फैजाबाद के गुमनामी बाबा या भगवनजी के बारे में लगभग 27 वर्ष से यही कयास लगते रहे हैं कि कहीं वह क्लिक करेंसुभाष चंद्र बोस तो नहीं थे।चलते हैं 16 सितंबर, 1985 के दिन। फैजाबाद के रामभवन के पिछवाड़े में रह रहे गुमनामी बाबा के दो प्रमुख भक्त और उनके नज़दीकी डॉक्टर आरपी मिश्रा और […]
श्रेणी: महत्वपूर्ण लेख
मुजफ्फर हुसैनगतांक से आगे….अपने शोधपत्र में डा. मुनाफ लिखते हैं-पवित्र कुरान के अनुसार प्रगति के दो मार्ग हैं-अपनी खुशियों को बढ़ाकर अथवा अपने दुखों को कम कर के लेकिन इसके लिए पशुओं की हत्या करने के लिए नही कहा गया है। मनुष्य को जिनसे प्रेम और खुशियां मिली हैं उनमें महिला, बच्चे, सोने चांदी के […]
विनोद बंसलभारत व्रत पर्व व त्यौहारों का देश है। यूं तो काल गणना का प्रत्येक पल कोई न कोई महत्व रखता है किन्तु कुछ तिथियों का भारतीय काल गणना (कलैंडर) में विशेष महत्व है। भारतीय नव वर्ष (विक्रमी संवत्) का पहला दिन (यानि वर्ष-प्रतिपदा) अपने आप में अनूठा है। इसे नव संवत्सर भी कहते हैं। […]
महत्वपूर्ण तिथियां -31 जनवरी 1857 : मंगल पांडे जो बैरकपुर में अंग्रेजी सेना की 34वीं नेटिव इन्फेन्ट्री के एक सिपाही थे, को एक भंगी द्वारा कारतूस में चर्बी होने की बात पहली बार मालुम हुई।-28 फरवरी 1857 : 19वीं रेजीमेंट के कमाण्डर माइकेल द्वारा सिपाहियों को परेड के लिए आदेश परंतु -सैनिकों ने इनकार कर […]
सूर्यकांत बालीगार्गी का पहला सवाल बहुत ही सरल था। पर उसने अन्तत: याज्ञवल्क्य को ऐसा उलझा दिया कि वे क्रुध्द हो गए। गार्गी ने पूछा था, याज्ञवल्क्य बताओं तो, जल के बारे में कहा जाता है कि हर पदार्थ इसमें घुलमिल जाता है तो यह जल किसमें जाकर मिल जाता है?अगर वैदिक साहित्य पर सूर्या […]
एक बार घूमते-घूमते कालिदास बाजार गये । वहाँ एक महिला बैठी मिली। उसके पास एक मटका था और कुछ प्यालियाँ पड़ी थी । कालिदास ने उस महिला से पूछा: क्या बेच रही हो ?महिला ने जवाब दिया: महाराज ! मैं पाप बेचती हूँ ।कालिदास ने आश्चर्यचकित होकर पूछा: पाप और मटके में ?महिला बोली: हाँ […]
पिछले दिनों तहसीलदार दादरी राजेश कुमार शुक्ला के खिलाफ वकीलों ने आंदोलन का बिगुल फूंक दिया था। वकीलों का कहना था कि श्री शुक्ला एक भ्रष्ट अधिकारी हैं जिन्होंने नैतिकता और न्याय की सारी सीमाएं ही तोड़ दी हैं। इस संबंध में वकीलों की एक बैठक अध्यक्ष महीपाल सिंह भाटी की अध्यक्षता में हुई थी […]
-मणि राम शर्मा|| भारत में लोकतंत्र के कार्यकरण पर समय समय पर सवाल उठते रहे हैं| पारदर्शी एवम भ्रष्टाचारमुक्त शासन के लिए शक्तियों के प्रयोग करने में पारदर्शिता और समय मानक निर्धारित होना आवश्यक है क्योंकि विलम्ब भ्रष्टाचार की जननी है| इस दिशा में सूचना का अधिकार अधिनियम,2005 की धारा 4 (1) (b) (ii) में […]
मुजफ्फर हुसैनमनुष्य के आचार विचार की पहली सीढ़ी उसका खान-पान का आधार भौगोलिक परिस्थितियों पर निर्भर करता है। मनुष्य क्या खाता है, उससे उसके स्वभाव की पहचान होती है, लेकिन भूगोल और अर्थव्यवस्था के साथ साथ उसका धर्म, उसके खान पान और स्वभाव को मर्यादित करने में बड़ी भूमिका निभाता है। आज की दुनिया में […]
डा0 कुलदीप चंद अग्निहोत्रीसंघ लोकसेवा आयोग देश के बड़े नौकरशाहों की भर्ती करता है । ऐसे नौकरशाह जो हिन्दुस्थान की नीतियों का निर्धारण करते हैं , जो देश के भाग्य विधाता हैं । इन नौकरशाहों में भी ,जो पहाड़ की चोटी पर बैठते हैं और जिनको देश की स्थायी सरकार कहा जाता है , आई […]