हेल्थ टिप्स : सेहत के लिए आजा नच लें

आधुनिक परिवेश में महानगरों की सडक़ों पर सुबह-सुबह बहुत से स्त्री-पुरुष जॉगिंग करते दिखाई देते हैं। कितने ही स्त्री-पुरुष जिम की ओर जाते हैं। सभी मोटापे से पीडि़त होते हैं। एक बार मोटापा बढऩे पर कम होने का नाम नहीं लेता। दिल्ली की एक महिला डॉक्टर ने मोटापा कम करने का एक नया तरीका खोज निकाला है। वह खूबसूरत तरीका है नृत्य। नृत्य करने से मोटापा कम होता है और शरीर सुगठित बनता है। घर पर रह कर टेलीविजन के सामने या किसी गाने की धुन पर रेडियो की सहायता से नृत्य किया जा सकता है।

नृत्य का अभ्यास करने से हृदय को सबसे अधिक लाभ होता है। नृत्य थैरेपी से हृदय को रोग मुक्त किया जा सकता है। नृत्य करने से शारीरिक श्रम होता है और रक्त सर्कुलेशन संतुलित होता है। नृत्य करने से शरीर की चर्बी कम होती है। नृत्य से चेहरे के हाव-भाव में निखार आता है। आत्मविश्वास बढ़ता है। नृत्य से मस्तिष्क सक्रिय होता है। छात्राओं की स्मरण शक्ति प्रबल होती है। रातों को पढऩे वाली लड़कियां सुबह नहीं भूलतीं क्योंकि मस्तिष्क की शक्ति बढ़ती है। नृत्य करने से शरीर में अधिक शुद्ध वायु का समावेश होता है। नृत्य करते समय कमरे के दरवाजे-खिड़कियां खोल कर रखें और कमरे में चार-पांच गमले अवश्य रखें। सुबह के समय नृत्य करने से एक्सरसाइज का लाभ मिलता है।

नृत्य से शरीर कोमल ओर लचीला बनता है। कमर दर्द जैसी विकृतियां स्वयं नष्ट होती हैं। पाचन क्रिया तीव्र होती है और भूख अधिक लगती है। कब्ज की विकृति नष्ट होती है। नृत्य से शरीर के सभी अंगों का उचित विकास होता है। नृत्य का अभ्यास करने से मानसिक तनाव व अवसाद की परिस्थिति का निवारण होता है। शरीर की शक्ति व स्फूर्ति बढ़ती है। नृत्य के संबंध में कार्डियोलॉजिस्ट विशेषज्ञों का कहना है कि नृत्य के अभ्यास से कैलोरी नष्ट करना उतना ही लाभप्रद होता है, जितना किसी जिम में जाकर एक्सरसाइज करना या सडक़ पर जॉगिंग करना। बी बोइंग नृत्य कुछ नवयुवतियों के लिए नया हो सकता है। बी बोइंग मार्शल आर्ट और कुछ दूसरे नृत्यों का मिला-जुला रूप होता है। इस नृत्य में स्ट्रेंथ और फ्लेक्जिविलिटी की आवश्यकता होती है। नृत्य से बाहों और पांवों की पूरी एक्सरसाइज होती है। नृत्य विशेषज्ञ एरोबिक्स को नृत्य नहीं मानते। एरोबिक्स में शरीर का एकलय में मूवमेंट होता है। एरोबिक्स युवाओं में बहुत लोकप्रिय है। एरोबिक्स के अभ्यास से किशोर अपने शरीर को सुगठित कर सकते हैं। शारीरिक भार को कम कर सकते हैं। हिप-हॉप नृत्य नवयुवकों में बहुत लोकप्रिय है। मौज-मस्ती के लिए हिप-हॉप को बहुत पसंद किया जाता है। हिप-हॉप संगीत की धुन पर इस नृत्य को किया जाता है। इस नृत्य में पांपिंग, लॉकिंग, कॉपिंग व ब्रेकिंग जैसे स्टेप्स इस्तेमाल किए जाते हैं।

बेली डांस में पेट का अलग-अलग तरीकों से मूवमेंट दिया जाता है। बेली डांस करते हुए आगे की ओर झुका जाता है। बेली डांस से शारीरिक श्रम अधिक होता है। डांस करने वाला जल्दी थक जाता है। बॉलरूम डांस फिल्मों से बहुत लोकप्रिय हो रहा है। बॉलरूम डांस के अभ्यास के लिए इसके स्टेप्स व फ्री स्टाइल डांसिंग सीखने की विशेष आवश्यकता होती है। सालसा के अभ्यास से शरीर की मांसपेसियों की अच्छी एक्सरसाइज होती है। शरीर के पोस्चर में लाभ होता है। भरतनाट्यम, मणिपुरी, कथकली, कुचिपुड़ी, ओडिशी आदि भारतीय नृत्यों के साथ पश्चिम के ब्रेक डांस, बालरूम आदि नृत्यों का अभ्यास करके शरीर को सुगठित बना सकते हैं।

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