आत्मा और परमात्मा , का नरतन है गेह। नर से नारायण बानो, इसलिए मिली यह देह ॥2526॥ तत्त्वार्थ :- नर से नारायण बनने से अभिप्राय है जो परमपिता परमात्मा के दिव्य गुण हैं उन्हें अपने चित्त में धारण करो ताकि तुम भी प्रभु के तदरूप हो जाओं वस्तुत: मानव जीवन का यही अंतिम लक्ष्य है। […]
मानव जीवन का लक्ष्य क्या है ?