सफलता सिर्फ  एक संयोग नहीं है। यह हमारे नजरिये का नतीजा है और अपना नजरिया हम खुद चुन सकते हैं। सफलता चुनाव की बात है न कि तुक्के की। ज्यादातर बेवकूफ इंसान किसी लॉटरी के लगने का इंतजार करते रहते हैं पर क्या उससे कामयाबी मिल सकती है?
एक पादरी कार से जा रहे थे। रास्ते में उन्हें एक खुबसूरत खेत दिखा। फसल की भरपूरता देखकर मुबारकबाद देने के लिए उन्होंने अपनी कार रोकी और किसान की ओर बढे। पादरी को खेत की तरफ आते देख किसान टै्रक्टर चलाता हुआ उनके पास आया। पादरी ने कहा, ईश्वर ने आपको बहुत बढिया खेत दिया है, आपको उनका शुक्रगुजार होना चाहिए। किसान ने जबाव दिया इसमें कोई शक नहीं कि ईश्वर ने मुझे बढिया खेत दिया है और मैं इसके लिए एहसानमंद भी हूं लेकिन आपको इस खेत को उस समय देखना चाहिए था जब पूरा खेत भगवान ने सिर्फ अपने हाथ में रखा था।
ऐसा क्यों होता है कि एक व्यक्ति एक के बाद एक सफलता हासिल करता चला जाता है, जबकि दूसरे लोग सिर्फ तैयारियों में ही लगे रहते हैं? किस तरह एक व्यक्ति जिंदगी में एक के बाद दूसरी मुसीबत का सामान करते हुए अपने लक्ष्य को पा लेता है, जबकि दूसरा सिर्फ संघर्ष ही करता रह जाता है, और कहीं नहीं पहुंच पाता है? अगर इन सवालों के जवाब सिलेबस में शामिल किये जाए तो शिक्षा प्रणाली में क्रांति ला देंगे। असाधारण व्यक्ति अवसर ढूंढता है, जबकि साधारण आदमी सुरक्षा खोजता है। जरूरत है कि हम अपना  ध्यान क्या चाहिए उस पर लगाये न कि इस बात पर कि हमें क्या नहीं चाहिए।
सफलता क्या है?
सफलता और असफलता के विषय पर बहुत खोज हुई है। जरूरत है तो हमें इतिहास से कुछ सीखने की। जब हम सफल व्यक्तियों की जीवनियों पर नजर डालते हैं तो पता चलता है  कि सभी में नि:संदेह मिलते जुुलते कुछ खास गुण हैं, चाहे वे किसी भी युग के रहे हों। सफलता हमेशा अपने निशान छोड जाती है और अगर हम इन निशानों को पहचान लें और सफल व्यक्तियों के गुणों को अपने जीवन में अपना लें, तो हम भी सफल हो जाएंगे। इसी तरह से सभी असफल आदमियों के दुर्गुण और लक्षण भी मिलते जुलते होते हैं। अगर हम ऐसे लोगों दुर्गुणों से दूर रहें तो हम असफल नहीं होंगे। सफलता कोई अजूबा नहीं है, यह तो सिर्फ कुछ बुनियादी उसूलों का लगातार पालन करने का नतीजा है। इसका उलटा भी उतना ही सही यूं केन विन के हिंदी संस्करण जीत आपकी के अंशों को पाठकों द्वारा बेहद सराहा जा रहा है इसलिए इसके अंश श्रंखलाबद्घ ढंग से प्रस्तुत किये जा रहे हैं। प्रस्तुत अंश में सफलता को परिभाषित किया है। असफलता सही मायनों में कुछ गलतियों को लगातार दोहराने का नतीजा है। यह सब सुनने में बहुत आसान सा लग रहा होगा, लेकिन हकीकत यही है कि सच्चाई हमेशा सरल होती है। मैं यह नहीं कह रहा हूं कि यह आसान है, लेकिन यकीनन यह सरल है।
सफलता की परिभाषा क्या है?
कौन सी चीज व्यक्ति को सफल बनाती है? हम सफलता की पहचान कैसे कर सकते हैं? कुछ लोगों के लिए सफलता का मतलब सिर्फ पैसा या दौलत है तो कुछ के लिए नाम कमाना, अच्छी सेहत, अच्छा परिवार, खुशी, संतोष और दिलो दिमाग का चैन। तो क्या हम सफलता को पहचान सकते हैं? सफलता अलग अलग लोगों के लिए अलग अलग मायने रखती है। मेरे तर्जुबे में हम सफलता को इस तरह परिभाषित कर सकते हैं।
मूल्यवान लक्ष्य की लगातार प्राप्ति का नाम ही सफलता है। अर्ल नाइटिगेल
आईए इन परिभाषाओं को ध्यानपूर्वक देखें लगातार का मतलब है कि सफलता एक सफर है, मंजिल नहीं कि जहां पहुंचकर हम रूक जाएं। एक लक्ष्य पाने के बाद हमारे सामने दूसरा लक्ष्य होता है और फिर दूसरा फिर दूसरा, फिर दूसरा।
प्राप्ति का मतलब है- तजुर्बा। लक्ष्य प्राप्त करने का तजुर्बा। बाहरी बातें सफलता का अहसास नहीं दे सकतीं। सफलता तो अपने भीतर महसूस होती है। यह अंदरूनी है, बाहरी नहीं। मूल्यवान का संकेत हमारे नैतिक मूल्यों की तरफ है। हम लोग किधर जा रहे हैं? सही दिशा में या गलत दिशा में? सफलता का सफर कितना अच्छा होगा, यह हमारे लक्ष्य की मूल्यता के महत्व पर निर्भर है।
यही हमारी सफलता को सही अर्थ और पूर्णता देता है। पूर्णता और संतोष के बिना सफलता अधूरी है।
क्यों लक्ष्य इतने महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि ये हमें दिशा का अहसास कराते हैं।
सफलता का यह मतलब नहीं कि आपको हर कोई स्वीकार कर लेगा। कुछ ऐसे संगठन हैं जहां मैं अपनी मर्जी से खुद ही शामिल नहीं होना चाहूंगा। मैं घटिया चरित्र वाले लोगों द्वारा की गयी तारीफ की बताए, नासमझ लोगों की आलोचना पसंद करूंगा। मैं तो सफलता को एक तरफ की खुशकिस्मती मानता हूं जो प्रेरणा, आकांक्षा, निराशा और मेहनत का परिणाम है। सफलता और खुशी हाथ में हाथ डाले चलती है। जो आप चाहते हैं उसे पाना सफलता है, और जो आप पाते हैं उसे चाहना खुशी है।
सिर्फ जिये जाने का नाम सफलता नहीं है, यह इससे कहीं ज्यादा है। सिर्फ  जिंदगी न गुजारो-जिओ, सिर्फ छुओ नहीं महसूस करो, सिर्फ  देखो नहीं गौर करो, सिर्फ पढो नहीं जीवन में उतारो। सिर्फ सुनो नहीं ध्यान से सुनो। सिर्फ ध्यान से ही न सुनो समझो।

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