गयासुद्दीन बलबन गुलाम वंश का सबसे प्रमुख सुल्तान था। नासिरूद्दीन के शासन काल में वह मुख्य सेनापति था और तब उसकी शक्ति में पर्याप्त वृद्घि हो गयी थी। बदायूंनी का कथन तो यह भी है कि सुल्तान नासिरूद्दीन ने राज्यसिंहासन पर बैठते ही उलुघ खां की उपाधि बलबन को दी थी और इस उपाधि को […]
Category: संपूर्ण भारत कभी गुलाम नही रहा
पिछले पृष्ठों पर हमने शाहिद रहीम साहब का उद्घरण प्रस्तुत किया था, जिसमें उन्होंने भारत के आर्यावत्र्तीय स्वरूप का उल्लेख किया है। अपने अतीत के गौरवमयी पृष्ठों के आख्यान के लिए उनका वह उद्घरण बड़ा ही अर्थपूर्ण और तर्कपूर्ण है। उनके इस तथ्य की पुष्टिके लिए मनुस्मृति (1.2.22.29) का यह श्लोक भी ध्यातव्य है- आ […]
दिल्ली ने भारत के उत्थान-पतन के कई पृष्ठों को खुलते और बंद होते देखा है। कई राजवंशों ने यहां लंबे समय तक शासन किया, पर समय वह भी आया कि जब उनका इतिहास सिमट गया और उनके सिमटते इतिहास केे काल में ही किसी दूसरे राजवंश ने दिल्ली की धरती पर आकर अपने वैभवपूर्ण उत्थान […]
बात सन 986-987 की है। भारत पर उस समय आक्रमण करने की एक श्रंखला को महमूद गजनवी अभी आरंभ कर नही पाया था। तब प्रतीहार वंश भारत में पतनोन्मुख हो चला था, यद्यपि यह वंश भारत के लिए बहुत ही गौरव प्रदान कराने वाला रहा था। ऐसा गौरव जिसे देखकर इतिहासकारों की मान्यता बनी कि […]
जब विदेशियों ने भारत के इतिहास लेखन के लिए लेखनी उठाई तो उन्होंने भारतीय समाज की तत्कालीन कई दुर्बलताओं को दुर्बलता के रूप में स्थापित ना करके उन्हें भारतीय संस्कृति का अविभाज्य अंग मानकर स्थापित किया। जैसे भारत में मूर्तिपूजा ने भारत के लोगों को भाग्यवादी बनाने में सहयोग दिया, यद्यपि मूलरूप में भारत भाग्यवादी […]
जिस प्रकार हमारे पतन के राजनैतिक कारणों में कुछ काल्पनिक कारण समाहित किये गये हैं और वास्तविक कारणों को वर्णित नही किया गया है, उसी प्रकार हमारे पतन के लिए कुछ काल्पनिक सैनिक कारण भी गिनाये जाते हैं। पर इन सैनिक कारणों को गिनाते समय भी हमारे अतीत का ध्यान नही रखा जाता है और […]
राकेश कुमार आर्यभारत पर आक्रमण करने के पीछे मुस्लिम आक्रांताओं का उद्देश्य भारत में लूट, हत्या, बलात्कार, मंदिरों का विध्वंस और दांव लगे तो राजनीतिक सत्ता पर अधिकार स्थापित करना था। अत: भारतीयों ने भी इन चारों मोर्चों पर ही अपनी लड़ाई लड़ी। जहां मुस्लिमों ने केवल लूट मचायी वहां कितने ही लोगों ने लूट […]
वेद ने राष्ट्र को गौमाता के समान पूजनीय और वंदनीय माना है। वेद का आदेश है कि मैं यह भूमि आर्यों को देता हूं। वेद ऐसा संदेश इसलिए दे रहा है कि वह संपूर्ण भूमंडल को ही आर्य बना देना चाहता है। परंतु संसार को आर्य बनाने से पूर्व वेद की दो शर्तें हैं। उन […]
भारत की पवित्र भूमि के लिए बड़ा सुंदर गीत गाया जाता है :- मेरे देश की धरती सोना उगले.. उगले हीरे मोती…मेरे देश की धरती………….. मैं समझता हूं भारत मां के लिए जिस कवि के हृदय में भी ये भाव मचले होंगे और उन्होंने जब कुछ शब्दों का रूप लिया होगा तो वह कवि भी […]
राकेश कुमार आर्यतराइन का युद्घक्षेत्र पुन: दो सेनाओं की भयंकर भिड़ंत का साक्षी बन रहा था। भारत के भविष्य और भाग्य के लिए यह युद्घ बहुत ही महत्वपूर्ण होने जा रहा था। भारत अपने महान पराक्रमी सम्राट के नेतृत्व में धर्मयुद्घ कर रहा था, जबकि विदेशी आततायी सेना अपने सुल्तान के नेतृत्व में भारत की […]