फैमिली एस हैप्पी फैमिली और फैमिली मेकर अवार्ड विमर्श संपन्न परिवार ही वसुधैव कुटुंबकम की धुरी – मार्कंडेय राय परिवार ही संस्कृति और सभ्यता के धारक-वाहक – डॉ. सुरेंद्र पाठक

फेमिलीमेकर का सम्मान सही मूल्यांकन आवश्यक – मोना मेहरा

परिवार निर्माता के कार्यों का मूल्यांकन प्रणाली को विकसित किया जाना चाहिए – डा. रश्मि सिंह

नोएडा 9 अक्टूबर। परिवार ही वसुधैव कुटुंबकम की बुनियादी इकाई है परिवार का टूटना मानव जाति के लिए सर्वाधिक दुखद घटनाओं में से है। भारतीय संस्कृति उदार चरित्रनाम की है, भारत में सनातन काल से परिवार परंपरा समृद्ध रही है, उक्त विचार डॉ मार्कंडेय राय यूएन हैबिटेट के सलाहकार और जीएफ इंडिया के अध्यक्ष ने व्यक्त किये। जम्मू कश्मीर में टैक्स और मीनिंग सेक्रेटरी डॉ रश्मि सिंह ने कहा कि भारत सरकार ने फैमिली मेकर मां, बहन और पुरुषों के सम्मान को सुनिश्चित करने में पॉलिसीगत अनेक प्रयोग किए हैं, उन्होंने कहा कि परिवार में काम करने वाली महिलाएं और परिवार निर्माता के कार्यों का मूल्यांकन प्रणाली को विकसित किया जाना चाहिए उन्होंने भी पारिवारिक जीवन में आ रही है समस्याओं पर भी चिंता व्यक्त की। इसी के साथ विजन सर्च की संस्थापक श्रीमती मोना मेहरा ने परिवार संबंधी विभिन्न समस्याओं का उल्लेख करते हुए कहा कि घर को बनाने वाली महिला का सही मूल्यांकन नहीं होता है जबकि उनके श्रम से ही परिवार संस्था बनती है जिसके कारण से पुरुष बाहर जाकर काम कर पाते हैं इसलिए परिवार निर्माता का सम्मान होना चाहिए चाहे वह पुरुष हो या महिला। उक्त विचार “फैमिली एस हैप्पी फैमिली और फैमिली मेकरअवार्ड विमर्श” के दरमियान विशेषज्ञों ने व्यक्त किया, जिसका आयोजन विजन सर्च, जीपीएफ इंडिया, खुशी ग्राम ने संयुक्त तत्वाधान से नोएडा ऑडिटोरियम में आयोजित किया था। उद्घाटन सत्र में परिवार के महत्व को रेखांकित करते हुए डॉक्टर सुरेंद्र पाठक प्रोफेसर गुजरात विद्यापीठ ने कहा कि परिवार ही संस्कृति-सभ्यता और मूल्यों के धारक वाहक होते हैं, सनातन संस्कृति में परिवारों के सहयोग से ही ऋषि-मुनि अपनी साधनाएं कर मानव उपयोगी आध्यात्मिक निष्कर्ष निष्पन कर पाए। उन्होंने कहा कि व्यक्तिवादी जीवन और व्यक्तिवाद से परिवार संस्था को सर्वाधिक क्षति पहुंचाई है जबकि हर व्यक्ति परिवार की अभिभाज्यता में, परिवार समाज की विभाज्यता में, समाज राष्ट्र की अभिभाज्यता में और राष्ट्र अंतर्राष्ट्रीय के सह अस्तित्व में होते हैं। सत्र का संचालन करते हुए खुशीग्राम के संस्थापक और रेडिएंट मीडिया के सीईओ अजीत कुमार ने कहा कि ऐसे कार्यक्रमों की श्रृंखला आयोजित की जानी चाहिए।
कार्यक्रम के द्वितीय सत्र पैनल डिस्कशन में लेडी एरविन कॉलेज की डेवलपमेंट कम्युनिकेशन विशेषज्ञ प्रोफेसर अर्पणा खन्ना ने परिवार में संवाद और स्वस्थ संप्रेषण के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि परिवार में किसे, कब, किसको और क्या कहना है इस पर विशेष ध्यान देने की जरूरत होती है आपस में शिष्टता के साथ संवाद होने से परिवार कलह से मुक्त होकर सुखी होते हैं। प्रसिद्ध समाज सेविका श्रीमती राधिका तुसेन ने कहा कि सुखी परिवार के लिए सभी को अपनी प्राथमिकताओं के साथ कार्ययोजना और समय-प्रबंधन को सुनिश्चित करके परिवार के सदस्यों के साथ संबंध निर्वाह करना चाहिए और स्वयं सुखी होना चाहिए तभी हम दूसरे को सुखी रख सकते हैं। सुप्रसिद्ध समाजसेवी प्रो. निर्मला देवी ने कहा कि उन्होंने हमेशा अपने विद्यार्थियों को सिखाया है कि केवल पैसा और पावर कमाना जीवन का लक्ष्य नहीं होता है मूल्य और संस्कार ही परिवार का निर्माण करते है, माँ ही अच्छे संस्कार देती है और अच्छे नागरिकों का निर्माण करती है मां के योगदान का सम्मान किया जाना चाहिए। मनोविशेषक श्रीमती सीमा सिंह ने पेरेंट्स और बच्चों के बीच होने वाले वाद-विवाद और संघर्ष के कारणों का उल्लेख करते हुए कहा कि परस्पर खुला एवं स्वस्थ संवाद पारिवारिक जीवन को सुखी बनाने के लिए आवश्यक है, इसके साथ लाइफ स्किल ट्रेनिंग की भी आवश्यकता है। जनाजल के प्रतिनिधि श्री कपिल शर्मा ने कहा कि उन्होंने अपनी मां और पिता के कठोर श्रम को देखा है उनके प्रति कृतज्ञता आवश्यक है। माता-पिता ही मुख्य रूप से परिवार निर्माता होते हैं। डॉ हेमंत गौर ने परिवार को बनाने में उनकी पत्नी के योगदान की सराहना करते हुए यह कहा कि आजकल परिवार में खड़े होकर खाना बनाने, कमोड का प्रयोग करने और डाइनिंग टेबल पर खाना खाने से तथा योग व्यायाम की कमी से अनेक रोग पैदा हो रहे हैं। परिवारों के निर्माण में विशिष्ट योगदान और मूल्यांकन के आधार पर डॉ. सी के. भारद्वाज, अक्षिता तोमर, श्रीमती प्रियंका शर्मा, श्रीमती बबीता रेलिया, प्रियंका कुमार, रितिक अरोड़ा, राधिका गुलाटी, श्रीमती कृष्णा चौहान, श्री लक्ष्मण झा, श्रीमती मधु गुप्ता, श्रीमती अंजू अग्रवाल, श्रीमती सीमा बनर्जी, श्रीमती मृदुला उपाध्यक्ष, श्रीमती सीमा सिंह, श्रीमती सुनीता कुमारी को फैमिलीमेकर अवार्ड से नवाजा गया। इसके जूरी सदस्य श्री सर्वेश मित्तल, सुश्री आशा मोहिनी और वसुधा अरोरा थी। कार्यक्रम के प्रारंभ में सुप्रसिद्ध नत्यांग्ना कलाप्रिय की चितवन बंसल ने गणेश वंदना और ईशान म्यूज़िक आकदमी के बच्चों ने राष्ट्रीय गीत प्रस्तुत किया। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में विशिष्टजन एवं गणमान्य गणमान्य विशेषज्ञों सहित रेडियंस मीडिया, खुशीग्राम, जनाजल, हेल्थ केयर, रूह क्रिएशन, ऑर्गेनिक वैलनेस, एक्स्ट्राज, होम प्रगति परिवार, जी.पी.एफ. इंडिया सहित अनेक पार्टनर संस्थाओं के प्रतिनिधि शामिल हुए थे।

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