सुयोग्य पिता के सुयोग्य सुत, दुर्लभ हो कोई एक।

बिखरे मोती

सुयोग्य पुत्र के संदर्भ में:-

सुयोग्य पिता के सुयोग्य सुत,
दुर्लभ हो कोई एक।
विद्या, विनय और शीलता,
कर्म करें बड़े नेक॥ 2434॥

जिन्हें मोक्ष पाने की चाह है-

भक्ति-भाव में डूबजा,
जो चाहे कल्याण।
मोक्ष मिले इसी जन्म में,
करो यज्ञ तापदान॥2435॥

गरीबी कितना बड़ा अभिशाप है –

गरीबी जैसा रोग ना,
ना इससा कमजोर।
अपमान अपेक्षा घोर हो,
बैठन को नहीं ठौर॥2436॥

इन तीनों का अपमान कभी मत करो-

रोगी, वृद्ध ,गरीब का,
मत करना अपमान।
बिना आवाज की लाठी से,
बदला ले भगवान॥ 2437॥

विलक्षण प्रतिभा के संदर्भ में-

ज्यों बादल में दामिनी,
चमक्कर प्रकट होय।
त्यों ही रोशन होत है,
जिसमें प्रतिभा होय॥2438॥

मर्यादा को भूलकर भी मत तोड़ो –

वर्ज़ना को मत लाघिये,
घोर विपत्ति आय।
समय, संपत्ति ,सम्मान को,
व्यर्थ में दे मिटाय॥2439॥

वर्ज़ना अर्थात् सीमा,मर्यादा

जन मन की अंतिम इच्छा क्या है?

गावत वेद कुरान बाइबल,
एक ही तेरा नाम ।
जन मन की यही चाह है,
पावें तेरा धाम॥2440॥

काश जीवन ऐसा हो-

सरल और निर्मल बनो,
मन होवे एकाग्र।
चिन्तन कर हरि ओ३म् का,
बुद्धि हुए कुशाग्र॥2441॥

आवागमन से छूटने का आसान तरीका-

बिन छिलके बीज का,
नही अंकुरण होय।
वासना का छिल काता जो,
जीवन मरण ना होय॥2442॥

वासना अर्थात् कामना भाव यह है कि जब मन वासना रहित अथवा अकाम हो जाय तो जीव का संसार में आना-जाना समाप्त हो जाता है वो मोक्ष को प्राप्त हो जाता है। इसे र्निबिज समाध्दि भी कहते हैं।

जो प्रभु मिलन की राह पर चलना चाहते उनके लिए एक ‘शेर’

इब़ादत एक मुकाम,
तक लेकर जाती है।
मगर दीवानगी है,
जो ख़ुदा का रास्ता दिखाती है ॥2443॥
क्रमशः

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