बजट में भारत की आत्मा-ग्रामीण भारत की उपेक्षा क्यों?

अपने बजट में ग्रामीण भारत के लिए जितनी घोषणाएं वित्त मंत्री ने की है वह अभी अपर्याप्त है परन्तु फिर भी कुछ हद तक स्वागत योग्य है लेकिन यह भी कड़वा सच है आने वाले समय में महंगाई की मार से आम आदमी फिर से और त्रस्त होगा क्योंकि वित्त मंत्री द्वारा सेवा कर में दो प्रतिशत (पहले दस प्रतिशत थी अब बारह प्रतिशत हो जायेगी ) की वृद्धि के प्रयोजन के साथ – साथ आम जनता को दी जा रही सब्सिडी में कटौती का बंदोबस्त कर दिया गया है जिसके कारण लोक – लुभावनी घोषणाओं के साथ – साथ महंगाई का दंश झेल रहा आम आदमी की जेब अब और भी ढीली होगी ! या यूं कहा जाय कि मामला अब एक हाथ दे और एक हाथ ले का हो गया है तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी !
बहरहाल इस बजट से कुछ हद तक किसानो को जरूर फायदा होगा और अब किसानों को किसानी घाटे का सौदा नहीं रह जायेगा ! ज्ञातव्य है कि एन एस एस ओ की एक रिपोर्ट के अनुसार लगभग 41 फीसदी किसान अपनी किसानी छोडऩा चाहते है ! 2.5 की ग्रोथ दर से कृषि क्षेत्र जहां अपनी सांसे गिन रहा था तो ऐसे में कृषि एवं सहकारिता विकास के लिए वित्त मंत्री द्वारा चालू वित्त वर्ष आयोजना परिव्यय को 18 फीसदी बढाकर 17123 करोड़ रूपये (2011 -2012 ) से 20 ,208 करोड़ रुपये (2012 -2013 ) करने के साथ-साथ कृषि कर्ज में  भी 1 ,00 ,000  करोड़ रुपये का इजाफा करते हुए 4,75,000 करोड़ रुपये (2011 -2012 ) से 5,75,000 करोड़ रुपये (2012 -2013 ) की व्यवस्था कर दी गयी है जिससे कुछ हद तक सूदखोरों से किसानों को राहत मिलने की उम्मीद है ! साथ ही किसानों को प्रति वर्ष 7 प्रतिशत की दर पर अल्पावधि फसल ऋण के लिए ब्याज आर्थिक सहायता को जारी रखा गया है एवं कर्ज समय से चुकाने वाले किसानो को 3 प्रतिशत की अतिरिक्त राहत की व्यवस्था की जायेगी !
यूरिया उत्पादन – क्षेत्र में अगले पांच वर्ष में आत्म निर्भरता का लक्ष्य स्वागत योग्य है क्योंकि अभी तक लगभग 25 प्रतिशत यूरिया आयत किया जाता है साथ ही उर्वरक सब्सिडी किसानो और रिटेलरों को सीधे देने की घोषणा भी स्वागत योग्य है क्योंकि अभी तक ऐसा माना जाता था कि उर्वरक सब्सिडी के 40 प्रतिशत से ही किसान लाभान्वित होते थे बाकी 60 प्रतिशत उर्वरक उद्योग  उर्वरक सब्सिडी का लाभ उठाते थे ! सरकार ने नंदन नीलकणि जो कि आईटी नीति से संबंधित है की अध्यक्षता वाले कार्यबल की सिफारिशों को स्वीकार करते हुए कहा है कि सब्सिडी का सीधा अंतरण किया जायेगा और इनके आधार पर एक  मोबाइल आधारित उर्वरक प्रबंध प्रणाली तैयार की गई है जिसे 2012 में पूरे देश में लागू किया जाएगा !  उर्वरकों के दुरूपयोग में कमी और सब्सिडियों पर व्यय कम करने के उपायों से 12 करोड़ किसान परिवारों को लाभ होगा ! वित्त मंत्री ने आगामी वित्त वर्ष 2012 -2013 में कृषि क्षेत्र को और मजबूत करने के लिए कई लुभावनी घोषणाएं की है जो कि स्वागत योग्य है !
समन्वित ग्रामीण विकास एवं ग्रामीण क्षेत्र में संमृद्धि सुनिश्चित करने हेतु कृषि , लघु उद्योगों , कुटीर एवं ग्रामोद्योगों हस्तशिल्प और अन्य ग्रामीण शिल्प कलाओं के विकास में आने वाली ऋण समस्याओ के निपटान हेतु बनाई  गयी इस योजना को वित्त मंत्री ने 10 ,000 हजार करोड़ रुपये प्रावधान किया है !
किसान क्रेडिट कार्ड – केसीसी
किसान क्रेडिट कार्ड – केसीसी  का उद्देश्य मौसमी कृषि परिचालनो के लिए  पर्याप्त , कम लागत पर और समय पर बिना किसी झंझट के अल्पावधि ऋण प्राप्त करने में कृषको को होने वाली कठिनाइयों को दूर करना है ! मौखिक पट्टेदार , काश्तकारों और बटाईदारों आसी सहित सभी कृषक वर्गों को इस योजना में शामिल किया गया है ! कृषि यंत्र , खाद व अन्य खेती से जुड़े समानो की खरीदारी के लिए उपयोग में आने वाला किसान क्रेडिट कार्ड से अब एटीएम की तर्ज पर नकदी भी प्राप्त किया जा सकेगा ! इससे किसानो को फसल के समय कृषि यंत्र, बीज, उर्वरक इत्यादि के लिए ऊंचे दरों पर ब्याज लेने की आवश्यकता नहीं होगी ! साथ ही किसान क्रेडिट कार्ड की खरीद सीमा बढ़ाने पर भी सरकार विचार कर रही है ! गौरतलब है कि वर्तमान समय में किसानो को 25,000 रूपये तक की सीमा का किसान क्रेडिट कार्ड दिया जा रहा है ! महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम – मनरेगा के तहत ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाले हर एकल परिवार जिसमे माता , पिता और उन पर आश्रित बच्चे शामिल है का साल में सौ दिन का अकुशल शारीरिक काम मांगने और प्राप्त करने का हक बनता है ! इसके अंतर्गत उपेक्षित समूहों को रोजगार प्रदान किया गया ! फरवरी 2011 तक अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति की भागीदारी क्रमश: 28 व 24  प्रतिशत रही वही महिलाओ की भागीदारी वित्त वर्ष 2010 -2011 में 47 प्रतिशत तक हो गयी ! ऐसा कहा जाता है कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम – मनरेगा से पलायन रोकने में काफी मदद मिली है ! इस महत्वपूर्ण महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम के लिए आगामी वित्त वर्ष 2012 – 2013 में सरकार ने 33 ,000 हजार करोड़ रूपये देने का प्रावधान किया गया है !

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