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…… पेशावर की छाती में उतरा तालिबान का खंजर था

हजरत साहब की आँखों में भी आंसू भर आये होंगे, और मोहम्मद ने निश्चित ही घंटो नीर बहाए होंगे, जन्नत के तेरे सभी फ़रिश्ते चुप कैसे रह पाए होंगे ? अली हुसैन से पूंछो जाकर कैसे सब्र वो लाये होंगे, जब नन्हें मुन्हें बच्चे उस  दहशत में चिल्लाए होंगे, और जालिमों से बचने को भरसक […]

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