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बढ़ते साम्प्रदायिक दंगों से टूटता संयम

आर. के. गुप्ता23 सितम्बर, 2013 को राजधानी दिल्ली में हुई राष्ट्रीय एकता परिषद की बैठक में प्रधानमंत्री श्री मनमोहन सिंह ने राजनीतिक दलों से अपील की है कि वह साम्प्रदायिक दंगों में राजनीतिक लाभ न देखें। सत्तारुढ़ दल कांग्रेस की अध्यक्षा सोनिया गांधी, उपाध्यक्ष राहुल गाधी व खुद प्रधानमंत्री जी अपने मुस्लिम वोट बैंक को […]

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हृदय का ओ३म् और सूर्य उपासना के साथ आध्यात्मिक समन्वय

‘उगता भारत’ के वैचारिक पिता महाशय राजेन्द्र सिंह आर्य एवं पूज्यनीया माताजी श्रीमती सत्यवती आर्या की जयंती पर विशेष ओ३म् का जाप हृदय से करना चाहिए। मानव शरीर में हृदय इस प्रकार है जिस प्रकार इस दुनिया में सूर्य है। दोनों से नीली, पीली, हरी, लाल किरणें निकलती हैं। दोनों का आपस में संबंध है। […]

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भारतीय संविधान, न्यूनतम मजदूरी और लोक सेवकों के वेतनमान

मनीराम शर्माआपको ज्ञात ही है कि सरकारी सेवकों के वेतनमानों में संशोधन के लिए वेतन आयोग के सदस्यगण विदेशों का भ्रमण कर यह पता लगाते हैं कि वहाँ पर वेतनमानों की क्या स्थिति है और भारत में लोक सेवकों को विदेशों के सामान वेतनमान की अनुसंशा की जाती है। गत छठे वेतन आयोग के माध्यम […]

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गायत्री मंत्र से सिद्घि प्राप्त व गुरू मंत्र के प्रचारक

गुरू मन्त्र ओ३म भुर्भूव: स्व:। तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि। धियो यो न: प्रचादयात ।। महेन्द्र सिंह आर्ययह मंत्र संसार के सब गुरू मंत्रों का गुरू मंत्र है। इस मंत्र की बराबरी संसार कोई का कोई भी गुरू मंत्र नही कर सकता। क्योंकि इस गुरू मंत्र का सृष्टा, दृष्टा व नियंता आप सच्चिदानंदस्वरूप निराकार, निर्विकार, सर्वज्ञ, […]

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वेदों ने गौ माता को अवध्या कहकर पूजनीया माना है

राकेश कुमार आर्य वैदिक संस्कृति संसार की सर्वोत्तम संस्कृति है। इस संस्कृति ने अहिंसा को धर्म के दस लक्षणों में जीवन को उन्नतिशील बनाने वाले दस यम नियमों में प्रमुख स्थान दिया है। इसने दुष्ट की दुष्टता के दमन के लिए मन्यु की अर्थात सात्विक क्रोध की तो कामना की है, परंतु अक्रोध को धर्म के ही […]

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ओ३म् साम्प्रदायिक नही है

खुशहाल चन्द्र आर्ययह तो पूरा विश्व मानता है कि वेद संसार के सबसे प्राचीन ग्रंथ हं। ईश्वर ने जब सृष्टि की रचना की तभी चारों वेद जिनके नाम ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद व अथर्ववेद हं जो क्रमश: ज्ञान, कर्म, उपासना और विज्ञान के ग्रंथ हैं और चार ऋषियों जिनके नाम अग्नि, वायु, आदित्य व अंगीरा थे, […]

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वैश्विक उन्नति का मापदण्ड और उसके प्रभावक पहलू

डॉ. मधुसूदन (एक) प्रवेश:शीर्षक देने में, कुछ कठिनाई,  अनुभव कर रहा हूँ। यदि प्रश्न उठाए जाएंगे, तो और उत्तर ढूंढने का प्रामाणिक प्रयास किया जाएगा।वैसे यह विषय एक से अधिक आलेखों के लिए उचित है।आ.गङ्गानन्द जी के,अनुरोध पर , इस आलेख में,  “पश्चिमी सभ्यता  (संस्कृति?)  के उन पहलुओं पर रोशनी डालनेका प्रयास किया है, जिन्हों ने उसे आज कीदुनिया […]

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राष्ट्रधर्म के ओजस्वी कवि दिनकर

राष्ट्रधर्म के ओजस्वी कवि दिनकर राष्ट्रीय चेतना के मंत्र हैं उनकी रचनाएं – अनिता महेचा, जैसलमेर मैथिलीशरण गुप्त हिन्दी के प्रथम राष्ट्र कवि थे तो दिनकर उनके सच्चे उत्तराधिकारी थे। गुप्तजी की राष्ट्रीयता में सांस्कृतिक तत्त्व गहरा था, उसी का एक व्यापक पक्ष हमें दिनकर के काव्य में दृष्टिगत होता है। दिनकर ने प्रारंभ से […]

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देश की दूसरी आजादी के लिए जागरण आवश्यक:शास्त्री

पश्चिम बंगाल में गो-हत्या निषेध को लेकर संघर्ष कर रहे ब्रह्मचारी ऊपानंद का कहना है कि पश्चिम बंगाल में सरकार का गो-रक्षा के प्रति कोई दायित्व बोध नही है। यहां मुस्लिम तुष्टिकरण जमकर हो रहा है, गो-वंश संवर्द्घन की बजाए गो-वंश विनाश की घातक नीतियां बन रही हैं। जिससे गो-वंश के लिए खतरा पैदा हो […]

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पर्यावरण सन्तुलन के लिए गाय आवश्यक

राकेश कुमार आर्यगौवध निषेध पर संविधान सभा में बड़ी रोचक बहस हुई थी। पूर्वी पंजाब के जनरल पंडित ठाकुरदास भार्गव, सेठ गोविंददास, प्रो. छिब्बनलाल सक्सेना, डा. रघुवीर (सी.पी. बेरार : जनरल) मि. आर.बी. धुलिकर, मि. जैड, एच. लारी (यूनाईटेड प्रोविन्स मुस्लिम सदस्य) तथा असम से मुस्लिम सदस्य रहे सैय्यद मुहम्मद सैदुल्ला सहित कई विद्वान सदस्यों […]

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