पीयूष द्विवेदी इसे इस देश की सियासत की क्रूर व्यापकता कहें या हमारे सियासतदारों की संवेदनहीनता कि यहाँ भूखे आदमी की रोटी से लेकर मुर्दा आदमी के कफऩ तक कहीं भी सियासत शुरू हो जाती है। जहाँ कहीं भी वोटों की गुंजाइश दिखी नहीं कि हमारे सियासतदां मांस के टुकड़े पर गिद्धों के झुण्ड की […]