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मजदूर भैया से विहीन होती मुंबई

इस लेख में आप मुंबई को कोई एक शहर का नाम नही बल्कि सभी बड़े नगरों व प्रवासी मजदूरों को रखने वाले राज्यों का एक प्रतिनिधि नाम समझें। मुंबई शब्द को एक प्रवृत्ति माने जो इन दिनों मेहनतकश, गरीब और गांव छोड़कर शहर आये हुए लोगों को हिकारत, नीची और उपेक्षा भरी दृष्टि से देख […]

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भारत और नेपाल के बिगड़ते संबंधों के पीछे भी कहीं चीन ही तो नहीं खड़ा है ?

जब लद्दाख में चीन भारत के विरुद्ध अपनी सेना बढ़ा रहा है और वहां पर दोनों देशों के बीच तल्खी कुछ अधिक ही बढ़ती जा रही है , तब चीन और भारत के बीच में पड़ने वाला नेपाल भी भारत को आंखें दिखाने लगा है । जिससे शंका होती है कि नेपाल की इस प्रकार […]

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स्वदेशी जैसे अनुकरणीय, उदात्त और वृहद विचार का विरोध क्यों

लोकेन्द्र सिंह (लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तम्भकार हैं तथा माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय, भोपाल से जुड़े रहे हैं।) स्वदेशी का विचार लोगों के मन में बैठ गया तो लाखों लोगों को स्थानीय स्तर पर रोजगार मिलेगा। स्थानीय प्रतिभा को आगे बढ़ने का अवसर मिलगा। उनके उत्पाद की मांग बढ़ेगी तो किसे लाभ […]

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मौलाना को सिखाया तहजीब का पाठ : धर्मनिरपेक्षता का पाठ : एकतरफा तहजीब कब तक निभाए हिंदू

जी न्यूज के एंकर ने मौलाना को सिखाया सेक्युलरिज्म सोमवार (मई 18, 2020) को जी न्यूज के प्रोग्राम ‘ताल ठोक के’ के एंकर अमन चोपड़ा ने एक मौलाना को ‘धर्मनिरपेक्षता’ का पाठ पढ़ाया। दरअसल, प्रोग्राम में चर्चा हाल ही में कर्नाटक के दावणगेरे जिले में हुई सांप्रदायिक घटना पर आधारित थी, जिसमें मुस्लिम महिलाओं को […]

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निजी क्लीनिक बंद होने से मरीज हो रहे है परेशान

अजय कुमार जनता को परेशानियों से बचाने के लिए लॉकडाउन के दौरान राशन-पानी, दूध-सब्जी-फल की दुकानें, मेडिकल स्टोर, सरकारी सस्ते गल्ले की दुकानें, रिपेयरिंग सेंटर तक खुल रहे हैं तब निजी चिकित्सक अपने क्लीनिक या नर्सिंग होम खोलने की हिम्मत क्यों नहीं जुटा पा रहे हैं। कोरोना महामारी के समय जब इसके संक्रमण को रोकने […]

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21वीं सदी और देश का बचपन

डा. प्रदीप श्याम रंजन 21वीं सदी अपनी पूरी शक्ति से गतिमान है और इस वेग के बहाव में कई चीजें चाहे-अनचाहे अपना स्वरुप परिवर्तित कर रही हैं. संकुचित परिवार, ब्यस्त माता-पिता, ब्यस्तता से उपजा समयाभाव और समयाभाव की आभासी प्रतिपूर्ति करते तकनीकी साधनों पर अतिनिर्भरता के फलस्वरुप बचपन की एक विश॓ष किस्म विकसित होती जा […]

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लॉक डाउन के कुछ सकारात्मक पक्ष

सुरेश जैन 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी जी का दुनिया को जियो और जीने दो का संदेश हम सब के मनन और चिंतन में फिर से जागृत हो गया है। लॉकडाउन में शहरों और छोटे कस्बों की बात करें तो पशु-पक्षियों के प्रेम और दया में वृद्धि हुई है। पूरी दुनिया में कोरोना वायरस मानव […]

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राज्य सरकारें मजदूरों को दो वक्त की रोटी नहीं दे सकीं इसलिए हो रहा पलायन

शिव त्रिपाठी सर्वाधिक दुर्दशा देश के असंगठित क्षेत्र के उन करोड़ों मजदूरों को झेलनी पड़ी है व पड़ रही है जो खासकर दिल्ली, महाराष्ट्र, गुजरात, केरल, पंजाब, हरियाणा, कर्नाटक आदि राज्यों में वर्षों से रोजी रोटी कमाकर अपने व अपने परिवारजनों का पेट पाल रहे थे। कोरोना महामारी के चलते सर्वाधिक दुगर्ति देश के असंगठित […]

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लॉक डाउन से भारतीय कृषि आईसीयू किसान कंगाली के कगार पर : सरकार द्वारा किसानों को सीधे तौर पर कोई बड़ा राहत पैकेज नहीं

★ देश की 57 करोड़ की आबादी का कृषि के साथ सीधा जुड़ाव,सम्पूर्ण अर्थव्यवस्था प्रभावित “”””””””””’”””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””” ★ राकेश छोकर / नई दिल्ली “”””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””कोरोना वायरस के संक्रमण की वजह से जारी लॉकडाउन में दुनिया की अर्थव्यस्था का ग्राफ नीचे लुढ़क रहा है।भारत कृषि प्रधान देश हैं, देश की अर्थव्यवस्था कृषि पर ही निर्भर है।भारतीय कृषि अर्थव्यवस्था […]

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राजनीतिक दलों का काम क्या सिर्फ चुनाव लड़ना ही है – भाजपा

प्रभात झा भले ही जनसंघ ने अपना दीया बुझा दिया पर धीरे-धीरे कमल खिलता गया। भारतीय जनता पार्टी ने साबित किया कि संगठन की ताकत क्या होती है। 2 लोकसभा सीटों वाली पार्टी आज 303 सीटों के साथ केंद्र में दूसरी बार पूर्ण बहुमत के साथ सरकार चला रही है। कोरोना महामारी का सामना करते […]

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