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डॉ डी के गर्ग

निवेदन ; ये मेरा अनूठा प्रयास है जिसमे आपसी पारिवारिक संबंधों पर सूत्र दिए हैं,कोई गलती या सुधार के लिए मेरा मार्गदर्शन करे और अच्छा लगे तो शेयर करे।
कुल 101 सूत्र है जो पांच भागों में है।

  1. अचानक मिला हुआ मित्र ,जो अक्सर आपको गले लगाए,मित्र होने का अहसास कराए,आपके सामने किसी गुरु या भगवान के भ toक्त होने का नाटक करे,ऐसे मित्र से सावधान रहना चाहिए,ऐसा मित्र धोखा जरूर देगा।
    2.मित्रता स्थिर रखने के लिए जरुरी है की मित्र के साथ व्यवसाय कम से कम करे,ना उससे उधार ले और दे सिवाय जरुरी मदद के।
    3.मित्र के साथ अपने जीवन की गोपनीय घटनाएं जरूरी ना होने पर भी ना बताए क्योंकि मित्रता टूटने पर वह आपके जीवन को सावजनिक कर देगा।जो बाते आप गोपनीय नहीं रख सकते ,वह दुसरे से कैसे उम्मीद कर सकते है।
    4.आपने कोई बात अपने मित्र को बताई और मित्र ने वही बात आपकी इच्छा के विरुद्ध अन्य मित्रो के बता दी,ऐसे मित्र से बातचीत बंद ना करे ये उसकी अज्ञानता हो सकती है, लेकिन भविष्य में सावधानी बरते।
    5.मित्र को उधार देकर मदद करना गलत नही है,लेकिन ये उसकी आदत में हो तो ऐसे मित्र का त्याग कर देना चाहिए।
    6 यदि पुत्री बन ठन कर घर से जाए,बात बात पर मां से जुबान लड़ाई, पिता से निगाह चुराए,ऐसी पुत्री की गतिविधि और चरित्र संदिग्ध होता है।
    ६ जो बेटी पिता के पास खेले कूदे और व्यस्क होने पर भी पिता के साथ बैठने ,बातचीत करने ,पिता को सुनने ,पिता के सुख दुःख में हाथ बताने में अग्रसर हो, ऐसी बेटी देव तुल्य होती है और दो घरो की रक्षा ,सुरक्षा और उन्नति की भागीदारी होती है।
    ७ जो बेटी माँ से बहस करे , माँ का उपहास करे ,माँ का पूर्ण सम्मान ना करे ऐसे बेटी चुड़ैल सामान होती है।
    ८ जो बेटी माता -पिता के एक बार कहने से अपनी जिद छोड़ दे ,अपने क्रोध पर नियंत्रण करे , पारिवारिक कलह को भूलजाये ,कभी याद ना रखे ऐसी बेटी लक्ष्मी तुल्य होती है।
    ९ जो बेटी माता -पिता के विरुद्ध वर की तलाश करे और परिवार की परम्परा के विरुद्ध विवाह की जिद करे ,ऐसी बेटी का भविष्य हमेशा अनिश्चित होता है।
    १० जो बेटी माता -पिता को अपने कार्यो से समाज में शर्मिंदा करे ,और समझाने पर भी जिद पर रहे ,ऐसी बेटी त्याज्य है।
    1। जो बेटी माता पिता के हित के लिए विवाह ना करे , और समझाने पर भी नहीं माने ,ऐसे माता पिता को कोई सुयोग्य वर तलाश करके विवाह कर देना चाहिए ,चाहे दामाद को घर जमाई क्यों ना बनानां पड़े।
    १२ जो बेटी अपने विवाह के पश्चात् माता -पिता से धन की मांग करती रहे ,और कभी संतुष्ट ना हो , ऐसी बेटी परिवार के विघटन का कारण बनती है ।
    १३ बहिन घर अक्सर या हमेशा रहने वाला भाई और ससुराल में हमेशा आने जाने वाला या रहने वाला जमाई कभी सम्मान नहीं पाते है।
    १४ जो बेटी विवाह ले पश्चात् पाने माता पिता या परिवार की बुराई होने वाले पति से करे ,तो वह भरोसे के लायक नहीं होती और ससुराल में ज्यादा सम्मान नहीं पा सकती ,उसकी विस्वसनीयता ख़तम हो जाती है।
    १५ अच्छे मित्र के लक्षण राजा भर्तृहरि जी के नीतिशतकम् में बताये है —
    पापान्निवारयति योजयते हिताय,
    गुह्यं निगूहति गुणान्प्रकटी करोति।
    आपद्गतं च न जहाति ददाति काले,
    सन्मित्रलक्षणमिदं प्रवदन्ति सन्तः।।
    १६ यदि पत्नी पति के जेब से अक्सर पैसा निकलती हो ,बताकर या चुपचाप ,किसी भी तरह से ,ऐसी स्त्री लालची होती है और स्वयं को असुरक्षित महसूस करने वाली होती है।
    १७ मित्र की बहिन को अपनी बहिन, मित्र के माता पिता को अपने माता पिता ,मित्र की पत्नी को माँ -बहिन तुल्य के सामान समझने वाला मित्र सच्चा मित्र और हितेषी होता है।
    १८ मित्र को उधर देना गलत नहीं है ,लेकिन इसको मदद के रूप में देखा जाये और वापसी की ज्यादा उम्मीद ना करे।
    १ ९ मित्र से किसी काम के लिए एक दो बार कहे ,बार बार कहने से आपसी गरिमा ख़तम हो सकती है क्योकि हो सकता है की मित्र से वो काम ना हो रहा हो और आपकी इस मजबूरी को समझे।
    २० मित्र की शिफारिश मन लेना अच्छा है ,इससे मित्रता प्रघाड़ होती है परन्तु उसके भाई ,रिश्तेदार आदि को अपने करीब ना लाये।

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