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जनसंख्या दिवस (11 जुलाई ई.)

विश्व में लगभग २०० देश हैं। सम्भवत: भारत ही अपवाद स्वरूप एक मात्र ऐसा देश है जहां कि बहुसंख्यकों (मूल निवासियों ) का जनसंख्या में प्रतिशत लगातार घटता रहता है। यह क्रम १८८१ ई. से निरन्तर जारी है जबसे जनगणना आरम्भ हुई थी। हर १० वर्ष में हिन्दू का प्रतिशत, एक प्रतिशत सरकारी आकंडों के अनुसार कम होता है या दिखाया जाता है क्योंकि गैर सरकारी अनुमान के अनुसार गिरावट लगभग १-२ या २ प्रतिशत हर १० वर्ष में हैं। लगभग सभी दल मौन रहता हैं। वे ऐसा व्यवहार करते हैं जैसे उन्हे मालूम ही न हो। सरकारी आंकड़े फिसड्डी होने पर किसी भी राजनीतिक दल द्वारा कुछ नहीं कहा जाता है। कुछ सामाजिक हिन्दू संगठन बोलते हैं जिसे महत्व नहीं दिया जाता है क्योंकि – प्रदर्शन धरना-भूख हड़ताल आमरण अनशन जैसे कोई कार्य क्रम नहीं करते हैं। जब कट्टरपंथी मुस्लिम मुल्ला-मौलवी -इमामों ने यह कहा कि परिवार नियोजन-नसबन्दी उनके मजहब के अनुकूल नहीं हैं जब उसके अन्तर में सभी दलों के हिन्दू नेताओं ने खुलकर आश्वासन दिया है उन्हें मजबूर नहीं किया जाएगा और न ही जबर्दस्ती की जाएगी। क्योंकि यह कार्यक्रम स्वैच्छिक है अत: जो अपनाना चाहे वह अपनाए। यदि हिन्दू महासभा या सावरकरवादी संगठनों से पत्रकारों द्वारा पूछा जाता है तो उन्हें यह उत्तर मिलता है, कि किसी भी समुदाय के केवल अधिकार ही नहीं होते है बल्कि दायित्व तथा कत्र्तव्य भी होते हैं अत:- मुस्लिम समाज को मुल्ला – मौलवी – इमाम समझाएं कि वे छोटे परिवार का महत्व समझें और उसे अपनाएं ताकि परिवारों में समृद्घि व खुशहाली आए और देश से गरीबी- भुखमरी – बेरोजगारी दूर हो- यदि ऐसा नहीं किया गया तो चीन जैसी छोटे परिवार की नीति लागू कराई जाएगी जिसमें दूसरे बच्चे के बाद और होने पर जुर्माना व जेल की सजा का प्रावधान है।
कुछ प्रबृद्घ – बुद्घिजीवियों के विचार इस प्रकार हैं।
७६ वर्षीय वकील – २० वर्ष बाद देखना। देश का प्रधानमंत्री कोई मुस्लिम ही होगा। बी.डी.ओ. ने भी कहा कि वकील साहब ठीक कह रहे हैं- जब उनसे कहा गया कि काम करने वाले संगठन को बल प्रदान करें। आर्थिक सहयोग दें या समय दें। उत्तर मिला – इस पर मै क्यों सोंचू ? जो होंगे वे अपने आप भुगतेंगे। ७० वर्षीय पूर्व प्रधानाध्यापक – मुस्लिम राज तो निश्चित से आने वाला है क्योंकि हम छोटे परिवार के प्रबल समर्थक हैं और वे बडे – बडे परिवार के समर्थक हैं। एक चींटी भी भला हाथी से लड़ सकती है इसलिए कोई सहयोग नहीं दूंगा। ५० वर्षीय डाक्टर- मेरी तो केवल दो लडकियां थीं जिन्हें अच्छा पढ़ा लिखाकर योग्य बना दिया है। देश के बारे में, मै क्यों सोंचू ? (ऐसे डाक्टर छह बच्चों का पालन पोषण भली प्रकार से कर सकते हैं) ६२ वर्षीय इंजीनियर- मेरे ३ बच्चे हैं। तीनों की शादियां हो चुकी हैं मुझे अच्छी पेन्शन मिलती है। मै तो निश्चिंत  हूँ। हिन्दुओं का प्रतिशत तो घटना ही है जब मुसीबत आएगी तब वे निपटेंगे जो होंगे। मैं तो पूजा पाठ में लगा रहता हूं। मुझे राजनीति से कोई लगाव नहीं है। ४८ वर्षीय व्पापारी – मै तो मध्यम परिवार चाहता हूं लेकिन लड़का नहीं मानता है। एक ही बच्चा है और पत्नी का आपरेशन करा दिया है अत: हिन्दुओं पर संकट तो आना ही है। मै कुछ करने में असमर्थ हैं। इस प्रकार हमने देखा कि बुद्घिजीवी वर्ग जनसंख्या के महत्व को जानता है किन्तु कुछ देना या करना नहीं चाहता है। अन्त में हम कहेंगे कि यदि हिन्दू ने वीर सावरकर और भाई परमानन्द की पार्टी अखिल भारत हिन्दू महासभा को मजबूत व शक्तिशाली बनाने में रूचि नहीं ली तो भविष्य में उसकी पीढिय़ों को भारी मुसीबतों का सामना करना पडेगा। ईश्वर, हिन्दू को सद्बुद्घि दे।

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