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पति के संयम सदाचार के पालन करने तथा पत्नी के पति तथा परिवार के सदस्यों के साथ वेदोक्त प्रिय आचरण से पति की आयु बढ़ेगीअन्यथा बाकी सब मिथ्याचार है*।

लेखक आर्य सागर खारी 🖋️

पत्नी वह जो पति को पतन के मार्ग पर जाने से बचाए बुराइयों से रोके इसलिए उसे पत्नी कहा गया है| आयुर्वेद, जीवन दर्शन के ग्रंथों में आयु को घटाने -बढ़ाने वाले कर्म का विस्तार से वर्णन किया गया है | पति के सदाचार के पालन करने संयमित जीवन जीने से आयु बढ़ती है| जो व्यभिचार, शराब ,धूम्रपान देर से सोना देर से उठना जैसी बुराइयों से घिरा रहता है दुराचार युक्त जीवन जीता है वह कभी भी लंबी आयु प्राप्त नहीं कर सकता ,चाहे उसकी धर्मपत्नी कितने ही जतन कर ले वह निस्रोतेज होकर रोख ग्रस्त होकर नरक युक्त जीवन काटेगा,अल्पायु रहेगा साथ ही जो पत्नी परिवार के सदस्यों सास ससुर, ननंद ,भाभी देवर के साथ वर्षभर कठोर अप्रिय आचरण व्यवहार करेगी वह पति के मानसिक संताप दुख का कारण बनी रहेगी ऐसे में पति अपने श्रेष्ठ कर्म से अर्जित दीर्घ आयु का भी सुख नहीं भोग पाएगा| पत्नी का दायित्व बनता है वह परिवार में कोमल मीठा व्यवहार रखें सभी को यथा योग्य सम्मान देवे| घर की रसोई में आहार भी ऐसे पकाए जिनसे आयु में वृद्धि हो परिवार में कोई रोग ना आवे ग्रह शास्त्र पाककला में निपुण हो। संस्कार विधि व सत्यार्थ प्रकाश में महर्षि दयानन्द ने पति-पत्नी के परस्पर श्रेष्ठ आचार आरोग्य वर्धक भोजन छादन पर विस्तार से प्रकाश डाला है । ठीक इसके विपरीत आज की कथित आधुनिक महिला स्वास्थ्य नाशक फास्ट फूड बाजार से मंगा कर पारिवारिक जनो के पेट को भर देती है ऐसी पत्नियों को Mudrerr of Husbands अर्थात पतियों की हत्यारण कहां जाता है |
एक किताब भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लिखी गई है इस विषय पर|

म्हारी दादी ,नानी अन्य बुजुर्ग महिलाएं करवा चौथ का कपोल कल्पित बाजार द्वारा निर्मित व्रत नहीं रखती थी फिर भी हमारे दादा ,नाना व गांव समाज के अन्य बुजुर्गों की औसत आयु 100 वर्ष थी | इसका कारण यही था कि वह सदाचार के नियमों का पालन करते थे अधिक विषय भोग नहीं करते थे ,सात्विक खान-पान रखते थे|
परिवार की महिलाएं अपने काम से काम करती थी कभी भी खाली नहीं बैठती थी| सास ससुर का हृदय से सम्मान करती थी। वह लोग कम पढ़े लिखे थे लेकिन ईश्वर की वेदोक्त आज्ञा का पालन करते थे| महर्षि दयानंद ने भी कहा है “हर कोई विद्वान नहीं बन सकता लेकिन धर्मात्मा सब बन सकते हैं हमारे बुजुर्ग धर्मात्मा थे”।

करवा चौथ का यह दिखावटी श्रंगार प्रधान कथित व्रत अर्वाचीन है भारतीय सनातन वैदिक संस्कृति से इसका कोई सामाजिक सरोकार नहीं है | इस व्रत के मूल में अध्यात्मिकता, वैज्ञानिकता नहीं है अपितु अपनी जिद को पूरा करने की प्रवृत्ति ,बाजारवादी शक्तियों का षड्यंत्र इसके मूल में है| कितने ही परिवारों में वाद विवाद इस विघटनकारी कथित व्रत के कारण हो जाता है|अंत में इतना ही कहूंगा श्रेष्ठ घर गृहस्थी का यह त्यौहार नहीं लंपट अनाचार में डूबे हुए दंपतियों का यह कथित त्यौहार है…….।

सच्चा करवा चौथ कैसे मनाये?____

किसी माता बहिन के उपवास रखने, भूखे रहने, पूजा पाठ करने इत्यादि से उसके पति की उम्र नहीं बढ़ेगी ।

यदि वास्तव में आपको अपने पति की उम्र बढ़ाना है उन्हें दीर्घायु बनाना है तो निम्न काम कीजिए –

1 अपने पति का बीड़ी पीना छुड़वाईए
ताकि धूम्रपान से फेफड़े खराब न हो

2 जर्दा तम्बाकू खाना बंद करवाइये
ताकि केन्सर इत्यादि से बचा जा सके .

3 शराब पीना या अन्य किसी भी प्रकार का नशा बंद करवाइये
ताकि पाप ,अनाचार, दुर्घटनाओ आदि से बच सके ।

  1. आयुर्वेद को जाने और इसके अनुसार अपनी पाकशाला(रसोई) संचालित करे
    ताकी पति के साथ संपूर्ण परिवार को नियमित स्वास्थ्यवर्धक भोजन मिले।

5 इस दिन पति-पत्नी उत्तम व्यवहारों को करने का संकल्प लें सुगंधित रोग नाशक जड़ी बूटियां से विशेष यज्ञ रचाये

बस इतना कीजिए, समझो आपका करवा चोथ का व्रत पूर्ण हुआ।

आर्य सागर खारी 🖋️

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