जो जातियां विदेशी आक्रांताओं को लूट-पीटकर जंगलों में छिप जाती थीं, या जंगलों की ओर भाग जाती थीं, उसे विदेशी (वास्तविक लुटेरों) ने ‘लुटेरी जाति’ कहकर संबोधित किया और उसे ऐसा ही इतिहास में प्रसिद्घ किया। 1936 ई. में वर्तमान भारत को उसके अतीत से काटने के लिए एक ‘प्रगतिशील लेखक संघ’ नामक संगठन ने […]