ढोल का पोल खुल गया है। यह कहावत बिहार में चरितार्थ हो रहा है। नीतीश कुमार के सुशासन के गुब्बारे में लगता है कि पिन लग गई है। ऐसा इसलिए कि मजबूत किलेबंदी के बावजूद नीतीश कुमार की लोकप्रियता के मिथ आजकल राष्ट्रीय मीडिया में टूट कर बिखर चुका है। इसकी पृष्ठभूमि पहले से ही […]
Category: महत्वपूर्ण लेख
अंग्रेजों के शासन से मुक्ति के लिए जिन स्वदेश प्रेमी राष्ट्रभक्तों ने सतत संघर्ष किया-उनमें महात्मा गांधी, महामना पं. मदनमोहन मालवीय, लाला लाजपतराय, राजर्षि पुरूषोत्तम दास टंडन की श्रंखला में ही एक विभूति थे लाला हरदेवसहाय। इस महान विभूति ने अपना सर्वस्व स्वदेश, स्वदेशी व स्वाधीनता के लिए जीवन अर्पित कर भारतीय स्वाधीनता संग्राम के […]
एक सनकी और चिड़चिड़े स्वभाव वाला तुर्क मियां लूटेरा था बख्तियार खिलजी. इसने 1199 इसे जला कर पूर्णत: नष्ट कर दिया। उसने उत्तर भारत में बौद्धों द्वारा शासित कुछ क्षेत्रों पर कब्ज़ा कर लिया था. एक बार वह बहुत बीमार पड़ा उसके हकीमों ने उसको बचाने की पूरी कोशिश कर ली। मगर वह ठीक नहीं […]
प्रमोद भार्गव हमारे देश में बीते चौसठ सालों के भीतर जिस तेजी से कृत्रिम, भौतिक और उपभोक्तावादी संस्कृति को बढावा देने वाली वस्तुओं का उत्पादन बढ़ा है उतनी ही तेजी से प्राकृतिक संसाधनों का या तो क्षरण हुआ है या उनकी उपलब्धता घटी है। ऐसे प्राकृतिक संसाधनों में से एक है पानी। ‘जल ही जीवन […]
दिनेश पंतइस वर्ष देश में उम्मीद से कम और अनियमित वर्षा ने ग्लोबल वार्मिंग के बढ़ते खतरे की चिंता को बढ़ा दिया है। विकास और उन्नति के नाम पर औद्योगिकीकरण ने पर्यावरण को सबसे अधिक नुकसान पहुंचाया है। निवेश के बढ़ते अवसर ने गांव को भी तरक्की के नक्षे पर मजबूती से उकेरा है। गांवों […]
कोयला आवंटन को लेकर संसद में गतिरोध एक सप्ताह से ज्यादा समय से बना हुआ है। एनडीए ने इस गतिरोध को समाप्त करने हेतु प्रस्ताव दिया है कि इन सभी आवंटनों को रद्द कर दिया जाए और इन्हें आवंटित करने वाली स्क्रीनिंग कमेटी की प्रक्रिया की न्यायिक जांच कराई जाए। सरकार इस पर अभी तैयार […]
द्रोपदी जैसी सन्नारी पर एक आरोप ये भी है कि जब महाभारत युद्घ के पश्चात पाण्डवों को मृत्यु शय्या पर पड़े भीष्म ने उपदेश दिये तो उस समय द्रोपदी ने बीच में हस्तक्षेप करते हुए पितामह से कहा कि आपके ये उपदेश उस समय कहां गये थे जब मेरा चीरहरण किया जा रहा था। कहा […]
कृष्ण चंद्र टवाणी राष्ट्र में भावनात्मक एकता स्थापित करने तथा उसके उत्थान व विकास में भाषा का महत्वपूर्ण स्थान होता है। इसी दृष्टिकोण में भारतीय संविधान में हिंदी को ही राष्ट्रभाषा घोषित किया गया है। हिंदी हमारे राष्ट्र की आत्मा है, प्राण है। चेकोस्कोवाकिया के प्रसिद्घ हिंदी विद्वान डॉक्टर ओदोलेन स्मेकल के विचारों को यहां […]
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने सरकार पर हो रहे चौतरफा हमलो का जबाब देने के लिए अब खुद एक अर्थशास्त्री के रूप में कमान सम्हाल ली है। परन्तु यह भी एक कड़वा सच है कि यूपीए-2 इस समय अपने कार्यकाल के सबसे बुरे दौर से गुजर रही है। जनता की नजर में सरकार की साख लगातार […]
भारतीय संविधान की प्रस्तावना में ही स्पष्ट किया गया है कि भारत के प्रत्येक नागरिक को सामाजिक आर्थिक और राजनीतिक न्याय प्रदान किया जाएगा। संविधान की यह अवधारणा बहुत ही न्यायसंगत है। कोई भी व्यक्ति सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय प्राप्त करने से वंचित नही किया जाना चाहिए। यदि किसी व्यक्ति को इन तीनों प्रकार […]