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धर्मनिष्ठ राजनीति और स्वामी दयानंद

महर्षि दयानन्द सरस्वती जी महाराज व्यक्ति के मौलिक अधिकारों के समर्थक और प्रतिपादक थे। इस सन्दर्भ में उनकी मान्यता थी कि राजधर्म अर्थात् राजनीति का नीति और धर्म पर आधारित होना आवश्यक है। क्योंकि नीति और धर्म आधारित राजनीति ही व्यक्ति को मौलिक अधिकार प्रदान करती है, उसका सर्वांगीण विकास करने में समर्थ होती है। […]

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