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राजनीति

मैडम की खुशी के लिए मर्यादा भूल गये महामहिम

रायसीना हिल्स पर कब्जा जमाने के बाद प्रणव मुखर्जी ने अपने साथ अपने सालों के विश्वस्त लोगों को भी राष्ट्रपति आवास में लगा दिया है। महामहिम आवास में पहले और अब के आयोजनों में बेहद अंतर परिलक्षित हो रहा है। पहले के आयोजनों में सेना के सचिव करीने से बिना किसी चूक सब कामों को अंजाम देते थे, पर अब निजाम के बदलते ही माहौल भी बदल चुका है। इसके पहले प्रतिभा देवी सिंह पाटिल ने देश के प्रथम नागरिक की गरिमा की वर्जनाएं तार तार की थीं। अब प्रणव मुखर्जी ने सोनिया गांधी को खुश करने के लिए संवैधानिक मर्यादाओं को ताक पर रख दिया है। एक ओर तो देश के प्रथम नागरिक की कुर्सी के साथ ही कांग्रेस की राजमाता श्रीमति सोनिया गांधी की आसनी लगाई गई तो वहीं दूसरी ओर आड़वाणी, सुषमा, जेतली आदि के साथ सोतेला व्यवहार किया गया। जब महामहिम से हाथ मिलाने की बारी आई तो आड़वाणी सहित भाजपा के आला नेताओं को उस लंबी कतार में लगने के लिए कह दिया गया जो खास के बजाए आम लोगों की थी! कांग्रेस की राजमाता श्रीमति सोनिया गांधी चाह रही हैं कि उनके लाड़ले राहुल गांधी जल्द ही गद्दीनशीं हो जाएं, पर उनकी राह में सबसे बड़ा रोढ़ा बनकर उभर रहे हैं मराठा क्षत्रप शरद पंवार। शरद पंवार जहर बुझे तीरों के जरिए ना केवल अपने आप को महिमा मण्डित करना चाह रहे हैं, वरन् वे अपनी सुपुत्री सुप्रिया सुले के लिए भी रोड़ मैप बना रहे हैं। 72 वर्षीय वयोवृद्ध पंवार ने यूं तो अपने लंबे राजनैतिक जीवन में अनेक समझौते किए हैं, पर इस बार वे क्षणिक लाभ के लिए शायद ही समझौता कर पाएं। पवार के प्रभाव वाले महाराष्ट्र में ठाकरे ब्रदर्स के बीच की खाई भी उद्धव की बायपास सर्जरी के बाद भरती दिखी है, जो पंवार के लिए खतरे का संकेत ही माना जा रहा है।
अवर्षा और अतिवर्षा से किसानों की हालत बेहद खराब हो चुकी है। सरकार में नंबर दो की हैसियत के लिए पहले ही पंवार ने बिगुल बजा दिया था, अब उनके सहयोगी प्रफुल्ल पटेल घोटाले में फंसे हैं। लगता है पंवार अब दबाव का एक्सीयलेटर दाब ही देंगे ताकि वे कांग्रेस से संबंद्ध तोड़कर उसे गरिया सकें, अगर एसा हुआ तो युवराज की ताजपोशी का खटाई में पडऩा स्वाभाविक ही है।

 

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