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समाज

अपनों से ही शर्मसार होती मानवता

राजेंद्र प्रसाद शर्मा आंकड़े भले ही दिल्ली के हों, पर कमोबेश यह तस्वीर सारी दुनिया की देखने को मिलेगी। राजधानी दिल्ली में 2017 की आपराधिक गतिविधियों की बाबत दिल्ली पुलिस द्वारा इसी माह जारी आंकड़ों में कहा गया है कि बलात्कार के सत्तानवे फीसद मामलों में महिलाएं अपनों की ही शिकार होती हैं। अपनों से […]

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अन्य कविता

दहकते शोलों पर मानवता का महल

जहां मुंह में राम बगल में छुरी, आचरण में इतनी गलती हो। जहां धर्म और पूजा के नाम पर, लड़ते भाई-भाई हों।जहां ऊंच-नीच रंग जाति भेद, जैसी कुटिल बुराई हो। आस्तिकता को छोड़ जहां, नास्तिकता को अपनाते हों।सेवा, त्याग, प्रेम, अहिंसा को, जहां गहवर में दफनाते हों। मनुष्यता की छाती पर बैठी, पशुता जोर से […]

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विविधा

विनाश की ओर बढ़ती मानवता

अनिल कुमार पाण्डेय विश्व जनसंख्या दिवस कोई साधारण दिवस नहीं, बल्कि सयुंक्त राष्ट्र संघ द्वारा घोषित एक अंतर्राष्ट्रीय दिवस है। विश्व में सुपर सोनिक गति से बढ़ती जनसंख्या के प्रति लोगों में जागरुकता लाने के उद्देश्य से ही यह दिवस मनाया जाता है। ये बात अलग है कि इस तरह के उद्देश्यपूर्ण दिवसों की जानकारी […]

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