गोधरा कांड की प्रतिक्रिया में हुए दंगों को लेकर आज तक रोने वाले नकली धर्मनिरपेक्षतावादी राजनेता, बुद्धिजीवी, मानवाधिकारवादी तथा मीडिया को पिछले चार-पांच दिनों से उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले के कवाल गांव में […]

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मनमोहन जी! ‘का वर्षा जब कृषि सुखाने’ आपका मौन तो टूटा पर बहुत देरी से…

सिद्धार्थ मिश्र स्वतंत्रविश्व के कुशल अर्थशास्त्रियों में शामिल हमारे प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह जी का मौन अक्सरहां पूरे राष्ट्र को अखर जाता है। बात चाहे घोटालों, न्याय व्यवस्था,महिला सुरक्षा या भ्रष्टाचार की हो मनमोहन जी अक्सर ही बातों को ख़ामोशी से टाल जाते हैं।कुल मिला-जुलाकर यदि उनकी इस प्रवृत्ति का निष्पक्ष होकर आकलन करें तो ये […]

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देश की जनता के पैसे से ऐश करने वाले संत नही होते

रज्जाक अहमद विवादित संत आसाराम बापू के साथ एक और शर्मनाक विवाद  जुड़ गया। इस बार का मामला इतना संगीन व घिनौना है कि जिसे सुनकर हर सभ्य व्यक्ति को ऐसे लोगों से नफरत होने लगती है। लेकिन दुख की बात यह है कि अभी विवाद की जांच शुरू भी नही हुई थी कि मामले […]

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खाद्य सुरक्षा बिल की ध्यान देने योग्य कुछ खास बातें

खाद्य सुरक्षा बिल की खास बात यह है कि खाद्य सुरक्षा कानून बनने से देश की दो तिहाई आबादी को सस्ता अनाज मिलेगा। मौजूदा वक्त में गरीबी की रेखा से नीचे रहने वाले परिवारों को 7 किलो गेहूं 4.15 रुपये प्रति किलो और चावल 5.65 रुपये प्रति किलो के आधार पर हर महीने मिलता है। […]

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