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*”स्वच्छता-संदेश”*

1-स्वच्छ जीवन हो हमारा,स्वच्छ ही परिधान हो।
स्वच्छ परिसर हो हमारा,स्वच्छता में मान हो।।
2- स्वच्छ काया स्वच्छ मन हो,स्वच्छ ही आहार हो।
स्वच्छ वाणी स्वच्छ बुद्धि,स्वच्छ ही व्यवहार हो।।
3-स्वच्छ सड़कें स्वच्छ राहें,स्वच्छ पथ-विस्तार हो।
स्वच्छ रेलें स्वच्छ सीटें,स्वच्छ सारा छोर हो।।
4- स्वच्छ मुख हो स्वच्छ शिर हो, स्वच्छ सारी देह हो।
स्वच्छ दंत स्वच्छ रसना,स्वच्छता में नेह हो।।
5- स्वच्छ पुस्तक स्वच्छ कॉपी,स्वच्छ सारा लेख हो।
स्वच्छ पेन स्वच्छ पेंसिल,स्वच्छ ही आलेख हो।
6- स्वच्छ दृष्टि स्वच्छ सृष्टि,स्वच्छ बुद्धि-विकास हो।
स्वच्छ वारि स्वच्छ बोतल,स्वच्छ नीर-निवास हो।।
7-स्वच्छ पलंग स्वच्छ बिस्तर,स्वच्छता की शान हो।
स्वच्छ सोना स्वच्छ जगना,स्वच्छता का गान हो।।
8- स्वच्छ तन हो स्वच्छ मन हो,स्वच्छ धन-व्यापार हो।
स्वच्छ अन्न हो स्वच्छ धान हो,स्वच्छ शाक-अपार हो।।
9- स्वच्छ दूध स्वच्छ दधि हो,स्वच्छ घृत की गंध हो।
स्वच्छ पनीर स्वच्छ खोआ हो,स्वच्छ तेल सुंगध हो।।
10- स्वच्छ खाना स्वच्छ पीना,स्वच्छ ही मुस्कान हो।
स्वच्छ चलना स्वच्छ हसना,नहीं रोग-निशान हो।।
11- स्वच्छ भाव स्वच्छ कविता,स्वच्छ स्वाभिमान हो।
स्वच्छ साथी स्वच्छ मैत्री,स्वच्छ सब सम्मान हो।।
12- स्वच्छता की दौड़ में,कुछ देश आगे बढ़ गये।
स्वच्छता की होड़ में,कुछ देश पीछे रह गये।।
13- कोना-कोना रो रहा,दीवारों के साथ।
सड़क-सड़क पर जा रहा,थूक तंबाकू साथ।।
14-गंदा हमने खुद किया,किसको दोगे दोष।
गंदा मुँह हमने किया,दाँतों का क्या दोष।।
15- महानगरों की गंदगी,ऊँचे-ऊँचे ढेर।
महानगरों की जिंदगी,मरते-मरते देर।।
16- गढ्ढे नित गहरे किए,गिरना है बेहाल।
झगड़े नित गहरे किए,बचना है बेहाल।।
17- जान सको तो जान लो,अपने जन की बात।
मान सको तो मान लो,अपने मन की बात।।
18- अच्छे-अच्छे काम से,जग में होगा मान।
अच्छे-अच्छे भाव से,जग में होगा ज्ञान।।
19- सच्चा-सच्चा कर गये,ऋषि मुनि धर ध्यान।
कच्चा-कच्चा कर गये,दानव दस्यु मान।।
20- हमको कुछ करना नया,यह संकल्प महान।
जलाना है जीवन दिया,कर्म-तेल आधान।।
21- चन्द्रयान की शान में,भारत का गुणगान।
सूर्ययान की ज्योति में,भारत कीर्तिमान।।
22- अपने मन के भाव अब,मित्रों को उपहार।
अपने दिल के भाव सब,मित्रों की जय-जयकार।।
” प्रस्तुति”
आचार्य चन्द्रशेखर शर्मा

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