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भारतीय संस्कृति

अर्थशास्त्र: वित्तीय घाटे की दिशा देखिए

सरकार की मंशा है कि भ्रष्टाचार चलता रहे और विकास भी हो, जिससे सत्ता पर पुन: काबिज हुआ जा सके। यह रणनीति सफल हो सकती है, क्योंकि विपक्ष के पास फिलहाल कोई प्लान नहीं है। रिटेल में विदेशी निवेश खोलने एवं दूसरे आर्थिक सुधारों को गति देने के बावजूद अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसियों ने भारत को […]

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भारतीय संस्कृति

आम आदमी की पहुंच से दूर होती सरकार

श्रीमति शीला दीक्षित साहिबा की बातों का बुरा मानने की जरूरत नहीं है। उन्होंने अगर छह सौ रूपये में पांच लोगों के महीनेभर की दालरोटी का जुगाड़ खोज लिया है तो यह उनकी राजनीतिक मजबूरी है। पूरी कांग्रेस सरकार कैश कांड का प्रचार करने निकल पड़ी है ऐसे में शीला दीक्षित अगर दिल्ली प्रदेश में […]

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आम आदमी की पहुंच से दूर होती सरकार

श्रीमति शीला दीक्षित साहिबा की बातों का बुरा मानने की जरूरत नहीं है। उन्होंने अगर छह सौ रूपये में पांच लोगों के महीनेभर की दालरोटी का जुगाड़ खोज लिया है तो यह उनकी राजनीतिक मजबूरी है। पूरी कांग्रेस सरकार कैश कांड का प्रचार करने निकल पड़ी है ऐसे में शीला दीक्षित अगर दिल्ली प्रदेश में […]

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विकृत सेक्युलरवाद

बलवीर पुंजअसम में आग क्यों लगी और 11 अगस्त को मुंबई के आजाद मैदान में पाकिस्तानी झंडे क्यों लहराए गये? मुंबई के बाद पुणे, बैगलूर, हैदराबाद, लखनऊ, कानपुर और इलाहाबाद से रोहयांग और बांग्लादेशी मुसलमानों के समर्थन में हिंसा क्यों हुई? क्यों पूर्वोत्तर के करीब पचास हजार लोग विभिन्न शहरों से रेाजी रोटी छोड़ पलायन […]

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विकृत सेक्युलरवाद

बलवीर पुंजअसम में आग क्यों लगी और 11 अगस्त को मुंबई के आजाद मैदान में पाकिस्तानी झंडे क्यों लहराए गये? मुंबई के बाद पुणे, बैगलूर, हैदराबाद, लखनऊ, कानपुर और इलाहाबाद से रोहयांग और बांग्लादेशी मुसलमानों के समर्थन में हिंसा क्यों हुई? क्यों पूर्वोत्तर के करीब पचास हजार लोग विभिन्न शहरों से रेाजी रोटी छोड़ पलायन […]

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भारत में सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के मंत्रद्रष्टा

‘माई कंट्री माइ लाइफ’ बस नाम ही काफी है लेखक के उदात्त चित्त को समझने के लिए। राष्ट्रीय संवेदना से इतना एकाकार कि लेखक का जीवन ही देश का जीवन बन गया या राष्ट्र जीवन ही लेखक का प्राण तत्व हो गया। अनादिकाल के ऋषियों से लेकर प्रभु श्रीराम, श्रीकृष्ण, आचार्य चाणक्य, स्वामी विवेकानंद, योगी […]

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भारत में सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के मंत्रद्रष्टा

‘माई कंट्री माइ लाइफ’ बस नाम ही काफी है लेखक के उदात्त चित्त को समझने के लिए। राष्ट्रीय संवेदना से इतना एकाकार कि लेखक का जीवन ही देश का जीवन बन गया या राष्ट्र जीवन ही लेखक का प्राण तत्व हो गया। अनादिकाल के ऋषियों से लेकर प्रभु श्रीराम, श्रीकृष्ण, आचार्य चाणक्य, स्वामी विवेकानंद, योगी […]

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मानवाधिकारों का दर्शन

वी. एम. तारकुंडेमानवाधिकारों की रक्षा और इन्हें आगे बढ़ाने की दृष्टि से राष्ट्र संघ ने बहुमूल्य कार्य किये। राष्ट्र संघ ने स्त्रियों का व्यापार रोकने, विवाह की उम्र बढ़ाने, विभिन्न देशों में बाल कल्याण को सुनिश्चित करने तथा हजारों शरणार्थियों के पुनर्वास के कदम उठाए। लेकिन मानवाधिकारों को आगे बढ़ाने की दृष्टि से राष्ट्र संघ […]

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मानवाधिकारों का दर्शन

वी. एम. तारकुंडेमानवाधिकारों की रक्षा और इन्हें आगे बढ़ाने की दृष्टि से राष्ट्र संघ ने बहुमूल्य कार्य किये। राष्ट्र संघ ने स्त्रियों का व्यापार रोकने, विवाह की उम्र बढ़ाने, विभिन्न देशों में बाल कल्याण को सुनिश्चित करने तथा हजारों शरणार्थियों के पुनर्वास के कदम उठाए। लेकिन मानवाधिकारों को आगे बढ़ाने की दृष्टि से राष्ट्र संघ […]

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धर्म, साम्प्रदायिकता और राजनीति

गतांक से आगे…..मस्तराम कपूरइस्लाम में भी कट्टïरता और उदारता का द्वंद्व देखा जा सकता है। प्रारंभ में इस्लाम की धार उदार रही होगी, क्योंकि अरब देशों में उसका किसी बड़े संगठित धर्म से टकराव नही हुआ। ईरान में अग्नि पूजकों के धर्म को विस्थापित करने में ऐसा लगता है उसे विशेष कठिनाई नही हुई और […]

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